मिथिलाक ऐतिहासिक धरोहरः अति विशिष्ट विद्वान्-इतिहासकार प्रो. राधाकृष्ण चौधरी
प्रोफेसर राधाकृष्ण चौधरीक जन्म १५ फरबरी १९२१ ई. मे तथा मृत्यु १५ मार्च १९८५ ई. केँ भेलनि। ओ एक महान इतिहासकार, विचारक तथा साहित्यकार (लेखक) छलाह। बिहार केर ऐतिहासिकता आर ताहू मे मिथिलाक अलग विशिष्ट इतिहास पर हिनका द्वारा अति सूक्ष्म ढंग सँ शोध उपरान्त इतिहास लेखन कार्य कएल गेल। ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक अध्ययन लेल समस्त मिथिला तथा बिहार केँ अपन मुख्य विषय मानैत मैथिली साहित्य मे लेखन कय हिनका द्वारा अनेकानेक पोथी आ ग्रंथ प्रकाशित कराओल गेल। ओ गणेश दत्त कालेज, बेगूसराय मे प्रोफेसर छलाह। बिहार केर एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् होयबाक संग-संग हिनकर विद्वता आर इतिहास लेखन कार्य सम्पूर्ण एसिया महादेश मे स्तरीय गणना मे अबैत अछि। हिन्दी, अंग्रेजी भाषा मे शैक्षणिक शोध आर साहित्यिक कार्य लेल अपन मातृभाषा मैथिली केँ प्राथमिकता देबाक विशिष्ट शैलीक कारण राधाकृष्ण बाबूक दखल सब भाषा मे बेजोड़ छल।
संछिप्त जीवनीः
भारतक एहि महान विभूतिक जन्म पूर्वी मिथिलाक मधेपुरा जिलान्तर्गत कहरा केर धरतीपर भेल। सामान्य मैथिल छात्र जेकाँ प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा परिवार उच्च संस्कार आ ग्रामीण विद्यालय मे कएला उत्तर अपने पटना विश्वविद्यालय सँ इतिहास मे एम.ए. केलहुँ। तदोपरान्त जीवन-पर्यन्त कर्मक्षेत्र मे अपन विशिष्ट योगदान सँ प्रसिद्धि पबैत रहलहुँ। अध्यापन आ गवेषणा (शोध) सँ संकल्पित प्रतिमान पुरुष राधाकृष्ण चौधरी गणमान्य विद्वान् मे प्रथम पांक्तेय रहथि। हिनकर नाम एसिया महादेशक प्रख्यात इतिहासकार मे गानल जाएत अछि। जीडी कालेज बेगूसराय मे इतिहास विभागक व्याख्याता सँ रीडर आ विभागाध्यक्ष (१९५४) रहला। भागलपुर विश्वविद्यालय केर इतिहास विभागाध्यक्ष १९७८ सँ १९८२ पर रहैत ओत्तहि सँ अवकाश ग्रहण कएलनि।
हिनक प्रसिद्ध रचनाः
तिरहुत में मुस्लिम कानून का इतिहास, कौटिल्य का राजनीतिक विचार एवं संस्था, मिथिला इन द एज अफ विद्यापति, बिहार का इतिहास, रोलेक्ट इन्सक्रिप्सन अफ बिहार, दी होमलैन्ड अफ बिहार, स्टडीज इन एन्सिएन्ट इन्डियन ला एण्ड जस्टिस, दी युनिवर्सिटी अफ विक्रमशिला, ए सर्वे अफ मैथिली लिटरेचर, प्राचीन भारत का आर्थिक इतिहास, आस्पेक्ट्स अफ सोसियो-इकोनोमिक हिस्ट्री अफ एनसियेन्ट इन्डिया, प्राचीन भारतीय राजनैतिक शासन व्यवस्था, प्राचीन भारत की राजवाटिका एवं संस्कृति का इतिहास, विश्व इतिहास की रूपरेखा (१९५५), भारतीय इतिहास की रूपरेखा, ऐतिहासिक एवं सांस्कृति शासन परंपरा (१९७४), पूर्व मध्यकालीन भारत – ई सब अंग्रेजी आ हिन्दी मे प्रकाशित अछि।
मैथिलीक साहित्यिक निबन्धावली (१९५६), मिथिलाक राजनीतिक इतिहास (१९६१), मिथिलाक सांस्कृतिक इतिहास (१९६३), ट्रान्सलेशन अफ धम्मपद (१९७३), लालदास (१९८१), महाकवि लालदास केर कृतित्वक साहित्यिक मूल्यांकन – ई सब मैथिली वा मिथिलाक विषय केँ समेटैत अंग्रेजी मे प्रकाशित अछि।
उपरोक्त वर्णित पुस्तकक अतिरिक्त हिनक दुइ सौ सँ अधिक गवेषणात्मक निबंध सेहो प्रकाशित भेल अछि, जे इतिहासक अमूल्य धरोहर थिक। एहि निबन्ध सब मे प्रसिद्धि पाबयवला लेखः प्रिन्सपुल्स अफ टेक्सेशन इन एन्सियेन्ट इन्डिया, थ्योरी अफ पनीसमेन्ट इन एन्सियेन्ट इन्डिया, कन्सेप्सन अफ ला इन एन्सियेन्ट इन्डिया, नान्यदेव एण्ड हीज कन्टेम्पोरेरिज, पोजिशन अफ दी ब्राह्मिन्स इन एन्सियेन्ट इन्डिया, पोलिटिकल हिस्ट्री अफ नार्थ इस्टर्न इन्डिया, द कर्णाट्स अफ मिथिला, इन्डिया इन हिन्दू माइथोलाजी, दी ओनवार्स अफ मिथिला, अर्ली हिस्ट्री अफ मिथिला, मिथिला का राजनैतिक इतिहास, हिस्ट्री अफ बेगूसराय, जौनपुर डिस्क्राइब्स इन विद्यापति कीर्तिलता, विद्यापतिज पुरुष-परीक्षा एन इम्पोर्टेन्ट सोर्स अफ हिस्ट्री, विद्यापतिज फेथ, दी भागीरथपुर इन्सक्रिप्सन अफ गांगेज, यादवाज अफ तिरभुक्ति, महेश्वर स्टोन इन्सक्रिप्सन, बिहार इन कालिदासेज वर्क्स, गीत नाटककार विद्यापति, ए रेयर सर्च इमेज अफ बरौनी, कालिदास एण्ड गुप्ता आर्ट्स, हिस्ट्री अफ तापा चौधरी, ए कम्पेरेटिव स्टडीज अफ दी जैन एण्ड बुद्धिस्ट फिलासोफी, बिहार एण्ड नेपाल, द कल्चर अफ द भारतीयाज, संस्कृत ड्रामाज इन मिथिला, अशोक एण्ड द तक्षशिला इन्सक्रिप्सन्स, सम रीसेन्ट डिस्कवरीज अफ नार्थ बिहार, स्फेयर क्वाइन अफ रामभद्र अफ मिथिला, जिन गुप्पा अफ नेपाल, करेन्सी इन मिथिला अन्डर द एज अफ ओइनवार्स, गोविन्द गुप्त – ए फोरगोटेन गुप्त इम्पेरर, फोर्स लेबर अफ एन्सियेन्ट इन्डिया, कौटिल्याज कन्सेप्शन अफ ला एण्ड जस्टिस, प्रबोध चन्द्रोदय, शक मुरुदस इन नार्थ बिहार, आस्पेक्ट्स अफ फ्युडलिज्म इन कम्बोडिया, लक्ष्मण संवत् नेपाली एण्ड द कर्णाट्स अफ मिथिला, नौलागढ इन्सक्रिप्सन्स, द कौकवार्स अफ बेगूसराय, द लखीसराय इन्सक्रिप्सन्स, नालन्दा एण्ड विक्रमशिला, ए रिपोर्ट अन द एक्सप्लोरेशन अफ जयमंगलागढ, अर्ली मुस्लिम इन्वेन्सन अफ मिथिला, द खण्डवाल्स अफ मिथिला, ए रिपोर्ट अन रानी गोधना, ड्रामेटिक ट्रेडिसन अफ मिथिला, तुलसी एण्ड दी कन्टेम्प्रोरीज, कल्चरल हेरिटेज अफ मिथिला, चाइना, तिब्बत, नेपाल एण्ड दी कैपिटल अफ तिरभुक्ति, रिभ्यू अफ महाभारत, माइथ एण्ड खिलिजिरा, मैथिली इज ए सोर्स अफ हिस्ट्री, कन्सेप्ट्स अफ हिस्ट्री।
उपरोक्त वर्णित प्रकाशित पोथी एवं निबन्धक समस्त जानकारी डा. लक्ष्मी प्रसाद श्रीवास्तवक पोथी बिहार लोकसंस्कृति कोश (मिथिला खण्ड) सँ लेल गेल अछि, तहिना गोटेक महत्वपूर्ण बात विकिपेडिया सेहो उल्लेख कय रहल अछि।
- Political History of Japan (1868–1947). Bihar Publishers, Patna. 1948. English.
- Maithili Sahityik Nibandhavali. Abhinav Granthagar, Patna. 1950. Maithili.
- Sidhharth. Abhinav Granthagar, Patna. 2 ed. 1952. Hindi.
- Studies in Ancient Indian Law. Motilal Banarsidas, Patna.1953. English.
- Bihar – The Homeland of Biddhism. Sidharth Press, Patna. 1956. English.
- History of Bihar. Motilal Banarsidas, Patna. 1958. English.
- Select Inscriptions of Bihar. Smt Shanti Devi. 1958. English.[1]
- Mithilak Sankshipt Rajnaitik Itihas. Vaidehi Samiti, Darbhanga. 1961. Maithili.
- Vratyas in Ancient India. Choukhamba Prakashan, Varanasi. 1964. English.
- Prachin Bharat Ka Rajnaitik Evam Sanskritik Itihas (1200 Eisvi Tak). Bharati Bhavan Publishers, Patna. 1967. Hindi.
- Sharaantidha. Maithili Prakashan, Calcutta. 1968. Maithili.
- Vishva Itihas Ki Ruprekha (2 Volumes). Ajanta Press Patna. 1969. Hindi.
- History of Muslim Rule in Tirhut(1207 – 1765). Choukhamba Prakashan, Varanasi. 1970. English.
- Kautilya’s Political Ideas and Institutions. Choukhamba Prakashan, varanasi. 1971. English.
- Dhammapada – Maithili Translation. Maithii Prakashan Samiti, Calcutta. 1971. Maithili
- A Survey of Maithili Literature, Shruti Publications, Delhi, 2010, ISBN No.978-93-80538-36-5
- Mithilak Itihas, Shruti Publication, Delhi, 2010 (in Maithili Language), ISBN No.978-93-80538-28-0
मिथिलाक धरातल मे शिक्षा आ संस्कारक चर्चा ओहिना बैढ-चैढकय नहि कएल जाएछ। जतय राधाकृष्ण बाबू समान दिग्गज विद्वान् सब नित्य जन्म लय रहला अछि, ओ धरती सचमुच आदिशक्ति जगदम्बा जानकीक विशेष कृपा पेने अछि, ईहो कहबा मे कनियो अतिश्योक्ति नहि होयत।
हरिः हरः!!