अरुणाभ सौरभ केर रिपोर्ट – जनबरी ५, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशनार्थ!!
सजग कविता संस्कृति केर तेसर अधिवेशन दिनांक 29-30 दिसंबर केँ अत्यंत सफलतापूर्वक संपन्न भेल ! उद्घाटन दीप जरा केँ प्रो भीमनाथ झा केलनि । ओकरा बाद अजित आजाद स्वागत भाषण केलनि आ फेर अरुणाभ सौरभ एही सजग कविता संस्कृति आंदोलन पर विस्तार सं चर्चा केलनि । फेर एही विविध गतिविधि सँ जुड़ल वैचारिक आधार पत्र के लोकार्पण भेल । फेर वैचारिक सत्र प्रारंभ भेल -‘समकाल मे प्रतिरोध आ साहित्य संस्कृति’ ! विषय प्रवर्तन केलनि डॉ कमलानंद झा ‘विभूति’! प्रतिरोध केर समस्त आयाम केँ ओ सोझाँ राखलनि ।अध्यक्षता प्रो विद्यानन्द झा कोलकाता, केलनि। प्रो भीमनाथ झा कहलनि जे मैथिली साहित्य मे प्रतिरोधक ज़मीन बड़ पुरान अछि । कवि रमेश विषय केँ आगू बढ़ेलनि । वैचारिक गहमागहमी सँ भरल रहल ई सत्र । संचालन करैत अरुणाभ सौरभ कहलनि जे संस्कृति आ साहित्य केर मूलधर्म थिक प्रतिरोध ।
चाहक विराम केर उपरान्त दोसर सत्र ‘समकाल मे सर्जना’ केर अध्यक्षता उदयचंद्र झा विनोद केलनि । एही सत्र मोहन यादव, विभूति आनंद आ नारायण जी वक्ता छलाह । ई सत्र समकालीन मैथिली कविता आ युवा पीढ़ीक कविता पर अपन ध्यान झिकलक । विनोद जीक कहब छलनि जे मैथिली कविताक स्वर एखन बहुविध अछि । विभूति आनंद युवा कविक रचना सँ उदाहरण द’ गप्प केँ सोझाँ रखलाह । मोहन यादव विषय केँ आर खोललनि । नारायण जी युवा पीढ़ीक कविता पर विस्तार सँ गप्प राखलनि । संचालन करैत अजित आजाद कहलनि जे एहन गहींर कविता केंद्रित चर्च मैथिली मे हम नहि सुनने रही ।
साँझ मे ‘आगि लग कविता’ शुरू भेल । जाहि मे दू दर्जन महत्वपूर्ण रचनाकार अप्पन बेस्ट कविताक पाठ केलनि । दू टा बड़का धधरा जरा केँ ई सत्र शुरू भेल जकर अध्यक्षता विभूति आनंद केलनि । युवा कवि लोकनि केर दमदार उपस्थिति रहल – गुफरान जीलानी, अंशुमान सत्यकेतु, मलयनाथ मंडन, दीपनारायण विद्यार्थी, अरुणाभ, सतीश साजन, आनंद मोहन झा, दयाशंकर, ऋषि वशिष्ठ, सच्चिदानंद सच्चू, कंचन कर्ण, गोपाल झा अभिषेक केर संग संग नारायण जी, विद्यानन्द झा प्रभृति कवि अपन कविताक ताप सँ आगि केँ आर पजारलक । लगभग 400 (चारि सए) श्रोता समूहक बीच ई सत्र भेल । संचालन – अजित आजाद आ पढ़ल गेल कविता पर टिप्पणी – डॉ कमलानंद झा विभूति देलनि । धन्यवाद ज्ञापन करैत डॉ दमन कुमार झा कहलनि जे मधुबनी मे एहन वृहत् आ गंभीर आयोजन हमरा सभक सोझाँ नहि भेल छल ।
पहिल दिनका सभटा कार्यक्रम जानकी मैथिली पुस्तक केन्द्र गौशाला चौक पर भेल । कतेको श्रोता हॉल भरि गेलाक कारण ठाढ़ भ’ कार्यक्रम मे उपस्थित छलाह !
‘सजग कविता संस्कृति’क तेसर आ पहिल दिनक अंतिम सत्र – ‘आगि लग कविता’…
कवि :
अजित आजाद, ऋषि बशिष्ठ, आनंद मोहन झा, नारायणजी, विद्यानंद झा, सच्चिदानंद सच्चू, सतीश साजन, गोपीरमण, मोहन यादव, अरुणाभ सौरभ, अंशुमान सत्यकेतु, अमल झा, दयाशंकर मिथिलांचली, रामेश्वर निशांत, दीप नारायण विद्यार्थी, सुभाष स्नेही, गोपाल झा अभिशेष, अवधेश झा, विनय विश्वबंधु, रमेश, गुफरान जिलानी, आदि…
अध्यक्षता :
विभूति आनंद
समीक्षकीय वक्तव्य : कमलानंद विभूति
धन्यवाद ज्ञापन : दमन कुमार झा
मैथिली कविता आ साँस्कृतिक आन्दोलन केर समर्पित संगठन ‘सजग कविता संस्कृति’क चारिम सत्र मे
नब कार्यकारिणी सत्र 2017-19 केर गठन बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ भवन मे कएल गेल-
अध्यक्ष :
विद्यानंद झा (कोलकाता)
परामर्श समिति :
विभूति आनन्द (दरभंगा)
नारायणजी (घोघरडीहा)
कमलानंद झा ‘विभूति’ (अलीगढ़)
रमेश (दरभंगा)
अजित आजाद (मधुबनी)
महासचिव :
अरुणाभ सौरभ (नई दिल्ली)
कोषाध्यक्ष :
कमल मोहन चुन्नू (सहरसा)
सचिव-मंडल :
गुरफान जीलानी (दरभंगा)
ऋषि बशिष्ठ (मधुबनी)
दीपनारायण विद्यार्थी (मधुबनी)
सच्चिदानंद सच्चू (मुजफ्फरपुर)
अंशुमान सत्यकेतु (मधुबनी)
सजग कविता संस्कृति केर तेसर अधिवेशनक पाँचम सत्र ‘सांस्कृतिक आदोलनक हस्तक्षेप’ ! एही मे नित्यानंद गोकुल, मनीष अरविन्द आ अरुणाभ सौरभ अपन अपन गप्प सँ सांस्कृतिक आंदोलन केर विविध हस्तक्षेप पर प्रकाश देलनि ।
अध्यक्षता श्याम दरिहरे केलनि आ संचालन अजित आज़ाद ।
छठम सत्र – मैथिल मोसलमान: स्थिति सन्दर्भ आ दिशा
वक्ता- मुख्तार आलम, गुफरान जीलानी, सच्चिदानंद सच्चू आ दमन कुमार झा ।
संचालन- अजित आज़ाद । अध्यक्षता-रमेश, मैथिल मोसलमान आ मिथिलाक मोसलमान पर एही सत्र मे गहींर चर्च भेल ।
सातम सत्र-‘मैथिली नाट्य लेखन परम्परा’
एकल व्याख्यान – डॉ कमलमोहन चुन्नू ।
संचालन- ऋषि वशिष्ठ ।
ई सत्र मे मैथिलीक नाटक लेखन पर समग्रता मे गप्प भेल ।
आठम आ अंतिम सत्र
”मैथिली कविताक समकाल”
10 टा बेजोड़ कविक कविता पाठ भेल
अध्यक्षता: श्याम दरिहरे संचालन-दिलीप कुमार झा
कविगण- अंशुमान सत्यकेतु,दीप नारायण विद्यार्थी,गुफरान जीलानी, प्रजापति ठाकुर,अजित आजाद,पंकज सत्यम,गोपाल झा ‘अभिषेक’, सतीश साजन ।
समापन यात्रीजीक कविता ‘अंतिम प्रणाम’ केँ चुन्नू भाय द्वारा तेहन भावपूर्ण प्रस्तुति भेल जे सभ केँ कना देलक ।