रवीन्द्र भारती खजौली मधुबनी तारीख २२.०६५.२०१७
अपने खाएब मिसरी मेबा, माय -बाप करबें नहि सेवा !
देवी-देवा दुख नहि हरतउ , रौ टटीबा पिलुआ फरतउ !!
एखनहूँ बाँचल छौ समय सार्थक , सुधि ले अपने सुधर सुधारक !
माय-बापक ऋण सँ उत्रिर्ण हो, करय जाऊ उक्त उपाय उधारक !!
उपकारो ककरो नहि कएलें ,आदर दय आदर नहि कएलें !
लोको वेद अनादर करतउ, रौ टटीबा पिलुआ फरतउ….!!