कथा
– प्रवीण नारायण चौधरी
गाम मे उगनाक बाबु एगो मन्दिर पर भगवानक सेवा मे लागल छलाह। ओ कोनो बड पैघ विद्वान् पंडित छलाह से बात नहि रहैक। बल्कि भगवद्भक्त रहथि आर गामक समाज केर वरिष्ठ बुद्धिजीवी लोकनि हुनकहि पर भगवान् केर सेवाक भार दैत मन्दिरक चढाबा आदिक संग दु साँझ भगवानक भोग संग हुनको भोजन, बरख मे पूजा-प्रयोजन पर नव वस्त्र आदि देल जाएत छलन्हि। चढावा गाम-घरक मन्दिर पर १०-२० टाका नित्य भेट जाएत छलन्हि, संगहि जहिया किनको घर पर भगवानक पूजा होएत छल तऽ ओ शालीग्राम भगवान् आ घड़ी-घंट आदि पहुँचाबैथ ताहि लेल सेहो हुनका ११-२१ केर दछिना लोक सब सँ भेट जाएत छल। उगनाक माय आ ३ भाय केर संग चारि बहिनक परिचर्चा भगवानक भरोसे चलि जाएत छल। उगना सब सँ जेठ रहय, ओ गामहि केर विद्यालय सँ मैट्रीक धरिक पढाई सेहो कएने छल। विद्यार्थी जीवन सँ एकटा रामलीला कंपनी मे बच्चा राम केर भूमिका निर्वाह करय, तऽ ओकरो किछु न किछु आमदनी भऽ जाएत छलैक। रामलीलाक परंपरा रहैक जे राति मे भगवान् राम केर कथा पर आधारित नाटक होएक, आ भैर गामक लोक भगवानक लीला देखय, भगभवद्भक्ति सँ ओत-प्रोत ओहि कलाकार सब लेल कोनो न कोनो सक्षम व्यक्ति माला उठाबय, अर्थात् भोजन-भातक इन्तजाम अत्यन्त श्रद्धाक संग अपना ओतय करय, सब कलाकार आ रामलीला कंपनीक ठेकेदार, व्यास, आदि सब केओ एक संगहि आबिकय भोजन करैत रौतका हिस्सा सेहो सिद्धा (चाउर-दालि-तरकारी बिन पकायल) ओत्तहि सँ लऽ जाय। ओकरा सब संग उगना राम केर रूप मे सैज-धैजकय बैसय, संग मे जानकी, भाइ लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न आ महावीरजी (हनुमानजी) सेहो झाँकीक रूप मे माला उठेनिहारक घर पर आबय, आस-पड़ोसक लोक सब सेहो एना झाँकीरूप भगवानक दर्शन करबाक लेल आबय आ कतेको तरहक चढाबा सब चढाबय। सब मे एकटा अटूट श्रद्धा देखल जाएक। उगना सेहो अत्यन्त गंभीर आ भगवान् समान मुस्कियाएत हाथ उठौने आशीर्वाद देबाक अभय मुद्रा मे लोक सब केँ खूब आशीर्वाद दैत छलैक। मुदा जखन ओकर मेकप उतैर जाएत छल तऽ उगना बड गंभीर आ चिन्तित भऽ जाएत छल। ओकर चिन्ताक कारण अनेक छलैक। घर मे माय केर बात सब सुनय आ बहिन सबहक विवाह लेल सोचय, भाइ सब केँ पढेबाक लेल सोचय, पिताक सिमित आमदनी सँ घर नहि चलि पबैत अछि ताहि सब बात सँ ओ बेसीकाल पीड़ा मे रहय। ओ अपन रामरूप मे सौंसे नगरक लोक केँ आशीर्वाद देबाक बात सोचय आ एम्हर अपने कतेक कष्ट सँ जीवन चला रहल छल ताहि पर विचार करय। चिन्ता स्वाभाविके रहैक। जेठ पुतक यैह जिम्मेवारी मिथिलाक मूल संस्कार मे आदिकाल सँ रहल अछि। राजनीति केर पैंतरा मे भले आइ कियो मुशहर समाजक बच्चा केर भविष्य बनेबाक नाम पर विश्व भरि दानशील सँ दान देबाक अपील करय, मुदा मिथिलाक मुशहरो समाज मे स्वाभिमान केर ज्योति सदैव प्रखरता सँ चमकैत देखल गेल अछि।
उगना जाहि रामलीला कंपनी मे काज करैत छल, ओकर मालिक सेहो एकटा जुझारू पंडित छलाह। रामायण पूरा हुनक कंठहि मे विद्यमान् रहय। व्यासक कार्य ओ अपनहु करैत छलाह। हारमोनियम पर बैसिकय ढोल-नाल-तबला ओ झालिक संग-संग बाँसुरी आ बैन्जो आदि सब संग नीक तालमेल बैसबैत रामलीला शुरु होयबा सँ पहिनहि ओ एनाकय सांगीतिक धून बजबैथ जेकर आवाज लाउडस्पीकर पर सुनिते लोक सब बुझि जाएक जे आब रामलीला शुरु हेतैक, चलै-चलू, व्यासजी बैसि गेल छथि। अत्यन्त भक्तमान् ओ मालिक राम केर चरित्रगान करैत-करैत स्वयं एकटा सिद्ध महात्मा बनि गेल छलाह। वैह निर्देशक सेहो छलाह। दिन भैर कलाकार सब सँ प्रदर्शनक गुर सब सिखबाक लेल संगत करैत छलाह। एतेक सुन्दर तालमेल छल ओहि कंपनी मे जेकर वर्णन नहि कैल जा सकैत अछि। रामायणक सब काण्ड अनुसार करीब ३० दिन मे समूचा प्रदर्शन करबाक कार्य कैल जाएत छल। बीच-बीच मे छकरबाजी – अर्थात् नटुआ केर नाच सेहो देखाओल जाएत छलैक। आइ-काल्हि कमर्शियल ब्रेक समान ताहि दिन सेहो जोकर केर भूमिका मे हास्य-प्रहसन आ छकरबाजी नाच आदि देखाओल जाएत छलैक। उगना जखन राम बनिकय मंच पर सीता सहित अपन दरबार मे आबैत छल, ओकर कन्हा पर तीर धनुषक योग आ सुन्दर सनक जटाजुट बान्हल मंच पर अबिते देरी व्यासजी श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणम् केर गायन आरम्भ करैत छलाह, सगरो नगरक जुटल लोक ओतय ठाढ भऽ सीता-राम भगवान् आ हुनक समाज सहित केँ प्रणाम समर्पण करबाक लेल ठाढ भऽ जाएत छल। माहौल बनि जाएत छलैक। भैर नगरक लोक बाग-बाग भऽ जाएत छल। ओ सब अपन जीवन केँ सराहब शुरु कय दैत छल। आब आइ फेर भगवानक फल्लाँ लीला देखब, ई सोचियेकय बुझनिहार लोक आत्ममुग्ध भऽ जाय आ नहि बुझनिहार सेहो जिज्ञासू बनिकय आगू कि होयत ताहि लेल प्रतीक्षा करय। पूरा खेल समाप्त होयबा सँ पूर्वहि सँ व्यासजी केँ एकटा चिन्ता नित्य होएत देखय उगना। काल्हिक माला के उठौता? हरेक कलाकार केर मुंह सँ अलग-अलग शैली मे बजबाबैथ व्यासजी – आदरणीय ग्रामीण सज्जनवृंद! ई भगवान् राम केर लीलाक प्रदर्शन अहीं सबहक कृपा पर संभव होएत अछि। लगभग ५० गोट कलाकार केर समूह मे ई कंपनी स्वयंसेवा सँ संरक्षित अछि। एकरा कतहु सँ कोनो आमदक बाट नहि अछि। अहीं सब जे चढाबा चढबैत छी, वैह टा आधार अछि। आजुक माला फल्लाँ बाबु उठौलनि। हमरा सब आभारी छी हुनकर। हुनकर सम्मान आ सत्कार अविस्मरणीय अछि। ५० गोट कलाकार केर पूर्ति तऽ करबे केलनि, हुनक योगदान सँ पचासक पाँच सौ परिवारजन लेल सेहो आसरा भेटल से स्वीकार करैत आरो हर्ष भऽ रहल अछि। आब काल्हिक माला…. अपने सब मे सँ के…. उठायब… तेकर इन्तजार अछि। कृपया हमरा सब केँ ससमय सूचित करी….।
उगना तीक्ष्ण बुद्धिक बालक छल। ओ अपन समस्या पर जतेक सोचय ओतबे ओ रामलीला कंपनीक आरो-आरो सदस्यक लेल सोचैत छल। व्यासजी मालिक छलाह, मुदा हुनको मे सामर्थ्य कतेक अछि से नित्य देखैत छी। जँ कियो माला उठेनिहार सोझाँ नहि आयल तहिया ओ हक्कन कानैत छथि। लाजे ओ किछु बाजियो नहि सकैत छथि। रामक गान कएनिहार – स्वयं एतेक सिद्ध पुरुष – सज्जन व्यक्तित्व – आखिर बजबो कि करता? रामहि केर भरोसे सब किछु छोड़ि दैत छथिन। गोटेक दिन एहनो होएत छैक। गाम-समाज मे सब तरहक लोक छैक। सब मे दानशीलता ओहेन नहि छैक। देखाबा मे बिकेबाक लेल भले लोक तैयार रहय, मुदा परमार्थ करबाक ओकादि विरले पुत्र मे होएत छैक। गरीब कलाकार आ ओकर परिवार सब आखिर हमरे सनक अछि। उगना बड्ड सोचैत रहैत छल। गरीबी मे एना ओकर दिन कटि रहल छल। आब उगना मैट्रिक पास सेहो कय लेलक आ ओकर कक्का जे कलकत्ता मे पण्डिताय करैत छलाह ओ गाम आयल छलखिन तऽ कहलखिन जे बौआ! ई रामलीला सँ तोहर गुजर कोना हेतौक? चल आब कलकत्ते। ओतय जँ दसो टा घर पकड़ा जेतौक तऽ अपनो गुजर करमे आ बहिन-भाय सब केँ सेहो टेबा लागि जेतौक। उगना सोचय लागल जे नित्य राम बनैत छी, रामलीला करैत छी, लोक सब केँ राम बनिकय आशीर्वाद दैत छियैक आ आब अचानक ई दसद्वारीवला काज हमरा काका कहि रहला अछि। कोना हेतैक? ओकरा अबूह लागि रहल छलैक। लेकिन एक बेर रामलीला कंपनी सँ कनी दिनक छुट्टी लऽ कय जा कय देखय कलकत्ता मे, ई ओ आत्मनिर्णय लेलक। आबि गेल काका संगे कलकत्ता। दु-चारि दिन घूमल-फिरल। बात बुझबाक प्रयास केलक। ओतय काज बड भारी नहि रहैक। गाम-समाज मे सत्य आ निष्ठा छलैक, एतय ओ सब कोनो आवश्यक नहि छैक, बस पाइ कमेबाक लेल जेहो न सेहो वृत्ति करबाक छैक, दैट्स आल! ओकरा मोन लागि गेलैक। राम बनिकय मिथिलाक गामे-गाम घूमय सँ नीक एतय नव रूप मे काज करत ओ ठानि लेलक।
काकाक जैजमनका मे उगनाक परिचय राम केर नाम सँ भेलैक। राम द्वारा लक्ष्मण, सीता, सुग्रीव, बालि, विभीषण, हनुमान आदिक संग कैल जायवला संवाद ओकरा मुंहे सेठ सब सुनय तऽ बड नीक लगैत छलैक। मिथिलाक ब्राह्मणक मूल्यांकन कलकत्ता मे एखनहु बहुत छैक। काका केँ देखैक उगना जे श्राद्धक दिन पितर लेल सजायल शैय्या पर सुति रहैथ आ पितररूप मे आत्माग्रहण कय ओ खूब दान-दछिना सब मांगैथ। सेठ आ ओकर परिवारक सदस्य सब खूब चढाबा सब चढाबय। उगना केँ मोन पड़ि जाएत छलैक जे राम बनिकय जखन ओ गाम-समाज मे जाएत छल तऽ कोना आरती होएत छलैक आ लोक सब चढाबा सब चढबैत छलैक। मिथिलाक माटि-पानि मे विद्या तऽ ओहिना भरल छहिये। ओ सबटा भाँज पकैड़ लेलक। कलकत्ते मे रहब से सोचि लेलक। काका अपने जैजमनका मे सँ गोटेक जजमानक सम्बन्धी सबहक बजाहैट पर आब उगने केँ पठबय लागल छलाह। उगना अपन दुनू वृत्ति करय लागल। एम्हर राम बनिकय रामायणी संवाद सेहो करैत छोटमोट कथावाचक केर कार्य करय आ कलकत्ता मे मिथिलाक विशिष्ट कर्मकाण्डी पण्डित बनिकय सेहो अपन खूब दान-दछिना बटोरय। मात्र दुइये वर्ष मे दुइ टा बहिनक बियाह कय लेलक। घर पर फूसक चार केँ खपड़ैल सिकमी मे परिणति दय देलकैक। आब उगनाक माय केर मोन छैक जे उगनो केर बियाह भऽ जाउक। घटक सब केँ उगनाक मामा गामक जरे खबैर भऽ गेल छैक। गोटेक घटक सब घरो पर आबि गेलैक एखन धरि। उगनाक बाबु आइयो ओतबे २०-२५ टाका केर रोजी सँ भगवानक सेवा मे लागल अछि। मुदा उगना आ उगनाक काका जे कलकत्ता मे रहैत अछि ओकरे दुनू गोटाक जुति चलतैक। मुदा माय आ काकी घरक गृहमंत्री थिकैक। ओकरा सबहक बात केँ कियो नहि काटि सकैत अछि। काकियोक इच्छा छैक जे ओकर नैहर जरे एकटा नजदीकीक बेटी सँ उगनाक बियाह भऽ जाउक। एम्हर उगनाक मामाक कहब छैक जे कुटमैती हमहीं निर्णय करब। ऊपराउपरी चलि रहलैक अछि। स्वाभाविक छैक जे माँग बिना ई आपसी प्रतिस्पर्धा केर प्रतिकार नहि कैल जा सकतैक। ताहि हेतु उगना अपन बियाह मे कम सऽ कम एगारह लाख टाका गनेतैक तखनहि बियाह करत ई काका संगे नियारि लेलक। बहिन सबहक बियाह मे सेहो उगना ५-५ लाख खर्च केने छैक। ओहो पाइ अपन बियाह मे आ भाइ सबहक बियाह सँ उगाही हेतैक, यैह सोच छैक ओकर। उगनाक मामा आ काकी लेल ई खबैर कनेक अनसोहांत जेकाँ भेलैक। ओ दुनू अपन प्रतिस्पर्धा केँ माँग ११ लाख केर सोझाँ खतम कय लेलनि। एहि वर्ष सुधियो बीत गेल। आब ऐगला साल देखल जेतैक। घटक सब सेहो भड़ैक गेल। काल्हि तक जे छौंड़ा रामलीला मे काज केलक, मांगि-चांगि केँ खेलक, परिवार चलेलक, आब कलकत्ता गेने बड़का हाकिम तऽ नहि बनि गेल…. ओत्तहु तऽ जीवन मांगिये-चांगियेकय चलबैत अछि। बात तऽ आर-आर लोकक जरे स्पष्टे छैक। तखन ११ लाख दहेजक माँग? नहि-नहि! नहि करब एहेन कुटमैती! उगना आब इन्तजार कय रहल अछि। माय कहैत छैक जे बौआ, देरी नहि कर, जल्दिये कनियां आनि ले। दोसरो वर्ष गुनधुन-गुनधुन मे बीत गेलैक। आब घटको नहि अबैत छैक। उगना काका संग सल्लाह केलक जे बुझाइ यऽ मांग बेसी भऽ गेलैक। कि करबहक तखन?
खैर! कुटमैती आ सेहो मैथिल ब्राह्मण मे…. ओनाहू आब बड कठिनाह भऽ गेलैक अछि। दहेजक मांग तऽ दूर करू, आब घटको आयब कठिन भऽ गेलैक अछि। अहाँ उगनाजी ई निर्णय जे केलहुँ से महाभूल केलहुँ। अहाँ समान जुझारू, संघर्षशील आ ईमानदार आदमी जे रामक भूमिका मे बेसीकाल रहैत अछि तिनका ई सूट नहि केलक। – उगनाक परम मित्र पासमानजी जे कलकत्ते मे कपड़ा दोकान मे नोकरी करैत अछि ओ एक दिन भेंट घड़ी बुझेलकैक उगना केँ। उगना केँ सेहो अपन गलतीक अनुभूति भेलैक। मुदा अपन दुनू बहिन केर कैल कुटमैती मे ३ लाख नगदी गनबाक अख्यास ओकरा बेर-बेर सतबैत छैक। सोचैत अछि जे दस लाख जे खर्च भेल तेकर अधो कियो दितय! मुदा देत के? आब तऽ घटको पर आफद अछि। बियाहो कोना होयत? कियो बेटीवला एबो करय तखनहि कोनो बातो करब आगाँ…. उगना सोचैत-सोचैत खिया लागल अछि। दुबरा गेल अछि। माय केँ चिट्ठी लिखलकैक। आब बेसी नहि सोचे, मामा आ कि काकी केँ कहीन जे कतहु देखिकय जतबे-ततबे मे कुटमैती तय करय। काकी केँ बुझाबे। हमर चिट्ठी पढाबे। हमरा सँ भूल भऽ गेल। तखन फेर काकी अपन नैहर फोन पर जानकारी कराकय उगना लेल कथा पठेबाक अनुरोध करैत अछि। मामा सेहो ऐगला सुध मे कोनो व्यवस्था करबाक बात करैत छथिन। कोहुना एकटा उगने सनक गरीब परिवार केर लेकिन एकटा सुशील कन्या पइर लागि जाएत छैक मामा केँ। कुटमैती आदर्श तय होएत छैक। उगना केँ जे देबाक-लेबाक छैक सेहो आ कनियांक परिवार केँ बियाह खर्च वास्ते सेहो किछु पाइ देबाक शर्त पर बियाह तय भेलैक। मुदा नाम देल गेलैक आदर्श कुटमैतीक। वास्तव मे आब जे जुग छैक ताहि मे आदर्श कुटमैती एकरे कहलो जेतैक। बेटीवला घटकैती लेल बेहाल होएते नहि अछि। तखन उगना सनक कमाउ लड़का केर बियाह अपने खर्च सऽ संभव हेतैक। ई भेल आदर्श कुटमैती।
मिथिलाक संस्कार मे बहुत किछु परिवर्तन भऽ रहलैक अछि। उगना आब समाजिक कार्यकर्ता बनि गेल अछि। अपन तेसुरकी बहिनक कुटमैती मे ओ बड सम्हैरकय काज करत, सोचि लेने अछि। दहेज मुक्त बियाह! छोट दुइ भाइ केर बियाह सेहो पूर्ण आदर्श करत। दुनू छोटका केँ आइए करौलक आ कलकत्ता बजा लेलक। ओकरो सब केँ अपनहि जेकाँ पण्डिताइ मे लगा देने अछि। छोटका कनी टिरबी देखेलकैक। उगना ओकरा बुझेलकैक। कनी दिन पण्डिताइ सँ अलादा सेहो कोनो अफिस मे काज लगौलकैक। मुदा ओतय जखन आँठि-कुठि सेहो साफ करबाक लेल मालिक कहि देलकैक तऽ ओ विचारि लेलक जे भैयेवला काज नीक छैक। तिनू भाइ मिलिकय कलकत्ता सँ कनिके बाहर कोन्नगर मे जमीन सेहो कीनि लेलक। मकानो बना लेलक। सब कियो सुखी संपन्न भऽ गेल अछि। गाम मे सेहो पक्काक मकान बनि गेलैक। बाबु आब एहि लोक मे नहि छथि। माय गामहि मे रहैत छथि। ओ बुढ भऽ गेलीह। तिनू बेटा-पुतोहु आ परिवार सब समय-समय पर गाम अबैत रहैत छैक। सब कियो सुखी-सम्पन्न आ समृद्ध अछि। उगना निर्णय कय लेलक जे गाम मे पिताक समाधि स्थल पर एकटा मन्दिर बनाओत। संगहि रामलीला कंपनी जे आब बन्द भऽ गेलैक, तेकर गुरुजी केर नाम पर सेहो एकटा संगीत प्रशिक्षण संस्थान खोलत। कलकत्ता मे गाम-समाज मे मन्दिर आ धार्मिक कार्य करबाक नाम पर सेहो चन्दा आदि असूली करत। ओहो एकटा नीक धंधा छैक पाय कमेबाक। उगना हमर मिथिलाक प्रतिष्ठित समाजसेवीक रूप मे एखन कलकत्ता मे फेमस अछि। कतेको रास कार्यक्रम सब सेहो करबैत अछि। आगाँक लेख मे ओकर आदर्श पर सेहो चर्चा रहत। अस्तु!
हरिः हरः!!