मिथिला-मैथिली प्रति सब सँ पैघ भ्रमक स्थिति

pnc-as-a-villagerविचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

सन्दर्भः मिथिला राज्य मे ब्राह्मणक वर्चस्व बढबाक मनगढंत ख्याल मादे

अपन मिथिलाक किछु युवा केँ देखैत छी त आशा बढैत अछि, मुदा फेर ओकर अयोग्य आ क्षुद्र टिप्पणी देखि मोन दुखित होएत अछि। जाति-पाति केर सीमा मे एखनहु ई सब बन्हायल अछि, एकरा सभक बौद्धिक सामर्थ्य ताहि लेल एखनहु चाकरी (नौकरी) टा करयवला भेलैक अछि। तथापि, ओ सब अपन गाम मे माय-बाप आ परिजन केँ देखैत अछि ई पैघ बात भेल। दुःखक गप जे माय-बाप-परिजन आ गाम केँ देखनिहार सेहो संख्या घटल जा रहल छैक।

 
जाति-पाति केर सीमा आब अप्रासंगिक छैक। पहिने गाम-घरक संस्कार मे एक-दोसराक जाति देखिकय गप होएत छलैक। शिक्षाक दरबाजा जेना-जेना सब जाति लेल खुजलैक आ जे एकर महत्व बुझलक ओ आगू बढल। जे एखनहु अपने दंभ मे भटैक रहल अछि ओकर प्रगति सेहो ठमैक गेल छैक।
 
ऊपर मे दू गोट बच्चा – पंकज कर्ण आ मनीष सिन्हा ‘मिथिला राज्य’ केँ ब्राह्मण जातिक वर्चस्व बढि जेबाक मुद्दा सँ जोड़ि अपन मूढता राखि चुकल अछि। भारतीय लोकतंत्र मे मताधिकारक प्रयोग करैत प्रतिनिधित्व चुनैत शासनक मुख्य प्रणाली ‘विधायिका’ चलैत छैक। शासनक दोसर प्रणाली ‘प्रशासिका’ सेहो जनसंख्याक आधारपर सहभागिता सँ बाकायदा आरक्षण दैत भारत मे चलाओल जाएछ ताहू सँ ई सब अवगत नहि अछि। तेसर प्रणाली न्यायपालिकाक संरचना सेहो सुनिश्चित मापदंड सँ सभक समान सहभागिता सँ चलैछ। हरेक केस मे जनसंख्या केकर कतेक छैक, अधिकार ओकर ओतेक छैक। ब्राह्मणक जनसंख्या अत्यल्प छैक, परन्तु बौद्धिकता सर्वाधिक – सर्वश्रेष्ठ पहिने रहलैक; आब जेहने ब्राह्मण तेहने कायस्थ तेहने राजपूत आ तेहने भूमिहार आदि उच्च जातिक लोक छैक…. कारण शिक्षाक दरबज्जा सब लेल समान रूप सँ खुजल छैक। हँ, समस्या पिछड़ल जाति लेल एखनहु छैक, कारण शिक्षाक महत्व सँ पूर्णरूपेण अवगतो नहि भेल अछि आर दोसर बात जे संसाधनक कमी सेहो छैक जे ओ अपन संतान केँ पूर्ण शिक्षा दिया सकय।
 
आर पिछड़ल समाज, दलित, मुसलमान आदिक संख्या आइ मिथिला मे सर्वोपरि अछि। आब बिहार विधानसभा आ सरकार केर व्यवहार सँ पैछला ७ दसक मे लोक खूब नीक सऽ परिचित भऽ गेल। मात्र मजदूर बनाकय दोसर राज्य पलायन करबाक अलावे बिहार केर कोनो योगदान जँ मिथिला क्षेत्र मे भेल होएत त कोनो बातो…. एतय तऽ जेकरे बले शासन तेकरे शोषण – यैह नीति रहलैक अछि बिहारक। तैँ, आब जे अलग मिथिला राज्य केर मांग अछि से आम मैथिल समाजक हित लेल, पिछड़ा केँ आगाँ अनबाक लेल आर जे मूल धरातल पर अछि तेकरा फेर सँ अपन विशिष्ट पहिचान मिथिलाक मैथिल केँ बचेबाक लेल ई मांग सर्वथा उचित अछि। भटकल युवा आ अपन जातीय दंभ मे चूर लोक एहि मुद्दाक व्याख्या कदापि सही ढंग सँ नहि कय सकैछ। ओहेन लोक केर विचार सँ सावधान रहब आवश्यक अछि।
 
हरिः हरः!!