मिथिलाक अमर प्रेमकथाः फुलबा-कटोरबाक प्रेम

मिथिलाक लयला-मजनू - फूलबा-कटोरबाक कथा पढू

फुलबा-कटोरबाः मिथिलाक लयला-मजनू

मूल लेखः डा. लक्ष्मी प्रसाद श्रीवास्तव (भावानुवादः प्रवीण नारायण चौधरी)

युगल प्रेमी-प्रेमिका मे बहुत रास नाम अपन अलग विशेषताक संग लोकमानस मे प्रसिद्धि पबैत अछि, एहने एक युगल प्रेमी-प्रेमिका मिथिला समस्तीपुर जिलाक रोसड़ा प्रखण्ड अन्तर्गत दसौत गामक प्रसिद्धि पेने अछि जेकर नाम थिक ‘फुलबा-कटोरबा’। अपन प्रेमक परीक्षा – तेकर प्राणताक प्रमाण जिबिते चिता पर जैरकय देने छल ई जोड़ी।
 
१९३० केर दसक मे दुसाध समुदायक एक परिवार मे फुलबा (असली नाम फूलेन्द्र) नामक एक सुन्दर युवक रहैत छल। ओकर दिव्य सौन्दर्य उमड़ैत जबानी मे आरो फूल जेकाँ सम्मोहक बनि गेलैक। स्वस्थ, सुडौल, हृष्टपुष्ट शरीर छलैक ओकर। ओही गाम मे एक जुलाहिन रहैत छल – ‘कटोरबा’। ओकर बड़का-बड़का आँखि, छलकैत जबानी आर रस भरल वाणी मे मोहिनी सुन्दरताक स्वामिनी छल कटोरबा। दुनू फूलबा आ कटोरबा मजदूर छल। एहि दुनू मे परस्पर आकर्षण एतेक प्रगाढ भऽ गेलैक जे दुनू समाजक परवाह केने बिना प्रेमक डोरी मे बन्हा गेल। एकरा सभक प्रेमक चर्चा जखन काने-काने पूरा पसैर गेल, तखन ओहि गामक दुसाध आर जुलाहा समाज मिलिकय पंचायत बजा कोरा सँ पिटाई केलक आर सामाजिक बहिष्कारक दण्ड सेहो देलक।
 
मुदा फूलबा आ कटोरबा त ऊपरे सँ एक-दोसर लेल बनल छल। ओकरा सब केँ एहि कोराक प्रहार आ सामाजिक बहिष्कार सँ कनिको फरक नहि पड़लैक, बल्कि प्रेम आरो बेसी प्रगाढता पाबि गेलैक। एक राति दुनू युगल प्रेमी अपन प्रेम केँ परिणय मे परिणत करबाक सोच बनेलक। रातोरात ओ सब ओतय सँ चारि किलोमीटर दूर ‘देकुलीधाम’ गेल आर ओहि मंदिर मे भगवानक सोझाँ प्रणय-सूत्र मे बन्हाकय संगे-संग जियब-मरब से शपथ खेलक। पति-पत्नीक रूप मे एकरा सबकेँ मन्दिर मे देखि गामक लोक मे आरो बेसी क्रोध-ईर्ष्या-डाह उत्पन्न भऽ गेल। गामक लोक केँ ओकरा सभक कएल फैसलाक बाद एकरा सभक एना बियाह करब अपन मान-सम्मान पर आक्रमण जेकाँ बुझायल। ओ सब एहि प्रकरण केँ सामाजिक अपमान मानि लेलक। के अमीर आ के गरीब, सब हरबेहथियारक संग ओकरा दुनू पर मार-मार छूटल। कटोरबा पकड़ल गेल आर लोक ओकरा बेतरतीब ढंग सँ पीट-पीटकय अधमरू बना देलक। एम्हर फुलबा अपना घर सँ फरसा लय केँ अपन प्रेयसी ऊपर प्रहार कएनिहार पर आक्रमण कय देलक। केकरो ओकरा नजदीको जेबाक हिम्मत नहि जुटलैक। ओ अपन दरबज्जा पर बैसिकय कोनो चुनौतीक सामना करबाक लेल तूलल छल। बाद मे लोक ओकर घरक चारकेँ फारिकय ओकरा ऊपर सामूहिक आक्रमण कयकेँ ओकरो अधमरा बना देलाक बाद फुलबा बेहोश भऽ जमीन पर गिर पड़ल।
 
आक्रोशित गाम-समाजक लोक ओहि दुनू अधमरू फुलबा-कटोरबा केँ कमलपुर पुलक नजदीक बीच सड़कपर किरासन तेल ढारि आगि लगा देलकैक। मरबाक अन्तिम घड़ी सेहो ओ दुनू एक-दोसरक गर्दैन पकैड़कय जरैत अपन जान दय देलक।
 
तत्कालीन अंग्रेज सरकार एहि घटना केँ बहुत गंभीरता सँ संज्ञान लेलक। गामक कुल ३२ आदमी केँ पकड़ल गेल। ओकरा सब पर कोर्ट ट्रायल चलायल गेल। अन्ततोगत्वा ५ गोट व्यक्तिकेँ फाँसीक सजाय सेहो देल गेल।
 
सवाल उठैत छैक जे प्रेम होयब दुइ आत्माक मिलन केर प्रभाव भेलाक बात बुझितो समाजक लोक अपन जिद्द आ मनमानी करैत प्रेमीक विरुद्ध एहेन कठोर दंड कियैक निर्धारित करैत छैक? आइ धरि जतेक प्रेम कथा प्रसिद्धि पेलक, ताहि मे प्रेमीक प्रेमक नायाब शैलीक प्रसिद्धिक बदला ओकर प्रेम सँ दुनिया जरल आ प्रेमी केँ कष्ट आ पीड़ा देलक, तैयो प्रेमी अपन प्रेम आ समर्पण सँ समझौता नहि केलक। समाज केँ प्रेमालापक बात आइयो गुप्त सम्बन्ध धरि तक मात्र मंजूर छैक, जँ प्रेमक सीमा मे जाति आ धर्म केर फेंटफाँट भऽ जाएत छैक तखन समाजक क्रूरता आरो बेसी चरम पर होएत छैक। प्रेमी सब केँ प्रेम करय सँ पूर्व समाजक एहि क्रूर दानवी चेहरा केँ जरुर याद कय लेबाक चाही। प्रेमी सब केँ सेहो ई सोचबाक चाही जे हमर प्रेम कथाक प्रभाव समाजक अन्य वर्ग पर कोन तरहें पड़त आर समाज एकरा स्वीकार करत या नहि। प्रेमक मामिला मे विवेकवान बनब मात्र समाधान छैक, अन्यथा कतेको फुलबा-कटोरबा अहिना इतिहासक पन्ना मे समेटाएत रहत आर समाज अपन क्रूरताक खुलेआम प्रदर्शन करैत रहत।
 
हरिः हरः!!