धार्मिक दर्शनीय एवं पर्यटन स्थलः कसरर (दरभंगा) केर ज्वालामुखी माताक मन्दिर
साभारः मैथिल ब्राह्मण फेसबुक स्टेटस
कसरर केर ज्वालामुखी भगवती केर ख्याति दूर-दूर तक फैलल अछि। एतय श्रद्धालु सिमरिया सँ गंगाजल भैर कय मंदिर मे माँ ज्वालामुखी केँ अर्पण करैत छैथ। मैयाक दरबार मे सच्चा मन सँ जे भी मांगैत छैथ माता ओय सँ अधिक दैत छथीन। अही सब लेल लोक साल भैर एहि मंदिर मे भगवतीक स्थायी पिंडक पूजा करै लेल दूर-दूर सँ पहुंचैत छैथ।
स्थानीय बुजुर्ग सबहक कहबाक अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व भगवती हिमाचल प्रदेश मे अनन्य भक्त उफरौल गांव केर लखतराज पांडेय नामक व्यक्ती केँ साक्षात दर्शन देलैथ आ वरदान मांगबाक लेल कहलैन। हिमाचल केर ज्वालामुखी दरबार मे सेवा कय रहला भक्त पांडेय हुनका सँ अपन गाम चलबाक याचना केलैन। माता हुनकर बात मानिकय हुनकहि संग चैल देली।
लखतराज कसरर केर जंगल सँ जा रहल छलैथ। बेसी समय धरि चलला पर थकान भेला सँ ओ एक ठाम बैसिकय आराम करय लगलाह। किछुए काल बाद ओ भगवती सँ गाम चलबाक आग्रह केलखीन। भगवती केँ कसरर वन केर सुंदरता आ स्वच्छताक बात कहि भक्त लखतराज पांडेय सँ हुनका ओत्तहि स्थापित कय पूजा-अर्चना लेल इच्छा प्रकट केलखीन। भगत पांडेय हुनका ओत्तहि स्थापित कयलखीन। तहिया सँ आसपास केर भक्त-श्रद्धालू लोकनि द्वारा मैया ज्वालामुखीक निरंतर पूजा-अर्चना ओहि निर्जन कसरर वन मे होमय लागल। कालांतर म यैह कसरर भगवतीक रूप मे सुविख्यात भेली।
भगवतीक माहात्म्य केर साक्षात उदाहरण यैह अछि जे हुनकर अनन्य भक्त शंभू बाबा बिना अन्न-जल ग्रहण करैत आइ कतेको वर्ष सँ हुनक सेवा मे लागल छैथ। शंभू बाबा अपन एक छोट कुटी मे निरंतर यज्ञ अनुष्ठान कय रहला अछि। मान्यता आइयो कहैत अछि जे शंभू बाबा मे सिद्धिक वास अछि। ओ नित्य वायूमार्ग सँ सिमरिया पहुँचि ओतय सँ गंगाजल आनि भगवती ज्वालामुखीक विशेष पूजा-अर्चना करैत छथि। एक सिद्ध योगीक रूप मे शंभू बाबा जानल जाएत छथि। दूर-दूर सँ लोक मैयाक दर्शन करबाक लेल तऽ अबिते छथि, हुनका सबहक मोन मे शंभू बाबा केर दर्शन लेल सेहो ओतबे व्यग्रता देखल जाएछ।
भगवती अपन भक्त केर इच्छा पूर्ति करबाक लेल एहि स्थल पर आबिकय रहली। आइ धरि संपूर्ण कसरर गाम केर निवासीक घर मे कुलदेवीक स्थापना नहि होएछ, सबहक कुलदेवीक रूप मे साक्षात् ज्वालामुखी माय स्वयं छथि। भैर गामक लोक हिनकहि पूजा-अर्चना मे लीन रहैत छथि। कहब आवश्यक नहि जे आइ कसरर गाम दरभंगा जिलाक एकटा अलगे शान केर रूप मे सुपरिचित अछि। एक सँ बढिकय एक सपुत एहि गामक राज्य एवं देश लेल सेवारत छथि। विद्या घर-घर केर मूल शक्ति थिकीह।
ओना त साल भैर अतय भीड़ रहैत अछि मुदा शारदीय नवरात्र म एहि ठामक विशिष्ट छटा दर्शन योग्य होएत अछि।
राज्य द्वारा उपेक्षा एत्तहु ओहिना स्पष्ट अछि। सड़कक हालत ओतबा जर्जर छल, धरि पैछला किछु साल मे ढलैया सड़क केर निर्माण कराओल गेल अछि। ग्रामीण आ भक्त-श्रद्धालू स्वयं समर्पित सेवादान करैत एहि ठाम धर्मशालाक निर्माण सेहो करौने छथि। राज्य सरकार कनिकबो ध्यान दियय तऽ ई जगह मिथिलाक एक प्रमुख पर्यटन क्षेत्र केर रूप मे विख्यात होयत। दरभंगा मुख्यालय सँ आशापुर-बेनीपुर होइत शिवनगरघाट आ पाली-घनश्यामपुर केर रूट मे पुनहद – हरद्वार गामक बीच सँ कसरर केर रास्ता फूटैत अछि। करीब ५० किलोमीटर केर रास्ता मे आवागमन लेल सड़कमार्ग मात्र प्रचलित अछि।
भगवती स्थान केर वर्तमान भौगोलिक संरचना बिल्कुल तहिना अछि जेना देवी भागवत मे भगवतीक मूल निवास स्थान जम्बू द्वीप केर चर्चा कैल गेल अछि। हिनक डीह एतेक ऊँच स्थान पर अछि मानू चारूकात समुद्रक बीच मे हिनक स्थल एकटा द्वीप पर अवस्थित हो। एतुका हरियाली वातावरण आइयो एहि बातक संकेत दैत अछि जे ई कोना भगवती केँ भगत लखतराज संग जाएत घड़ी रमणगर लगलैन आ ओ ओत्तहि स्थापित करबाक विचार भगत केँ सुनौलनि। गामक लोकमानस सेहो ओतबे प्रिय आ सहयोगी छथि। हरेक रूप मे भगवतीक दर्शन ओ सुमिरन हमरा सब लेल शुभ होएत अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल सेहो आजुक ई पोस्ट ओतबे शुभदायक हो!
हरिः हरः!!