विराटनगर केर पहिल मेगा इवेन्ट महाकवि विद्यापति पर

बिराटनगरमें विद्यापति स्मृति पर्व समारोह – २०६७

vsps kurson4त्रिभुवनपति दीनबंधु दिगम्बरकेर असीम कृपासँ बिराटनगरकेर ऐतिहासिक पुण्य भूमिपर महाकवि कोकिल विद्यापतिकेर स्मृति पर्व समारोह गत दिसम्बर १० – ११, २०१० केर सम्पन्न भेल। नेपालकेर बदलैत परिस्थितिमें मैथिल भाषा-भाषी संगहि संपूर्ण सद्भाव रखनिहार विभिन्न आदिवासी एवं जनजाति जिनक संपर्क भाषा मैथिली अछि – सभ मिलिके एहि कार्यक्रमकेर अपूर्व सफल बनौलन्हि। मोरंगसंग जुड़ल कहावत जे एक बेर एतय आयल ओ पुनः अपन स्वदेश नहि लौटल – तेकरा चरितार्थ करैमें मैथिलक महत्त्वपूर्ण भूमिका रहल अछि। पौराणिक कालमें राजा बिराटकेर समय एकर स्वरूप केहेन रहल ताहिपर कोनो विशेष लेख-रचना या कोनो परिष्कृति इतिहास तऽ हमरा लोकनिकेँ नहि भेटैछ मुदा बिराटनगर शहर जतय बसल अछि ताहि ठाम भयावह जंगल छल एवं दिनहि में सियारकेर भूकब सुनैवाला अनेको कहानी सुनबा में जरुर अबैछ। एहि ठामकेर जंगल-फरानी एवं बास करै जोगड़ आवश्यक परिवर्धनमें मैथिलकेर योगदान नहि नकारल जा सकैछ। एहि ठाम शुरुवे सऽ मैथिलक गढ रहल, एतबा तक कि जखन नेपालकेर शासक जमीन्दारी व्यवस्था थोपलथि एवं पहाड़सँ प्रवर्जन कराके जमीन्दारी व्यवस्था बहाल कयल गेल तऽ मुन्शियानी तखनहु मैथिले सभक हाथ में रहल। खेतमें मजदूरी करय सँ लऽ के मुन्शियानी – सभ व्यवस्थापन मैथिलभाषीकेर हाथ रहल। लगभग ६० वर्ष पहिले जखन नेपालमें आधुनिक स्कूली शिक्षातंत्रकेर विकास भेल तखनहि सँ शिक्षण पेशामें सेहो प्रमुख योगदान मैथिलेकेर जिम्मा रहल बुझैछ, ओ चाहे आदर्श विद्यालय होय या सत्यनारायण मा. वि. या फेर सरस्वती मा. वि. – पुरान सँ पुरान आ नव सँ नव विद्यालयमें लगभग २००० ई. धरि मैथिले शिक्षककेर बाहुल्यता कम से कम विज्ञान, गणित, अंग्रेजी समान प्रमुख विषयमें तऽ अरवधिके रहल किऐक तँ १९९० – १९९७ तककेर शिक्षण पेशाकेर व्यक्तिगत अनुभव हमर अपनहि अछि, एवं हमरा समयमें एहि बिराटनगरमें गोविन्द देव पंतकेर गणितक पुस्तककेर प्रकाशन नवे-नवे भेलापर बहुत गिनल-चुनल शिक्षक छलाह जे समग्र हिसाबके समाधान कऽ सकैत छलाह, ताहि समयकेर हरि नारायण सर, नन्दी सर, अर्जुन सर, रतिकान्त सर, अशोक सर, सूरज सर, मा. वि. स्तरकेर विद्यार्थीक प्रमुख शिक्षक लोकनि रहलाह – माँ सरस्वतीक विशेष कृपासँ हमर व्यक्तिगत अनुभव अरनिको, सिद्धार्थ एवं सेन्ट जोशेफमें गणितकेर अध्यापककेररूपमें रहल।

तऽ हमरा अनुभवमें एहि बिराटनगरके आइ एतय धरि आनयमें संपूर्ण मैथिलकेर बहुत पैघ योगदान अछि – हमर अनुभव तुच्छ पड़ि जैछ, मुदा मैथिलकेर योगदान कदापि नहि। कि एहि बिराटनगरके लोक टा नहि बल्कि समग्र नेपाल राष्ट्रकेर लोक ई. रमाकान्त झाजीकेँ बिसरि सकैछ? कि आदरणीय शिक्षक श्री गजेन्द्र झाजी (आदर्श स्कूल) केँ बिसरि सकैछ जे जाबत धरि शिक्षण पेशामें रहलाह ताबत धरि एहि बिराटनगरकेर तीन प्रधानमन्त्री पुत्रकेर समेत अपन प्रभावसँ जुड़ल कहैत रहलाह – बि.पी., मातृका एवं गिरिजा – एहि बिराटनगरकेर तीनू बेटा जिनक सान्निध्य पौलाह ताहिमें मैथिलकेर जबरदस्त योगदान रहलन्हि। तहिना हमर छोट अनुभवमें एहि बिराटनगरकेर जे केओ स्थायी वासिन्दा छथि, ओ भले कोनो मूल केर होइथ, मुदा मैथिली एवं मैथिलेकेर प्रभावसँ वञ्चित कदापि नहि छथि।

परन्तु विडम्बना जे आइ मैथिल अपन पहचान एवं योगदानके स्वयं कोन्टापर छोड़ि व्यक्तिगत-विकास टाके लक्ष्य बुझि जानि भटकि रहल छथि। जखन कि आबहि हुनका लोकनिक योगदानकेर समुचित सराहनाकेर समय आयल अछि, जखन नेपाल संविधान सभाकेर मार्फत नव-संविधानकेर रचनाक्रममें अछि। एहि समयमें राजनीतिक अवस्था एहि बिराटनगरकेर एहेन छैक जे विभिन्न समूह अपन-अपन दावी पेश करय हेतु पैघ-पैघ आयोजन केलक, कऽ रहल अछि। तखन मैथिलक योगदानके अविस्मरणीय बुझैत एहि ठाम एगो विशाल आयोजनकेर आवश्यकता बुझैत छल। बेर-बेर अपन मित्रवर्ग एवं श्रेष्ठ अग्रजकेर संग कलाक्षेत्रसँ जुड़ल जुझारू व्यक्तित्व सभकेँ कहियैन जे बिराटनगरमें भव्य मैथिलीकेर समारोह होय एवं मैथिलकेँ सेहो बुझैन जे एहि बदलैत नेपालमें अपने लोकनि बिराटनगर निर्माणकर्ताकेर रूपमें अपन सत्य-पहचान सँ अवगत होय, तेकरा लेल विद्यापति सँ बढिके कोनो दोसर व्यक्तित्व नहि भऽ सकैत छथि जिनक नामपर जे परंपरा हमरा लोकनि विकास कयने छी एकजूटताकेर लेल, से करी। एतबा छोट बिराटनगरमें नामित संस्था, जे मैथिलीसँ जुड़ल छथि, कमी नहि छैक। तखनहु एतेक पाछाँ कोना? तत्परता एवं साहसकेर कमी मात्र एकर कारण अछि एवं स्वार्थसँ हँटिके मातृभाषा एवं मूल-मिथिला-संस्कृतिप्रति हमरा लोकनिक रुचिमें कमी सेहो प्रमुख कारण बुझैछ। जातिवादिता तऽ स्थापित दुश्मन अछिये – इ दानव तऽ सभ भाषाकेर शत्रु बनि रहल अछि। जखन आपसमें मेले नहि, तऽ सद्भावनासँ भरल कोनो सांस्कृतिक कार्यक्रम केनै असंभव होइछ।

खैर कहबी छै कि नऽ जे जाबत धरि ईश्वरकेर मंजूरी नहि भेटत तऽ कोनो कार्यक्रम नहि होयत – तहिना लगभग पछिला डेढ सालसँ विचार करैत-करैत अचानक एक दिन नव संस्था जेकर शायद ताहि दिन नींव राखल गेलैक – मैथिल ब्राह्मण समाज, एहि समाजकेर तत्त्वावधानमें एगो सम्मेलनमें हिस्सा लेवाक क्रममें हुनका लोकनिसँ एहि प्रकारक एगो पैघ कार्यक्रम करबाक विचार आदान-प्रदान भेल एवं हुनका लोकनिक समर्थन सेहो भेटल। मुदा जानि नै कि भेलनि ओहि संस्थाकेर क्रियाशील कार्यकारिणी-सदस्यकेँ, जे गोटेके दिन बाद अपनाकेँ सम्मिलीतरूपसँ कोनो कार्यक्रम करबामें असमर्थ बुझलाह परन्तु सहयोग करब से धरि अवश्य गछलाह। खैर एहि बिराटनगरमें डा. सुरेन्द्र नारायण मिश्र धाकर लोक छथि – मैथिलीप्रति हुनक श्रद्धा एवं त्याग अति-सराहनीय रहल अछि। हुनकहि स्थापना कैल एक अति-प्राचिन संस्था मैथिली सेवा समितिकेर नाम डा. साहेब हमरा सुझौलन्हि, मुदा हमरा वैचारिक मतभेद रहल मात्र एतबा लऽ के जे हम सुनैत रहियै जे मैथिली सेवा समिति मात्र ब्राह्मणेटाकेर संस्था छैक वा छलैक, जखन कि विचार सभ जाति-धर्मके जोड़िके करबाक छल। लेकिन डा. साहेब हमर भ्रमके दूर कयलाह आ अत्यन्त सक्रियतासंग डा. एस. एन. झा सँ विचार-विमर्श करैत शीघ्र प्रा. जीव ना. झा – निवर्तमान अध्यक्ष मैथिली सेवा समिति जे अनेक व्यक्तिगत कारण सँ तथा मैथिल-समुदायकेर असहज उदासीनतासँ दुःखी भऽ लगभग छः वर्ष सऽ संस्थाक संग स्वयं उदासीन भऽ गेल छलाह – हुनकासँ सेहो विचार-विमर्श करैत एगो आमसभा कय एहि कार्यक्रमके करैक लेल अग्रसर होय से निर्णय भेल। आमसभामें लगभग सभ टोल, स्थानीय दलगत नेता एवं संस्था आदिकेर लगभग ५०-६० गोटे व्यक्तित्व सभक सहभागिता भेला उपरान्त एहि कार्यक्रम करबाक निर्णय कैल गेल। मुदा अफसोस जे कोनो असान्दर्भिक कारण देखबैत किछु गोटे कार्यक्रमके शुरुवेमें ध्वस्त करय लेल सेहो प्रयास केलाह। बहुत शर्मनाक छल ओ समय जाहिमें अर्थ केर अनर्थ लगयबाक किछु छुद्र-प्रयास सेहो भेल – मुदा जखन ईमानदार प्रतिबद्धता रहत तऽ साक्षात्‍ महादेव अपन त्रिशूल पर भक्तकेर अभिलाषा पुर्ति करैत छथि, ई विश्वास अटल छल। ताहि हेतु आन्तरिक शक्ति कथमपि नहि घटल। उलटे हँसी मात्र आयल जे अशुद्ध हृदय सँ केओ शुद्ध हृदयपर राज कऽ सकैछ?

ताहि आमसभामें हुर्र भऽ गेल। जिनक हृदयमें हुर्र करऽ के भावना छल से हुर्र कऽ के फुर्र भऽ गेला। आब बचलहुँ मुश्किल सऽ १५-२० गोटे – मुख्य रूपसऽ मैथिली सेवा समिति, मैथिली विकास अभियान, पूर्वाञ्चल मैथिल युवा सञ्जाल, चित्रगुप्त कल्याण समाज, केवट कल्याण समाज एवं किछु स्वतंत्र स्वाभिमानी व्यक्तित्वकेर निरंतर सहभागिता उत्साहकेर गाड़ीकेँ पटरिये पर राखलक। हमरा लोकनि कार्यक्रमकेर संयोजक चिर-परिचित-कलाप्रेमी एवं समाजसेवी-बुद्धिजीवी तकनीकी शिक्षण पेशासँ जुड़ल श्री भगवान्‍ झाजीकेँ प्रस्तावित करैत सभक समर्थन लेल। तेकर उपरान्त क्रमशः हमरा सह-संयोजक, श्री राम भण्डारीजीकेँ सचिव, श्री अरविन्द मेहताजीकेँ सह-सचिव, श्री महेश लाल कर्णजीकेँ कोषाध्यक्ष, ई. श्री अरविन्द लाल कर्णजीकेँ सह-कोषाध्यक्ष एवं क्रमशः राजेशजी, श्यामनन्दनजी, नविनजी, प्रेमजी, रामदेवजी, अजितजी, सन्तोषजी, विनिताजी, निर्मलाजी, रामविलासजी, श्यामसुन्दरजी, बरुणजी, कविताजी, राजेन्द्रजी सहित अति-सराहनीय योगदान देनिहार संरक्षक समितिमें डा. सुरेन्द्र ना. मिश्र, प्रा. श्री जीवनारायण झा, डा. श्री एस. एन. झा, प्रा. श्री राज नारायण यादव एवं श्री सुरेश शर्माकेर बनायल गेल। मुदा विडंबना कहु एकरा जे शुरु-शुरुमें तऽ हमरा लोकनि अपन-अपन विचार देबाक हेतु किछु दिन तऽ निरंतर बैठक कयलहुँ – परन्तु अचानक किछु सदस्यकेँ पेट-झड़ी, तँ किछु केँ बातरस आदि नहि जानि कोन-कि बीमारी लगलन्हि या कि भेलन्हि – हुनका लोकनिसँ दर्शन सेहो दुर्लभ रहल जाबत कार्यक्रम सम्पन्न नहि भऽ गेल। किछु गोटे सँ बीचमें भेंट भेल तऽ एतबी कहिके साइड भऽ गेलाह जे कार्यक्रम बहुत महात्त्वाकांक्षी बनि गेल, नहि जानि संभव होयत कि नहि!! किछु गोटे सँ जोर-सँ झड़प सेहो भेल। निकम्मा लोक सभ बोली बड भड़ियायल बजताह – कहबी छै कि नऽ – करम शुन्ना आ बाजब दुन्ना!! खैर हम पहिले कहलहुँ जे हृदयमें दृढ विश्वास राखू आ बाकी शरणागत बनल रहू – बाकी कार्य साक्षात्‍ परमपिता परमेश्वरकेर कृपासँ होइछ। बस!! आगु बढैत रहलहुँ हमरा लोकनि किछु गोटे। विश्वास नहि होइछ – जखन डा. द्वयकेर क्लिनीक बँद राखि द्वारि-द्वारि घूमि एहि कार्यक्रमकेर सफलता हेतु आर्थिक सहयोग संकलन कयलन्हि। हमर अपन गपे हम कि कहु, बस महादेवकेर चेक हमरा अवश्य भेटत, जीवनकेर हरेक मोड़पर हुनकहि सहयोग सकारथ भेल।

भेलो तहिना – हमरा लोकनि मिलि-जुलि तीन गोटे मात्र मुख्यरूपसँ आर्थिक संकलनकेर कार्य सभ क्रियाशील सदस्यकेर सहयोग सँ सम्पन्न कयलहुँ। बिराटनगर उप-महानगरपालिका, जिला विकास समिति (मोरंग), शारडा ग्रुप (एशियन थाई फूड्स प्रा. लि.), गोल्छा अर्गनाइजेशन, विशाल ग्रुप, के. एल. दुगड़ ग्रुप, बोहरा ग्रुप, मोरंग ब्यापार संघ, उद्योग संगठन मोरंग, काबरा ग्रुप, बैंक अफ एशिया, लक्ष्मी बैंक, कु. राजेन्द्र झा, रमेश जी कर्ण, सहित समग्र मैथिल एवं अन्य समाजकेर अपूर्व आर्थिक सहयोग भेटल। हिनक सद्भावकेर प्रति हम बेर-बेर नमन करैत देवाधिदेवसँ हिनका सभक उत्तरोत्तर प्रगतिकेर कामना करैत छी। वैचारिक सहयोग तऽ सभक भेटल – मुदा मैथिल समाज एवं विशेषतः जे सहभागी संस्था सभ छलथि हिनकहि वैचारिक सहयोगमें पता नहि केकर नजरि लागि गेल छल! जेना-तेना समय बितैत रहल एवं तैयारी बस ५-७ गोटे मिलिके बनबैत रहलहुँ। फेरो कहब जे आन्तरिक शक्ति मात्र संग छल, बाकी सभटा सिर्फ कन्छियाइत देखलहुँ।

कार्यक्रमकेर प्रारूप झाँकीसँ शुरु करैत उद्‍घाटन समारोह, विचार गोष्ठी, विद्यापति स्मृति सांस्कृतिक कार्यक्रम, छूआछूत-भेदभाव विरोधी नृत्य-नाटिकाकेर प्रस्तुति, कवि गोष्ठी, मैथिली नाटक, बाल कला प्रस्तुति, महिला अधिकार पर चर्चा, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं भाषिक विकासपर चर्चा आदि छल; इ सभ कमो-वेशी पूरा भेल। जखन कि हमरा लोकनि बेर-बेर प्रयास कयल जे कार्यक्रमकेर प्रारूप संक्षिप्त एवं सुन्दर होय, मुदा त्रुटि तऽ कार्यक्रमकेर अंश होइछ, से जरुर रहल। योजना बनाबय सँ लऽ के योजनाके कार्यान्वयनमें संयोजनकेर बहुत पैघ कमी भेल, किऐक तँ कार्यकर्ताक कमी रहल।

मुख्य अतिथिकेर चयन बहुत पैघ समस्या बनल – जतय हमरा लोकनि सम्माननीय राष्ट्रपति महोदयकेर नामपर आशान्वित रही, हुनका सऽ भेटय हेतु सभासद बब्बन सिंह एवं वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक श्री अंजनि कुमार सिंहजीकेर निर्मलजीकेर संग कयलहुँ, १५ मिनटकेर जगहपर ४५ मिनट समय देलाह परन्तु व्यक्तिगत मजबूरी देखौलाह जे प्राथमिक विद्यालयकेर उद्‍घाटन में राष्ट्रपति द्वारा करायल जायत तऽ पदकेर गरिमा घटत, जहिया युनिवर्सिटीक उद्‍घाटन होय तऽ समय अवश्य भेटत। अन्ततः हुनक सद्‍विचार हुनकर सचिव महोदय मार्फत अवश्य प्राप्त भेल, और बहुत चैंकसहित सुन्दर सद्भाव भेटल। हुनक धन्यवाद! तदोपरान्त हमरा लोकनि उपराष्ट्रपतिजीसँ समय लेल, अफसोस जे देल समयपर अन्तिम क्षणमें कोनो अनिवार्य कार्य पड़लाहसँ हुनका सँ भेंट नहि भऽ सकल, मुदा हमर परम आदरणीय ज्येष्ठ भ्राता श्री अंजनि कुमार सिंहजी हमरा लोकनिक पत्र लऽ हुनका सँ भेंट कयलाह एवं हमरा लोकनिक हार्दिक निमंत्रणके अग्रसारित कयलाह, से खबर भेटल। मुदा सम्माननीय उपराष्ट्रपति महोदयकेँ शायद हमरा लोकनिक एहि प्रकारके भाया-मिडिया पसन्द नहि पड़लन्हि वा पता नहि कि भेल! तदोपरान्त कार्यक्रमप्रति शुरुवे सँ सकारात्मक सहयोग करयमें सदैव अग्रसर एवं एहि बिराटनगरक माटिसँ भीजल अति महत्त्वपूर्ण नेता एवं देशकेर उपप्रधानमंत्री श्री विजय कुमार गच्छदारजीकेर सहसा बिराटनगरक दौड़ा छल जेकर जानकारी हमरा लोकनिक तेजस्वी युवा नेता – मधेशी युवा फोरम (लोकतांत्रिक) केर केन्द्रिय सदस्य श्री रंजित झा देलक एवं हमरा लोकनिक सम्माननीय उपप्रधानमंत्रीजीसँ भेटवाक कार्यक्रम सेहो निश्चित कऽ देलक। धन्यवाद रंजित! तोरा महादेव एहि हेतु समुचित आशीर्वाद अवश्य देथुन्ह! सम्माननीय उपप्रधानमंत्री ताहि समय कार्यवाहक प्रधानमंत्री छलाह एवं हमरा लोकनि निमंत्रणकेँ सहृदयता स्वीकार कयलाह, उलटे धन्यवाद देलाह जे ताहि कार्यक्रमकेर उद्‍घाटन कयलाहसँ हुनकर सम्मान बढत एवं मैथिल भाषा-भाषी बुद्धिजीवी श्रेणीमें पड़ैत छथि जिनका ऊपर देशकेर विद्यमान अनिश्चित वातावरणकेर सुधारमें योगदानकेर आकांक्षा सेहो रखैत छथि, ताहि प्रकारेन्‍ हमरा लोकनि एगो कर्मठ एवं ईमानदार प्रखर हस्ती प्रमुख अतिथिकेर रूपमें पाओल। महादेव! अपनेकेँ अनेक धन्यवाद!

मुदा ई की? किछु गोटेकेँ एहि चुनावसँ अप्रसन्नता भेलन्हि! हाय राजनीति!! जातिवादिताकेर राजनीति!! धर्मपर राजनीति!! समुदायपर राजनीति!! राजनीति हर चीज में!! न! हमरा तऽ अपच्च बुझैत अछि। औ जी! अपने जतेक सोचलियै तही तरहें यदि हमरो लोकनि सोचितियै तखन ने? नहि – नहि! हमरा लोकनि तऽ और जोड़ि के चलय हेतु कदम उठौलहुँ। सभ गपकेँ राजनीतिके – सेहो अस्वच्छ राजनीतिके चश्मासऽ नहि देखियौक। मधेशवादी दल सभक एकता हर दिन खतरा में पड़ि रहल अछि। हमरा लोकनि तऽ ई क्षमता रखैत छी जे अपने लोकनिकेँ दु मिनटमें एक बना दी, हमरा लोकनि जनता छी। कि बुझैछ – अहाँ जेना खेल करब से हम सभ मानि लेब? कदापि नहि!! हमरा लोकनिक भावनाँ सँ यदि अपने लोकनि खेलवाड़ करब तऽ कतहु भऽ के नहि रहब! सावधान!! जनताकेर भावना सर्वोपरि, अपने लोकनि झूठ घमण्डके त्याग करू। चुनाव बेर-बेर होइछ। एक बेर अहाँके मौका देलक, यदि चूकि गेलहुँ तऽ फेरो कहियो अहाँ पर भरोस नहि हेतैक आम जनता के! सावधान!! प्रतिबद्धता केवल मधेशकेर मुद्दापर हेवाक चाही, आपसी द्वंद्वमें जुनि फँसू। भूलवश यदि अहाँ सभ एक नहि होयब एवं गुजरैत समयकेर संग छुद्र-व्यवहारकेर प्रदर्शन करब तऽ दोसर बेर जनताकेर भावनामें ओ जोश कदापि नहि भेटत। महादेवकेर तीनटा आँखि होइत छन्हि! एहि बातकेँ सदिखन याद राखू। हमरा लोकनि जखन मझधारमें छलहुँ, कार्यक्रम कोना होयत तेकर चिन्ता में डूबर छलहुँ, अहाँ एको बेर पुछारियो नहि कयलहुँ और जखन हमरा सभ महादेवकेर कृपासँ प्रमुख अतिथिकेर चुनाव कय लेलहुँ, हुनक आश्वासन एवं सहयोगकेर आधारपर कार्यक्रम कराबय सक्षमता पाबि लेलहुँ तखन पुनः भाँड़ैकेर मन्शा जुनि राखू। आबो आउ, मिलि-जुलिके कार्यक्रमकेर सफल बनाबी। एहि कार्यक्रमकेर मूल उद्देश्यकेर लब्धितरफ मस्तिष्क भिड़ाबी। आलतु-फालतु बातमें व्यर्थ समय खराब किया करैत छी?

आब आउ! कार्यक्रमकेर सफल संयोजनकेर दिशामें अपने लोकनि सँ किछु अपन मनक गप सेहो साझा करी। शुरुवे सँ मुख्य संयोजनकेर दिशामें परम आदरणीय एवं समर्पित मिथिलाक सत्य-सपुत श्री धीरेन्द्र झा ‘प्रेमर्षि’ जीकेर विचार रहल। सहभागिता किनका सभक होय – कोनाक आमंत्रित कयल जाय – सम्पर्क हेतु ठिकाना कि – आदि समग्र बातपर हुनकहि योगदान एवं कार्य-निष्पादन प्रभुजीकेर दयासऽ हमरा लोकनि मिलि-जुलि करैत रहलहुँ।

बाबाकेर असीम आशीर्वाद – श्री कुञ्ज बिहारी मिश्रजी, श्री सियाराम झा सरसजी, डा. भुवनेश, डा. तारानन्द वियोगी, सुश्री रंजना झा, मिथिला नाट्‍य कला परिषद (जनकपुर), श्री श्याम सुन्दर श्याम, श्री हिन्दुस्तान – भागलपुर संपादक (विनोद बंधुजी) सहित मनोहरजी, श्री मुखीलाल चौधरी, श्री परमेश्वर कापड़ि, श्रीमती मिना ठाकुर, श्रीमती साधना झा, श्री देवेन्द्र मिश्र, श्री मिथिलेश झा, सहित लगभग हरेक अतिथि सभ एकहि बेरमें प्रसन्नतासहित या तऽ आयब से कहलन्हि या फेरो समयाभाव या कोनो अन्य प्रकारकेर कठिनाइकेर कारण आबयसे असमर्थता जतौलन्हि। नहि आबयमें डा. भुवनेश (अररिया), सुश्री रंजना झा, श्री विनोद बंधु, श्री मुखीलाल चौधरी एवं श्री मिथिलेश झा रहलाह – मुदा हिनका लोकनिक विशेष कऽ के डा. भुवनेशजीकेर नहि सिर्फ बेर-बेर फोन द्वारा समाचार सभसँ अवगत होयबाक क्रम लागल रहल बल्कि विशेष कृपास्वरूप आर्थिक सहयोग, लेख-रचना, पुस्तक आदि सभटा विशेष दुत-मार्फत पठौलन्हि। हमर हृदय हिनक आशीष एवं उत्साहवर्धक बातकेर पुनः-पुनः याद करैछ एवं आभार प्रकट करैछ, हम माँ भगवतीसँ हिनक दीर्घायू एवं स्वस्थ होयबाक प्रार्थना करैत छी। हिनकहि सनक विभूति मिथिलाकेर सम्मान पुनः लौटा सकैत छथि। जे अतिथि अयलाह – ताहिमें श्री कुञ्ज बिहारी मिश्रजी पहिल दिनका वास्तविक नायक रहलाह, हुनका संग आयल हास्य कलाकार, गायिका, विशेषतः बैञ्जोवादक एवं नालवादकजी सभक संपूर्ण बिराटनगरवासी आभार प्रकट करैत छथि। हमरा लग तऽ धन्यवाद करैक लेल शब्दे नहि अछि, हम तऽ हुनक जय-जय भैरवि सुनि साक्षात्‍ माता भवानीकेर ओ रूप देखल जे वास्तवमें कवि कोकिल विद्यापति देखने छलाह एवं आजुक जन-जनकेर ठोरपर शोभित गोसाउनिक गीतकेर रचना कयने छलाह। जय हो! जय हो कुञ्जबिहारीजी!! अपने धन्य छी जे हमरा लोकनिकेँ धन्य कयलहुँ। बिराटनगरवासी गौरवान्वित महसूस करैत छथि जे हिनका लोकनिकेँ श्री सियाराम झा सरसजीकेर विभिन्न प्रसिद्ध रचना हुनकहि मुँहसँ सुनलन्हि – हुनक विभिन्न प्रसिद्ध पुस्तक सेहो प्रसादस्वरूपमें भेटलन्हि। हिनक गजल एहेन शमां बनेलक जे हमरा लोकनि सभ डूबि गेल छलहुँ – पोखैर खुनाके … आह! हमरो चढौने होउ तऽ बलियो चढा दिहें!! कतेक सुन्दर!! एकदम शहादतकेर लेल प्रेरित करैत रहल!! जय हो!! जय हो!!

दोसर दिनका कार्यक्रममें धिया-पुता सभक लेल स्टेज देल गेल। लगभग दू घन्टा धरि बच्चे सभ तबला बजौलक, हारमोनियम बजौलक, गीत गौलक, तेकर उपरान्त विभिन्न स्कूल द्वारा विद्यार्थी-बच्चा द्वारा फैसन शो, नृत्य, गीत आदि प्रस्तुत कैल गेल।

कवि गोष्ठी तऽ रिकार्ड तोड़ि देलक – करीब दू घन्टा मात्र चलत से विचार छल, मुदा कवि-समागम एहेन भेल जे लगभग चारि घन्टा चलल। एक-पर-एक रचना – एक-पर-एक प्रस्तुति!! एतबा उत्साह भेटल जे आब हमरा लोकनि महिने-महिने एहि प्रकारक गोष्ठी करब एवं ताहिमें से छनौता तिनके लऽ के आगामी गोष्ठी विद्यापति स्मृति समारोहकेर मंचपर करब, से निर्णय रेडिमेड समान लेल।

एवम्‍ प्रकारेन्‍ कोनो एहेन कार्यक्रम नहि जेकर प्रशंसा वास्तवमें हमर टूटल-फूटल भाषामें कऽ सकी! मिनाप तऽ बुझायल जेना मैथिली संस्कृतिकेर प्रदर्शन करयवाला अथाह समुद्र रहय!! वाह नेहा!! कतेक सुन्दर आधुनिक शैलीकेर मिश्रण कयने रही अहाँ। ग्रेट!! सिम्पली ग्रेट!! जेहने बाप तेहने बेटी – या आब कहि सकैत छी जे बाप तऽ बाप, बेटी तऽ बापो के टपत ख्यातिमें!! नेहा वास्तवमें सुनील मलिकजीक पुत्री छथि जे आगामी दिनक मैथिलीकेर स्टार जरुर बनती। हमरा लोकनि हिनकर मनोबल कोना बढा सकब ताहिपर मंथन जरुर करी। बाकी मिनापकेर अनेक प्रकारकेर कार्यक्रम एवं विशेष प्रस्तुति डोमकच्छ नाटककेर भेल जे पूरे विरेन्द्र सभागृह हॅलकेँ एको ईन्च जगह बाकी नहि रहऽ देलक एवं जाहिमें पिन-ड्रप साइलेन्स रहल नाटक पूरा होइत धरि!! वाह!! तेकर बाद एक-पर-एक नृत्य!! कोन कार्यक्रमकेर चर्चा करी और कोन के नहि! सभ एक पर एक!!

समापन कार्यक्रम तऽ एहेन शमां बन्हलक जे सभ विभोर भऽ गेल छल। हमरो अपन दु शब्द बाजय केर मौका भेटल – मुदा तुच्छ-छुद्र हमर चरित्र हड़बड़ैते सिर्फ बाबाकेर जय-जयकार करैत सहयोगी सभकेँ भाव के अनुसास फल भेटतन्हि ततेक बजैत ललित बाबुकेर उक्तिके स्मरण कयल – हमरा लोकनि रही या नहि, मातृभूमि एवं मातृभाषाकेर विकास हेवे टा करतैक! बिराटनगरमें विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६७, क्रमशः २०६८, ६९, ७०, ७१ एवं अनन्ततक होइत रहतै से प्रार्थना करैत जनमानस मैथिल समाजकेँ आगामी कार्यक्रममें सिर्फ मैथिले केर आर्थिक सहयोगसँ एहि प्रकारक कार्यक्रम हेतै तै हेतु चरण पकड़ि आशीष मँगलहुँ।

माननीय सभासद्‍ श्री नंदन दत्त द्वारा झाँकी जखन भिन्सरे बिराटनगरकेर बाजार होइत रणभेड़ीकेर ध्वनिसँ समग्र नगरवासीकेँ जाग्रत करैत परिक्रमा करैत गाजा-बाजा-नारा सहित लगभग ५००० जनसमुदायकेर कतारबद्ध जुलूस तीन-मुर्ति चौकपर पहुँचल तऽ विद्यापतिकेर प्रतिमापर फूल-माला अर्पण करैत अपन दू शब्द राखि सहभागी सभक उत्साह बढौलन्हि, हुनक संग ऋषि परशुराम समाजकेर अध्यक्ष एवं गणमान्य सदस्य सभ द्वारा सेहो फूल-माला अर्पण एवं संबोधन कैल गेल। हिडिप्पा संस्कृति परिवारकेर अध्यक्ष हमरा लोकनिक संरक्षक श्री श्याम अधिकारीजी मधुर नेपाली भाषामें सभके उत्साह बढौलन्हि। तेकर उपरान्त जुलूस पुनः गोल्छा चौक, सिडिओ कार्यालय चौक, शहीद मैदान होइत विरेन्द्र सभागृहमें प्रवेश करैत सभामें परिवर्तित भऽ गेल। तखनहि प्रमुख अतिथि महोदयक सेहो शुभागमन भेल एवं विधिवत्‍ कार्यक्रमकेर दीप्ति प्रज्जवलन करैत विद्यापतिजीपर माल्यार्पण करैत शुरु भेल। मंचपर लगभग २५-३० गोटे अभ्यागत – सभासद – संस्थाध्यक्ष आदिकेर आसन्न-ग्रहण करैत प्रमुख वक्ता डा. सी. के. लाल, डा. राम अवतार यादव, महा-विद्वान्‍ बिहार विश्वविद्यालयसँ विशेष आमन्त्रित डा. देवेन्द्र झाजी, सहित प्रमुख अतिथि अपन स्वाभाविक बोली मैथिलीमें अति महत्त्वपूर्ण संबोधन कयलन्हि एवं समग्र मैथिली समाजपर उत्तरदायित्व वहन करय हेतु ओहि मंचसँ काठमाण्डु धरि आवाज पहुँचाबय हेतु आह्वान कयलन्हि। पैघ दल सभक असमर्थता एवं असफलतापर चुटकी लैत ओ छोट दल सभकेँ मौका देबाक लेल सेहो घोषणा कयलन्हि जेकरा समूचा जनमानस ताली बजबैत भव्य स्वागत कयलन्हि।

तदोपरान्त माननीय सभासद श्री जयराम यादवजी द्वारा बाल चित्रकला एवं मैथिली सांस्कृतिक एवं खानपान प्रदर्शनीकेर उद्‍घाटन कयल गेल। संगहि मिथिलाकेर विशेष भोजनकेर आस्वादन कयल गेल। खानपान स्टॅलपर भीड़ लागल रहल। लगभग ७ गो स्टॅल खानपानकेर छल। चित्रकला एवं अन्य प्रदर्शनीकेर सेहो समुचित व्यवस्थापन छल। स्कूली बच्चा सभकेर कला-प्रोत्साहन हेतु चित्रकला प्रदर्शनी हेतु एगो विशेष स्टॅल छल।

पहिल बेर एहि प्रकारकेर विशाल कार्यक्रमकेर आयोजन कैल गेल रहय। त्रुटि सभ बहुत रहल – मुदा कार्यकर्ताकेर कमी एकर प्रमुख कारण बुझायल। साउण्ड लाईट आदि केर सेहो कमजोरी छल। तथापि आगामी दिनमें नीक करब से प्रतिबद्धता दोहराबैत छी।

इति शुभम्‍!

हरिः हरः!!