———नारी———
– झा महेश ‘डखरामी’
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रे ! रे! मानुष आबहुं जाग
हमही तोहर सकल अनुराग
फोलि नयन तू करय मनन
हमही वर्तमान भविष्य भाग
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हम आदि अनादि कर्तारी छी
हमही सकल श्रृजन धारी छी
हम सर्वस्व जीव आस एक
हम मातु समस्त दुखहारी छी
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हम अर्धनारिश्वर त्रिपुरारी छी
श्रेष्ठ समर्पण छवि गांधारी छी
सम्पूर्ण जखत अछि हमरे अंश
हम वेष्टित वेश मुरलीधारी छी
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हम लक्ष्मी लखिमा ललिता छी
हमही सती सावित्री सीता छी
महाकाल कृपाल सब दसोदास
हमही कालिका खप्परधारी छी
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हम भगिनी भार्या मातारी छी
हम पूजाक मंगलमय थारी छी
हम सती शची भवतारी छी
फोल मनक आँखि हम नारी छी
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॥ जयतु मैथिली ॥