राम जन्मोत्सव विशेषः मिथिलाक कण कणमे सीताराम
– सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम
रामनवमीक तैयारी जनकपुरमे जोर-सोर सँ चलि रहल अछि । पूरे मिथिलाञ्चलक घर घरमे अखन सोहर गाओल जा रहल अछि । सभक घरमे एकहि रंगक उत्साह देखबामे लागि रहल अछि । भगवान रामक जन्मकोत्सव अछि ।
जन्मक उत्साहके वर्णन करैत जनकपुर ७ मे रहल कलुआहीबाली कहैत छथि भगवानक जन्म भलेही अयोध्यामे भेल होइक मुदा उत्सव हुनकर सासुरमे सेहो कम नहि । ओ सोहरकेर एक पाँति सुनबैत कहैत छथि “जँ जन्मल रघुनन्दन, बन्धन टूटल रे, ललना रे हरि देलक दन्त गराई तुतना भेल मुरझाइृ रे……”।
रामनवमी दिन जनकपुरक दू टा दरबारकेँ ओहिना सजाओल जाएछ जेना विवाहपञ्चमीक समयमे । सजाबएमे मिथिला दरबार (जानकी मन्दिर) आर अयोध्या दरबार (श्रीराम मन्दिर) मे अहुबेर प्रतिस्पर्धा देखल जा रहल अछि । अयोध्या दरबार अर्थात् राम मन्दिरकेँ सजाबएमे ओतुका महन्थ व्यस्त छथि । मन्दिरक महन्थ राम गिरी कहैत छथि जे पते नहि चलि रहल अछि रामनवमीक तैयारी कोना चलि रहल अछि । जन्मक उत्साहक वर्णन करैत राम मन्दिरक महन्थ कहैत छथि जेना लागि रहल अछि हमरे घरमे भगवानक जन्म भऽ रहल होएन्ह । भले भगवानक जन्म त्रेता युगमे किऐक नहि भेल होइक यदि किछु आकर्षण नहि रहितैक तऽ आखिर एतेक लोक राम नवमीमे जनकपुर कोना अबैत । एखन ओ रामनवमीमे आयल साधुसभक स्वागतमे सेहो लागल छथि ।
जनकपुर उप महानगरपालिका ४ क पण्डित विद्यानन्द झा कहैत छथि औजी जँ रेल ठीक रहितैक, बस जीप आबएके भारतसँ जनकपुरधरिक नीक सुविधा रहैत तऽ देखितहुँ कतेक लोक जनकपुर अबैत अछि । भगवान राममे जे शक्ति अछि ओ कतए पाओत ।
राम नाम उरमे गहिओ जा कै सम नहि कोइ ।
जिह सिमरथ संकट मिटै दर्शु तुम्हारे होइ ॥
जिनकर सुन्दर नामकेँ हृदयमे बसा लेला मात्रसँ सम्पूर्ण कार्य भऽ जाएत छैक, जिनकर समान कोनो दोसर नामो नहि अछि, जिनकर स्मरण मात्रसँ पूरे संकट समाप्त भऽ जाएत छैक - से थिकाह राम ।
कलयुगमे नहि योग, नहि यज्ञ आ नहि ज्ञानक महत्व अछि । एक मात्र रामक गुणगाने सम्पूर्ण जीवकेँ उद्धार कय सकैत अछि ।
सन्तसभक कहब अछि प्रमु श्री रामक भक्तिमे कपट, देखाबा नहि बल्कि आन्तरिक भक्ति मात्र आवश्यक अछि ।
गोस्वामी तुलसी दास लिखैत छथि ज्ञान आ वैराग्य प्रभुकेँ पएबाक लेल मार्ग नहि थिक । बल्कि प्रेम भक्तिसँ पूरे मैल धोअल जाएछ ।
प्रेम भक्तिसँ मात्र श्री राम भेटैत छथि ।
छुटहि मलहि के धोएं ।
धूत कि पाव कोइ वारि विलोए ।।
प्रेम भक्ति जल विनु रघुराइ ।
अभि अन्तर मैल कबहुँ न जाइ ।।
अर्थात् मैल केँ धोलासँ कि मैल छुटि सकैत अछि ? जलकेँ मथलासँ कि कोनो घी भेट सकैत अछि ? ठीक ओहिना प्रेम भक्तिरुपी निर्मल जलक बिना भितरक मैल कहियो नहि छुटि सकैत अछि । प्रभुकेर भक्ति बिना जीवन निरस अछि अर्थात रसहीन । प्रभु भक्तिक स्वाद, एहन स्वाद अछि जे एहि स्वादकेँ बुझि गेल ओकरा संसारक सभ स्वाद फिका लागत । भक्ति जीवनमे ओतबे महत्वपूर्ण अछि जतेक स्वादिष्ट भोजनमे नून ।
भगति हीन गुण सव सुख ऐसे ।
लवन विण बहु व्यञ्जन जै से ।।
अर्थात् जेना नूनक बिना बढियासँ बढिया भोजन स्वाद हीन होइत अछि ओहिना प्रभुकेर चरणक भक्ति बिना जीवनक सुख समृद्धि सभ फिका होइत अछि ।
रामक ऐतिहासिकता
चैत महिनाक शुक्ल पक्षक नवमी तिथिक दिन भगवान रामक जन्म भेल अछि । अगस्त्यसंहिताक अनुसार चैत शुक्ल पक्षक नवमी तिथिक दिन पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क लग्नमे जखन सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहक शुभ दृष्टिके संग मेष राशिमे उपस्थित छल तखने साक्षात भगवान् श्रीरामक जन्म माता कौशल्याक गर्भसँ भेल छल ।
भारतक चेन्नईकेर एक गैरसरकारी संस्था भारत ज्ञान कतेको वर्षक शोधसँ ई पत्ता लगौलक अछि जे रामक जन्म ५११४ ई. पू. १० जनवरी कऽ भेल छल । रामक विषयमे ई शोध मुम्बईमे कतेको वैज्ञानिक, विद्वान, व्यावसाय जगतक आगु प्रस्तुत कएल गेल छल ।
एहि शोधक तथ्यपर प्रकाश पारैत एकर संस्थापक ट्रष्टी डिके हरि कहलन्हि एहि शोधमे वाल्मीकि रामायणकेँ मूल आधार मानैत अनेक वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, ज्योतिषीय आ पुरातात्विक तथ्यकेर सहयोग लेल गेल अछि ।
रामक मिथिला सँगक सम्बन्ध
भगवान रामकेर मिथिला सँग सम्बन्ध सेहो प्रगाढ अछि । भगवान रामक विवाह मिथिला नरेश जनकक पुत्री सीतासँग भेल छल । भगवान राम विवाहक लेल विश्वामित्र मुनि संग जनकपुर आएल छलथि । जानकीसंग पहिल भेट गिरिजा स्थानमे भेल छल, स्वम्बर रंगभूमि मैदानमे, विवाह मणि मण्डपमे सहितक अवशेषसभ अखनो मिथिलामे अछि । ई स्थलसभके बहुत श्रद्धाकसंग लेल जाइत अछि ।
मिथिलाक कणकणमे रामसीता छथि ।
जनकपुरमे मात्र नहि पुरे मिथिलाञ्चलमे कोनो उत्सव होइक रामसीताक गुणगान बिना ओ उत्सव पूर्णे नहि होइत अछि । जनकपुरक जानकी मन्दिरक महन्थ राम तपेश्वर दास वैष्णव कहैत छथि मन्दिरमे हरेक समय रहैत छी हरेक समय ई बुझाइत रहैत अछि भगवान रामजानकी एहिठाम छथि । ई स्थिति मिथिलाञ्चलक कतहुँ जाइत छी तऽ बुझाइत अछि । फेर जँ मिथिलाञ्चलसँ बाहर गेलहुँ तऽ कतहुँ नहि अनुभव होइत अछि ओ कहलन्हि ।