चैती नवरात्रा आइ सँ आरम्भ: श्रद्धा-भक्ति सँ साधना फलदायी

चैत मे नवरात्राक महत्व
– राम बाबु सिंह, मधेपुर, मधुबनी
nav durgaजय माता जी।
 
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
 
चैत नवरात्रि 8 अप्रैल स शुरू होब जा रहल अछि। उत्साह केर संग भक्तगण केँ पूजाक तैयारी जोर-सोर सँ विभिन्न ठामपर देखल जा रहल अछि। बाजार में आन दिनक अपेक्षा बेसी भीड़ अछि। ओनाहू नवरात्रि केर अबिते वातावरण में जेना अदृश्य शक्ति सम्पूर्ण वातावरण केँ पवित्र आ भक्तिमय बना दैत अछि।
 
महानगरी में भक्तजन विधि-विधान केँ ल’ क’ बेसी जिज्ञासू आ उत्सुक होयत छथि मुदा वएह विधान राखक चाही जेकर निर्वाह नीक जेकाँ कय सकी। आजुक समय में नवरात्रि केर एहेन विधि राखक चाहि जाहि सँ दैनिक कार्य सुचारू जेकाँ चलि सकय। व्रत अहाँ पर बोझ नै बने। व्रत केर नाम पर स्वयं केँ पीड़ा वा दुखी केनाइ सेहो ठीक नै। देखल जाए त नवरात्रि केँ व्रत माँ भगवतीक लग जएबाक आर हुनकर कृपा आशीर्वाद प्राप्त करबाक मूल उद्देश्य थीक, कष्ट भोगक लेल नै।
 
एकटा आर बात बुझनाय जरुरी छै अहिठाम कि मात्र उपवास रखने व्रत पूर्ण नै भ’ सकैछ, अपितु व्रत केर माने संयम आ सहनशीलताक संग सदाचारी आ कर्म, मन एवम् वचन सँ सदिखन सेवा भावना मे समर्पित रहबाक चाही। उपवास आ फलाहार हमरा लोकनिक काया केँ तऽ शुद्ध करिते अछि, एकर संकल्प आर साधना हमरा सबहक मोन केँ सेहो निर्मल आ पवित्र बनबैत अछि। संगहि माँ भगवतीक मन्त्र जाप, ध्यान आर अर्चना सँ आत्मसंतुष्टिक प्राप्ति आ तन-मन दुनू पवित्र भ’ जाएत अछि। तन-मन केर पवित्र आचरण सँ संकल्पित कार्य सेहो सफल भ’ जाएत अछि।
 
वास्तव में नवरात्र आत्मशुद्धिक सबसँ पैघ त्योहार थीक। वर्तमान समय में चारु कात वातावरण आ विचार दुनु दूषित भ’ चुकल अछि। एहन परिस्थिति में नवरात्रि केर महत्व आरो बढ़ि जायत अछि। कारण एहि समय में प्रकृति में एकटा विशिष्ट दिव्य ऊर्जा केर संचार होयत अछि, जेकरा आत्मसात कय मनुख अपन काया कल्प तक सहजहि कय सकैत अछि। पवित्र मोन सँ आ श्रद्धा-भक्ति सँ कएल गेल याचना वा प्रार्थना माँ भगवती धरि अवश्य पहुँचैत अछि।
 
माँ अपन सब पुत्र केँ एकसामान प्यार-दुलार करैत छथि, मुदा सबसँ बेसी जे सद्गुणी रहै छथि ओ सहजहि हुनका बेसी प्रिय लगैत छन्हि। ताहि हेतु माँ भगवती केँ खुश करबाक लेल मनुख केँ दुर्गुण केँ त्यागि सद्गुण केँ धारण करबाक चाही। जखन भक्त शक्तिपुत्र जानि कय भवानी केर ध्यान करै छथि तखन पूजा मातृसेवा भेटैत छन्हि। कहल जाय छैक जे पुत्र कुपुत्र भ सकैय मुदा माता कुमाता कखनहु नै होएत छथि। तेँ जे भक्त सेवा भावना आ श्रद्धा विश्वास सँ माँ केर आराधना करताह हुनका माँ भगवती मोनक मनोरथ अवश्य पूरा करथिन्ह।