नव विवाहित महिलासभक पावनिः साँझ
– सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम
आशा देवी साँझ होइते पूजामे लागि जाइत छथि । कतहु बाहरो जाएके होइत अछि तऽ पावनिक सामान लइए कऽ जाइत छी ओ कहैत छथि । तिला संक्रान्तिक दिनसँ तुसारी पावनि जेकाँ साँझ सेहो शुरु भेल अछि ।
संस्कृतिविद् डा. रेवती रमण लाल कहैत छथि, “मिथिलाञ्चलक कुमारि कन्यासभ एक वर्षधरि भोरमे तुसारी पूजैत छथि तऽ नवविवाहित महिलासभ साँझ । तिला संक्रान्तिसँ एक वर्षधरि प्रत्येक साँझ, साँझ पावनि कएल जाएत अछि । साँझ पावनि कएलासँ दाम्पत्य जीवनमे भावी सन्ध्या, सुखगत रहबाक मान्यता रहल अछि । तेँ एक वर्षक पावनि भेलाक बादो नवविवाहित महिलासभ करबे करैत छथि ।”
एहि पावनिक सम्बन्धमे तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीक नेतृ रेणु झा कहैत छथि जे महिलासभकेर निष्ठा एहि पावनिमे देखए लायक रहैत अछि । पावनिक शुरु आ अन्तिम दिन पवनैतिनसभ नव वस्त्र लगबैत छथि । ओहि दिन खोँछि सेहो भरल जाएत अछि । शुरु आ अन्तिम दिन एक्के रंगक पूजा कएल जाएत अछि । एहि पावनिमे भोजनक सेहो विशेष महत्व होएत अछि । भोजनक लेल नव चुल्हा बनाओल जाएत अछि । चुल्हापर नव कोहा राखि भोजन बनाबएके परम्परा रहल अछि । अरबा चाउरसँ भात बनाओल जाएत अछि । ७ प्रकारक तरकारी बनायब एहि पावनिक आकर्षण होएत अछि ।
एहि पावनिमे सहभागी महिलासभ कहैत छथि, “तरकारी जे हएत से हएत से नहि लत्ती बला मात्र हेबाक चाही । माटि तरक किन्नहु नहि हो । फेर तरकारीके हाँसू सँ नहि काटल जेबाक नियम सेहो अछि । ओ सभ लोढा वा कोनो भारी सामानसँ थुरि कऽ बनाओल करैत छथि । तरकारी बनेबा मे भले जे दिक्कत होएत हो, मुदा परंपरा सँ हँटिकय नव शैली मे बनेबाक आनन्द सेहो अलगे रुचिगर अनुभूति दैत अछि – चिकित्सक पेशासँ जुड़ल दीपा झा कहली । बनाओल गेल भोजन केँ आमक पात वा खोखसकेर पातपर परसल जाएत अछि ।
भोजन काल एकटा नैवेद्य राखल जाएत अछि जाहिपर एकटा खरहीमे तुर बेरिकय (लपेटिकय) घी मे बोरि ओकरा भातपर गारि देल जाएत अछि । ओहि मे फेर आगि लगा मशाल जेकाँ बारि गोसाउनक आगाँ जाएत छथि पवनैतिन । पवनैतिनक भाइ ओहि भातकेँ चानीक सूतिसँ चारि खण्डमे काटि दैत छथि । तखन भोजन करबाक परम्परा रहल अछि । भोजनकालमे ५ वा १० अइहव सेहो संग मिलिकय भोजन करैत छथि ।
प्रत्येक साँझ होबएबला ‘साँझ पावनि’ मे गायकेर गोबरसँ आँगनमे पवित्र ठाउँ कएल जाएत छैक । ओहिपर उज्जर पीठारसँ पूर्व दिस आ पीयरसँ दक्षिण दिस अरिपन देल जाएत छैक । अरिपनक मध्य गौरीक यन्त्र देल जाएत छैक । यन्त्रमे सिन्दुर लगा बेलपत्र खोँटि कय राखि तीन गोट सुपारी लऽ पूजा कएल जाएत अछि । पूजाक बाद जलसँ यन्त्रकेँ काटि देल जाएत छैक । नैहर सासुरक जे गौर रहैत अछि तिनकर पञ्चोपचार पूजा होएत अछि तखन नवविवाहित महिलासभ साँझ पूजैत छथि ।
पूजाक लेल तुसारीए पूजा जेकाँ चूकाबला लकजोरी राखल जाएत छैक आर ताहिमेसँ एकटामे पियर रंगक पिठार आ दोसरमे उज्जर रंगक पिठार राखल जाएत छैक । तहिना एकटामे बेल पत्र । पावनि पूजए समयमे महिलासभ मन्त्र पढैत छथि ।
साँझ पूजाक मन्त्र
सँझै सँझै महा सँझे पहिल सँझेके पूजय ? हम पूजी ।
से पूजि कि हुअए, दई सन भाग हुअए,
लीली सन सोहाग हुअए, नमस्ते, नमस्ते, नमस्ते ।