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भैरवस्थान, भैरवनाथ आ बाबा बैद्यनाथधामक कमरथुआ यात्राक अद्भुत इतिहास

भैरवस्थान – मधुबनी
 

मिथिलाक धार्मिक धरोहर – भैरवस्थान (मधुबनी)

कहबी कहैछ जे एक बेर भैरवनाथ बाबा मिथिला भ्रमण मे आबि गेलाह आ ततबे पहुनाइ नीक लगलनि जे भोलेनाथ लग समय पर नहि घुरि सकलाह कैलाश ! तखन एक दिन स्वप्न मे देखलनि जे भोला बाबा रुष्ट भ’ गेल छथि समय पर नहि घुरबाक कारण । सपने मे हाथ-पैर जोड़लनि जे बस काल्हि घुरि जाइत छी मिथिला सँ कैलाश (वर्तमान तिब्बत, चीन) । बाबा कहलखिन जे आब एहिना नहि मानब, पहिने अहाँ बैद्यनाथक नित्य पूजा आ विशेष पूजा-अर्चना लेल मिथिलाक लोक केँ प्रेरणा दियौन ।

 
एहि तरहें वर्तमान बाबाधाम अर्थात् देवघर स्थित श्री श्री १०८ रावणेश्वर महादेव – द्वादश ज्योतिर्लिंग मध्य एक – हिनका लेल सर्वप्रथम मिथिलाक ‘कामरथी ब्राह्मण’ समुदाय – कामोद लिंग स्वरूप बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग केर सकाम भाव सँ पूजा करबाक लेल बाबा भैरवनाथ सँ प्रेरणा पओलनि आ तदनुसार अत्यन्त कठिन ओ दुरुह मार्गक प्रयोग करैत उत्तरवाहिनी गंगा वर्तमान सुलतानगंज (मुंगेर) सँ जलक भार यानि ‘कामर’ लयकय एकदम निष्ठा आ भक्ति सँ भरिकय देवघर धरिक यात्रा कयलनि । एहि यात्राक नाम कामर यात्रा आ यात्रीक नाम ‘कमरथुआ’ पड़बाक इतिहास यैह थिक ।
 
अहाँ गौर करू –
 
  • सर्वप्रथम गंगाजल भार (कामर) उठा लेलाक बाद प्रत्येक कमरथुआ केँ ‘भैरवनाथ’ सँ विशेष प्रार्थना करबाक होइत छन्हि, “हे भैरवनाथ ! बाबा बैद्यनाथक पूजा वास्ते जे विशेष गंगाजल सहितक भार (कामर) हम उठेलहुँ से नियम-निष्ठा आ भक्तिपूर्वक ढंग सँ अपनहिं पार लगायब । एहि लेल धाम पहुँचि बाबाक पूजा सफलतापूर्वक निष्पादन कय अपनेक प्रिय ‘मोतीचुरक लड्डू’ भोग लगायब ।” आर, यैह कारण छैक जे सब कमरथुआ बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण पछाति भैरवनाथ केँ लड्डू भोग लगबैत छथि ।
  • एतबा कहाँ ! प्रत्येक कमरथुआ केँ प्रत्येक कामर सन्ध्या पूजा (चाहे भोरुक पहर वा सन्ध्याक पहर) आरती-प्रसाद संग करैत छथि, ओ सब बाबाक संग-संग भैरवनाथ सँ विशेष प्रार्थना करैत छथि । हुनका बेर-बेर मनबैत रहैत छथि, रास्ताक कठिनाई आ विभिन्न तरहक परीक्षा सभक सन्दर्भ अपन कारुणिक भावना रखैत ई भजन सब गायल जाइत अछि । जेना – तन अति दुर्बल, मन अति दुर्बल, कोना क’ पहुँचब यौ, बाबा ल’ गंगाजल भरलहुँ, मोन अहाँ पड़लहुँ यौ, भैरव झट द’ आबू यौ !”
  • बाबाक कमरथुआ बाट मे जहिना कमरथुआक ध्यान एम्हर-आम्हर होइत अछि त तुरन्त भैरव अपन सवारी सहित प्रकट भ’ गेल करैत छथि । स्वान (कुकुर) पर सवार भैरवनाथ कमरथुआ केँ चेतबय लेल आबि जाइत छथि जे खबरदार! ध्यान बेसी एम्हर-आम्हर नहि, सीधा बाबा बैद्यनाथ पर राखू । अन्यथा जल हम छुबि देब आ ई जल लयकय अहाँक जाय मे बाधा भ’ जायत । विदित हो जे कुकुर सँ छुआयल कमरिया – कामर बाबा लग नहि लय जेबाक चाही, ओ अशुद्ध भ’ गेलाक बाद बाबाक संकेत बुझि जाइछ भक्त । एहि तरहक बाधा नहि आबय, यैह लेल भैरवनाथक विशेष आराधना होइत छन्हि । तहिना ध्यान सदैव भक्ति व निष्ठा सँ बाबा पर मात्र रखबाक चाही ।
  • यदाकदा देखब जे बाबाक विशेष दूत भैरवनाथ स्वयं कमरथुआ केँ बाट मे कोनो तरहक आशंकित भय – दुविधा सँ दूर करय लेल अपने आगू – आगू चलैत रहैत छथि, ओ आश्वस्त करैत छथि भक्त सब केँ जे अहाँ निःफिकिर भ’ कय बाबा पर ध्यान देने बाट मे बढ़ैत चलू । एहि क्रम मे कतेको बेर कमरथुआ सब संकट केँ खुलेआम अपन आँखि सँ देखैत त छथि, मुदा ओ संकट स्वयं भैरवनाथ द्वारा दूर कय देल जाइछ । अहाँ आश्वस्त कयल गेल छी जे बस अपन भक्ति मे कतहु शंका-दुविधा नहि राखू, बाकी सांसारिक – परिस्थितिजन्य शंका-दुविधाक हरण करय लेल ओ अहाँक संग सदिखन दृश्य-अदृश्य रूप मे संग छथि ।
  • जखन-जखन कमरथुआ सब बाबा बैद्यनाथक जयकारा लगबैत छथि, अहाँ गौर करब आ सुनब – जे प्राचीनकाल सँ बाबाक बाट मे चलैत आबि रहला अछि, खास कय केँ मिथिलाक कमरथुआ लोकनि – ओ सब बाबा बैद्यनाथ पर सुरति धरू कहबाक संगहि भैरवगणादि पर सुरति धरू निश्चिते टा कहैत छथि ।
प्रस्तुत तस्वीर मे कथारम्भ मे चर्चित भैरवनाथ केर मन्दिर थिकन्हि । मधुबनी जिलान्तर्गत कोठिया-रैयाम गाम समीप भैरवनाथक मन्दिर अवस्थित अछि । मिथिलाक लोकक वास्ते सम्पूर्ण कामना पूर्तिक सर्वसुलभ आराध्य बाबा बैद्यनाथ केँ मानल जाइत छन्हि । कथा-गाथा मे आरो कतेको रास महत्वपूर्ण तथ्य-जानकारी सब भेटैत रहैछ ।
 
अहाँ सब एहि तरहक आरो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गाथा सहितक स्थान – मन्दिर – मठ – ग्रामदेवता आदिक बारे अवश्य अवगत होयब । बड नीक लागत जँ एहने श्रुति इतिहास केँ लिखित रूप मे आम पाठकक लेल अपनहुँ लोकनि राखब, पठायब – मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशनार्थ !! सादर आभार – बाबाक कृपा सब पर बनल रहय ।
 
हरिः हरः!!

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