रातिकेर चनबा पसरबा सँ पहिने

– सियाराम झा सरस

 

DSC01355कालकेर कागत ससरबा सँ पहिने

गीत कते लीखब जरूरी अछि भाइ रे!

रातिकेर चनबा पसरबा सँ पहिने

आतुरता होइछ जेना पाँतर टपाइ रे!

 

कत’-कहाँ नान्हिटा-टा नव-उड़ाँत-चुनमुनन्नी

उड़ल जाय चुनबालै दाना

घुरती मे पटना-बरौनी मे देखए जे

लुटा गेल घोघक खजाना

चिंता अछि गाम पैर धरबा सँ पहिने

बिलड़ा सँ पड़बा केर पाँखि ने नोचाइ रे!!

 

डेगाडेगी चलू बाउ, डेगाडेगी चलू दाइ

अंगना मे दैत थैया-थैया

सीखि लिय’ कहहारा, घोंखियौ पहाड़ा

आ जिनगीकेर हुठ्ठा-अढैया

जूआ-कनैल कान्ह चढबा सँ पहिने

खुर मे जरूरी अछि नाकल ठोकाइ रे!!

 

तप्पत दुपहरिया कि गुजगुज अन्हरिया मे

जिनगीकेर काज छिऐ चलबे

दैन्य केर कदबा सँ, बेगारीक भदबा सँ

काम्य अंध-खोह सँ निकलबे

रोटीकेर युद्ध मुदा लड़बा सँ पहिने

उपरहि सँ बरिसैए करगिल लड़ाइ रे!!

 

बितल जाइछ धार-समय, नेनपन दहाएल जाय

डूबि जाइछ असमय जुआनी

चिल्हकासब नानी भए, दादा आ दादी भए

बनल जाइछ तिल-तिल पिहानी

चोटी सँ हिमनद टघरबा सँ पहिने

चरहब जरूरी अछि अगिला चढाइ रे!!