मैथिलीसेवी सँ मैथिली (सीताक) पुकार:
– प्रवीण नारायण चौधरी
चिन्ता नहि कर्म करू, हम आबि रहल छी
डेग आगू बढि चलू, हम देखि रहल छी
जुनि बुझू माँ हेरा गेली, हम संग ओतै छी
सत्यमार्गी बनल रहू, हम बुझि सकै छी
हर क्षण बदले देश, प्रकृति तहिना छै
मुदा न बदले सत्य, एकटा सत्य इहा छै
राम हते रावण, निज राज्य अबै छथि
क्रोध-अहंकेँ त्यागि, प्रजा-हित करबै छथि
सिखू पुरखा स्वयंसेवा, निजरक्ष केला जे
विद्याबल पोषण यऽ, साँस सृजन-सृष्टि के
धरा समा माया मोड़ी – पानि समा पति राम
सदा रही हम संग – पुत करू निज काम॥
मैथिली जिन्दाबाद