मिथिलाक जीवित विद्यापतिः मधुकान्त झा ‘मधुकर’ केर ९३ वर्ष पूरा
आइ १९ जनबरी, २०१६ पं. मधुकान्त झा ‘मधुकर’ अपन ९३वाँ बसन्त पूरा कएलनि अछि। एहि अवसर पर नीलकंठ कमरथुआ संघ, चैनपुर आयोजनपूर्वक श्रेष्ठ स्रष्टाक सम्मान करबाक नियार केलनि अछि।
एक अप्रतिम शिव-भक्त आर संस्कृत एवं मैथिली भाषा-साहित्य केर स्रष्टा पंडित मधुकान्त झा ‘मधुकर’ केर जन्म एक साधारण गृहस्थ परन्तु अत्यन्त शिक्षित-सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार मे १९ जनबरी, १९२४ ई. केँ भेलनि। हिनक पिता स्वरूपलाल झा आ माता छेदनी देवी केर निरंतर प्रयास सँ शिक्षा-दीक्षा पूर्ण कयलनि तथा शिक्षक बनिकय लोकप्रियता हासिल कएलनि। अपन शिक्षण पेशाक संग लेखन मे सेहो महारत हासिल करैत कतेको रास रचनाक प्रकाशन सेहो करौलनि, आरो कतेक रास रचना हाल धरि अप्रकाशित छन्हि।
अपन गाम केर पारंपरिक धर्म-संस्कृति केँ संवर्धन-प्रवर्धन हेतु नीलकंठ कमरथुआ संघ केर स्थापना कएलनि। प्रत्येक वर्ष गाम सँ सुल्तानगंज होएत बाबा बैद्यनाथधाम तथा बाबा वासुकिनाथ धरिक कामर यात्रा केर संचालन भेल जे आइ धरि ओहि इलाकाक सर्वथा राष्ट्रीय आयोजन समान मनाओल जा रहल अछि। सैकड़ो श्रद्धालू गंगाजल सँ भरल कामर लेने धाम धरिक यात्रा महामंत्र हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे – हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे केर कीर्तन जाप करैत जाएत छथि। भोर आर सांझ केर पड़ाव पर हिनका लोकनि द्वारा विद्यापति, मधुप, मधुकर आदि महान सर्जक लोकनिक गीतकार केर शिव-भजन गाबैत माहौल केँ भक्तिमय बनौने रहैत छथि। ई छटा एखनहु माघ पूर्णिमा सँ आगामी सात दिन धरिक कामरियाक बाट मे देखबा लेल भेटैत अछि। एहि सबहक संस्थापक मधुकर बाबा केर आइ ९४वाँ जन्मदिन थीक जाहि अवसर पर चैनपुर (सहरसा) गाम मे समारोहक आयोजन कैल गेल अछि।
बाबाक शिष्य व अनुगामी लोकनिक भीड़ भोरे सँ गाम मे आयब शुरु भऽ गेल अछि ई जानकारी हिनक दोहित्र संस्कृत विद्वान् तथा शोधार्थी दिल्ली सँ मैथिली जिन्दाबाद केँ करौलनि अछि। ओ जानकारी करबैत कहलैन जे आइ सौंसे इलाकाक लोक मे आध्यात्म सँ जुड़ाव केर एकटा मुख्य स्रोत मधुकर बाबा केँ मानल जाएछ। संगहि समाजसेवा मे सेहो बाबाक योगदान अविस्मरणीय अछि। केकरो बच्चा अशिक्षित नहि रहि जाय, ताहि प्रति पूर्ण संकल्पक संग अपनहि लंग राखिकय निर्धन सँ निर्धन छात्र तक केँ शिक्षा दियौलनि। आइ बाबाक शत-प्रतिशत शिष्य देश भरि मे उच्च स्थान पर कार्यरत छथि आर बाबा प्रति अनुराग मे किनको कहियो कमी नहि देखल गेल। कतेको रास शिक्षक, प्रोफेसर आदि बाबाक सिखायल गुर अनुरूप अपनो लब्ध-प्रतिष्ठित स्थान पर सुशोभित होयबाक सुख बाबा केँ सेहो अपन आजन्म तपस्याक फल स्वरूप देखाएत रहल छन्हि, कहैत छथि कुमुदानंदजी।
मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी अपन स्मृति बाबा संग पहिल भेंटक किछु एहि तरहें याद करैत छथि, हुनक गाम कुर्सों सँ सेहो सैकड़ों कीर्तनिया कमरथुआ ‘जय सीताराम जय जय सीताराम’ केर महामंत्रक जाप करैत माघ पूर्णिमाक दिन जल उठबैत ५ दिन मे बाबाधामक यात्रा तय करैत अछि, आर एहि तरहें मधुकर बाबाक समूह संग भेंट होएत रहब सौभाग्य होइछ। परंच जखन स्वयं बाबा कतहु-कतहु ठाढ भऽ कय पैदल चलि रहल कमरिया सब केँ भैर आँखि देखैत छथि तऽ एना लगैछ जेना कि मानू स्वयं शिव आबिकय कमरथुआ केँ आशीर्वाद दैत उत्साह बढा रहल होइथ जे आब धाम बेसी दूर नहि अछि, बस चलैत चलू – चलैत चलू!! बाबाक बनायल कइएक भजन केर गान सेहो सुमधुर लगैछ। हुनक एक भजन “डिम डिम डमरू बजाबय छय हमार जोगिया” तऽ सदिखन कंठे मे रहैछ कमरथुआ सबहक।
१९६८ सँ १९७४ धरि मधुकर बाबा आकाशवाणीक पटना केन्द्र मे सेहो अपन योगदान प्रवचन विभाग मे देलनि। हुनकर श्रोता ओना तऽ एक सँ बढिकय एक लोक छलाह लेकिन ताहि समयक सर्वाधिक लोकप्रिय जननेता कर्पुरी ठाकुर हुनक देल नित्य सीख केँ ग्रहण कएनिहार नियमित श्रोता मे सर्वाधिक चर्चत छलाह। १९४८ मे कहरा प्रखंड केर उद्घाटनकर्ताक रूप मे सेहो मधुकर बाबा केँ स्मरण कैल जाएछ।
बाबाक प्रकाशित रचना मे समाज सौगात, नवीन नचारी, अभिनव नविन नचारी, मधुकर माधुरी, नीलकंठ मधुकर पदावली शामिल अछि। तहिना नारद भक्ति सूत्र केर मैथिली अनुवाद संग समाचरित शंकराचार्य प्रश्नोत्तरी एवं मधुकर नीलकंठ षटकम् (संस्कृत) आ नीलकंठ एकादशत्व (संस्कृत) सेहो प्रकाशित रचना मे शामिल अछि।
पंडित मधुकर १९७१ मे नीलकंठ कमरथुआ संघ केर स्थापना बनगाँव बाबाजी कुटी पर केलनि आ ओहि ठाम सँ हुनकर शिवभजन आ नचारीक संग देवी भजन इत्यादि ख्याति प्राप्त कएलक।
आइ हुनक ९३ वर्ष पूरा भेला पर समस्त मिथिलावासी मैथिली आ संस्कृत साहित्य केर क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान हेतु हुनका कोटि-कोटि शुभकामना दय रहल अछिः “जिवेद शरदः शतम्”।