मिथिलाक परमहंस: पंडित सुदेव झा ‘बैद बाबा’

जनकपुर, मिथिला। सितम्बर २७, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

baid baba
पंडित सुदेव झा – बैद बाबा

परमहंस बाबा – बैद बाबा – देवता – मिथिलाक एकमात्र बाभन – आरो कतेको उपनाम छलन्हि पंडित सुदेव झा केर – पंडित रामभद्र झा केर पुत्र आ पंडित गोनौर झा केर पौत्र – महान् पंडित एवं विद्वान् जयभद्र झा केर भातीज लेकिन पुत्रवत् वैह अपन सान्निध्य मे हिनक लालन-पालन कएलनि कारण हुनका अपन कोनो पुत्रधन नहि छलन्हि। अल्पायू सँ देव-साधना मे सदिखन रत, पठन-पाठन मे ओतेक रुचि नहि रहलनि, ताहि पर पिता समान पित्ती व विद्वान् पंडित जयभद्र झा द्वारा हिनकर नामकरण ‘देवता’ केर नाम सँ भेल छल। ओत्तहि हिनक सहोदर जेठ भ्राता पंडित बलदेव झा पढय मे अत्यन्त कूशाग्र छलाह जे बाद मे ‘हेड गुरुजी’ केर नाम सँ प्रसिद्धि पेलनि। संस्कृत महाविद्यालय, जनकपुर केर प्राचार्य रूप मे सुविख्यात छलाह पंडित बलदेव झा, लेकिन हुनकहि अनुज ‘देवता’ उपनाम सँ प्रसिद्ध साधना-सिद्ध पंडित बनिकय जनकपुर महामशान मे कुटी बनाय रहैत छलाह। जीवनक उत्तरार्ध मे अपन गाम ‘देवडीहा’ मे वास केलनि।

बैद बाबा अपन तप-बल आ साधना सँ अनेकों सिद्धि हासिल कएने छलाह। अपनहि नारी छूबि दोसराक बीमारी व मानसिक अवस्था तक पता लगेबा मे माहिर पंडित सुदेव झा सँ लोक अपन हित साधना लेल अत्यधिक मात्रा मे भेंट करैत आशीर्वाद लैत छल। अपन सिद्धि सँ सबहक उपकार करबाक लेल ओ जानल जाइत छलाह। केकरो माटियो उठाकय औषधिक रूप मे उपयोग लेल कहि केहनो असाध्य रोग केर इलाज कए देबाक कारण क्रमश: हिनकर नाम ‘बैद बाबा’ केर रूप मे समूचा जनकपुर मे प्रसिद्ध भऽ गेल छल।

head guru jee
पंडित बलदेव झा – हेड गुरुजी

नित्य नौ-आवृत्त दुर्गा पाठ आ सदिखन माला पर भगवन्नाम केर जप करैत रहब – संग मे एकटा लाठी रखैत छलाह जाहि मे सिद्धिक वास मानल जाइत छल। अपन लाठी केँ पर्यन्त नित्य स्नान करबैत छलाह बैद बाबा। हिनक सिद्धि सँ प्रभावित भऽ तात्कालीन नेपाली राजाक जनकपुर क्षेत्रक अधिकारी द्वारा काफी पारितोषिक आदि सँ सम्मान कएने छलाह। मानल जाइत अछि जे ओहि अधिकारी केँ अपन नह पर हुनक परिवार जे काठमांडू मे रहैत छलीह तिनकर कुशल-क्षेम केर दर्शन करौने छलाह। बाद मे ओ अधिकारी जखन अपन परिवार सँ एहि दर्शनक जिज्ञासा कएलनि तऽ अक्षरश: बात सही निकलल छल। यैह सिद्धि आ कुशलताक ज्ञान दूरो रहैत भेट गेलाक कारण ओ अधिकारी बाबा केँ ससम्मान पारितोषिक आदि चढौने छलाह। एहि तरहें बाबा सँ आशीर्वाद लेबाक लेल ग्रामीण सहित इलाका भरिक लोक आ जनकपुर जानकी दरबार मे एनिहार हजारों श्रद्धालू आस्थावान् भक्त लोकनिक भीड़ लगैत छल।

बैद बाबाक समकालीन कलना बाबा छलाह। दुनू गोटा मे घंटों धरि संत-समागम होइत रहैत छल। छपरा दिशि सँ आबिकय मिथिलाक सिद्धभूमि मे बसल कलना बाबा सेहो परमहंस बाबाक रूप मे इलाका मे प्रसिद्ध छलाह। समय-समय पर ओहो अपन कुटी जे आइ ‘कलनेश्वर महादेव’ केर नाम सँ प्रसिद्ध अछि, ओतय सँ जानकी दरबार, जनकपुरधाम केर यात्रा पर अबैत रहैत छलाह। दुनू संत मे ठेहुन-छाबा दोस्ती छल। कतेको बेर दुनू गोटा संगहि हप्तों बितबैत छलाह आ तरह-तरह केर सत्संग होइत रहैत छल।

बैद बाबाक करीब ८५ वर्षक अवस्था मे मृत्यु भेला उपरान्त कलना बाबा केँ पता लगलनि जे हुनक परमहंस मित्र एहि इहलोक सँ विदा भऽ गेला, तखन ओ तत्काल अपन सिपहसलार (अनुयायीक समूह) संग ओहि स्थल – जमुनी धारक कात मे पहुँचला जतय बाबाक दाह संस्कार कैल गेल छल। ओतय पहुँचिते ओ साष्टांग दण्डवत् दैत प्रणाम कएलाह आ अपन श्रद्धा-भक्ति सँ बैद बाबा समान परमहंस केँ स्मृति मे अनलाह। तखनहि कोनो अनुयायी हँसैते परमहंस बाबाक पुलकित होइत शरीर देखि पूछि देलकनि, “बाबा! आइ पहिल बेर तोरा देखैत छियह जे तहुँ केकरो साष्टांग दण्डवत् करैत छह।” परमहंस कलना बाबा अनुयायी सबकेँ बुझबैत कहला, “मिथिला मे एक्के गो बाभन रहल ऊ भी चल गेल।” परमहंस कलना बाबा छपरिया भाषा बजैत छलाह, जिद्दी स्वभावक छलाह आ कम्मे आवाज मे बहुते किछु बजबाक हुनकर कला-कौशल छल। अनुयायी सब सुनलाक बाद बैद बाबा प्रति पूर्ण आस्थाक संग भिजल नयन प्रणाम अर्पण कएलाह आ सब कियो पुन: अपन गन्तव्य दिशि प्रस्थान कएलाह।

बैद बाबाक विषय मे सैकड़ों-हजारों किम्वदन्ति आइयो एहि संपूर्ण इलाका मे चलैत अछि। पुरान लोक जिनका बैद बाबा सँ भेंट छन्हि ओ सब हुनका संग बिताओल गेल क्षण केँ अपना-अपना संस्मरण सँ बेर-बेर सुमिरैत छथि। आस्था एतेक मजबूत अछि जे आइयो केकरो धिया-पुताक स्वास्थ्य पर कोनो प्रकारक हावा-पानिक असर बुझाइत छैक तऽ बाबाक सारा पर सँ माटि आनि तिलक लगा दैत छैक तऽ ओ सब कष्ट सँ निजात पाबि जाइत अछि। कहल जाइत अछि जे गामक धी-बेटी सँ लैत दूर-दूर सँ लोक सब बैद बाबाक आशीर्वाद लेल सर्वप्रथम अबैत छल। बाबा किनको सँ किछु पूछने-बुझने बिना हुनका समुचित उत्तर दैथ आ सब कियो संतुष्ट भऽ कय बाबाक दर्शन कय अपन घर वापसी करैत छलाह। आइयो बाबाक बतायल कतेको रास नुस्खा सब विभिन्न अनुयायी द्वारा चलायल जाइत अछि।

अत्यन्त कम वस्त्र पहिरब, आसक्ति सँ पूर्ण मुक्त रहब, सदिखन भगवन्नाम केर जप व विभिन्न साधना मे रत रहब, यैह सब छल हुनक दिनचर्या। ईश्वर मे आस्था सँ सर्वथा कल्याणक मार्ग पर लोक केँ उपदेश करब, सदिखन प्रसन्न मुद्रा मे रहब, शान्ति व सुख केर अनुभूति मे डूबल रहब, दोसरो केँ ओहि लेल प्रेरित करब – कहियो बैद बाबा केँ कियो क्रोधित होइत नहि देखलक, आइयो हुनकर ई खास विशेषता केँ लोक सुमिरैत अछि। हुनकर विषय मे किछु लिखबाक अछि, एतबी कहला पर सुनय लेल भेट जाइत अछि जे कतेको रास किताब लिखा जायत तैयो हुनकर विषय मे लिखला सँ बात पूरा नहि होयत।

आइ, श्री विजय काका केर प्रेरणा सँ बैद बाबा आ हेड गुरुजी केर फोटो प्राप्ति होयब आ हुनकहि प्रेरणा सँ महापुरुष लोकनिक बारे मे किछु लिखबाक सूझ भेटल; एतबे सँ हमहुँ पूर्णताक हासिल कएलहुँ तेना बुझा रहल अछि। दोसर दिन आरो बेसी प्रकरण पर हिनका लोकनिक बारे लिखिकय आनब ताहि वादाक संग, अस्तु! विराम दैत छी!!