लोक सेहो देवता बनि सकैत अछिः अनुभूति

देवता सँ साक्षात्कार (संस्मरण)

– सीतागंज (फारबिसगंज), २६ मई, २०१२ – डा. भुवनेश्वर गुरमैता सँ भेंट आर अनुभूति पर आधारित – प्रवीण नारायण चौधरी

bhuvneshwar gurmaitaप्रसिद्ध शिक्षाविद्‌ आ समाजसेवी – मैथिली केँ संवैधानिक दर्जा दियौनिहार एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व – एहि पृथ्वीपर कलियुगमें विद्यापति केर अवतार कहब तऽ अतिश्योक्ति नहि हेतैक, संगहि बहुते उच्चवर्गीय मैथिल जनमानस लेल अनुकरणीय आ जे कियो मैथिली एवं मिथिला केँ ब्राह्मणक ठेकेदारी (एकाधिकार) बुझनिहार कतेको सामान्य जन लेल एक अविस्मरणीय सीख – एक महान्‌ व्यक्तित्व, जतेक तारीफ करी सैह कम – डा. भुवनेश्वर गुरमैता जी केर दर्शन आजुक समय में हमरा समेत अपने सभके लेल अत्यन्त शुभकारी आ मंगलदायक होयत।

डा. गुरमैता केर विषयमें हम जन्मौटी बच्चा मात्र छी लेकिन आजुक इन्टरनेट प्रधान युगमें यदि हम सभ सिर्फ गुरमैता कि-वर्ड सर्च करी तऽ हिनक विशिष्ट पहचान सऽ तुरन्त साक्षात्कार कय सकैत छी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्‌के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिसार विश्वविद्यालय, पंजाबकेर पूर्व कुलपति, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केर उच्च विचारवान्‌ पदेन सदस्य, आ नहि जानि कतेको आर-आर उच्च एवं गरिमामय पद केँ सुशोभित कयनिहार अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्‌ केर संरक्षक डा. भुवनेश्वर गुरमैता, एक प्रभावशाली एवं प्रणम्य व्यक्तित्व छथि।

हालहि सम्पन्न सीतागंज (फारबिसगंज) में २४म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में मुख्य अतिथिक रूपमें हिनक दर्शन होयब, हिनकर सुन्दर सुकोमल मनोहर वाणी सुनब, बस किछुवे क्षण भोजनकेर मेजपर संग बैसब आ फेर किछु क्षण हिनक जीवन-पर्यन्त योगदान ऊपर लिखा रहल एक ग्रंथ पर चर्चा सुनब – ई समस्त बात हमरा लेल अत्यन्त सुखद क्षण रहल।

ओ सामूहिक भोजमें एक ९० वर्षक करीब पहुँचल बौद्धिक क्षमतावान व्यक्तित्व अचानक ठाड़्ह होइत ब्रह्मार्पण करय लेल सभ सँ निवेदन करैत मंत्रोच्चारण शुरु कयलनि आ सभ सँ यैह करय लेल कहलनि – सभ बात हमरा लेल अत्यन्त प्रेरणादायक रहल।

तदोपरान्त सभाक दोसर अधिवेशनमें दर्शक केँ कुर्सी पर पैछला पंक्तिमें बैसि ध्यान सँ सभ वक्ताकेर बात-विचार सुनब – हमरा सोचय लेल मजबूर कय देलक जे देवता केर दर्शन एहि पृथ्वीलोक पर सेहो संभव छैक आ बस एहने लोक सभ देवता केर अवतार होएत छथि।

एहि लेल आरो प्रसन्नता भेल जे आन कोनो सभाक बिपरीत एहिठाम डा. गुरमैता जी केर सान्निध्यमें एको बेर केकरो मुँह सऽ जातिवादिताक बात नहि निकलल। ओना जे राजनीति करनिहार लोक होइत छथि हुनका सभ ठाम खाली वोटबैंक आ जनबल मात्र सुझैत रहैत छन्हि; लेकिन गुरु श्रेष्ठ गुरमैता जी एवं उपस्थित अनेको सभासदगण बस केवल अपन मातृभाषा आ मातृभूमि संग स्वाभाविक प्रेम केर उद्‌गार प्रकट कयलन्हि आ हर तरहें हमरा एहेन नव जोगी लेल ई सम्मेलन अत्यन्त शिक्षाप्रद रहल।

गुरमैताजी केर विषयमें लिखैत हाथ थरथरा रहल अछि लेकिन मन उद्वेलित अछि ताहि लेल बस कोहुना किछु-किछु लिखि रहल छी।

हरिः हरः!!