एहि सँ पूर्व ‘ई १६ चक्रवर्ती राजा छथि भारतवर्षक निर्माता’ केर चारि टा भाग प्रकाशित कैल जा चुकल अछि। सनातन भारतवर्षक परिचित पौराणिक इतिहास अनुसार हिनका लोकनिक योगदान केँ सदैव स्मरण राखल जाइत अछि। यैह कारण सँ ई महत्त्वपूर्ण इतिहास केर वृत्तान्त मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित कैल जा रहल अछि। एहि सँ पूर्वक लेखादि पढबाक लेल सर्च अप्शन केर उपयोग करू या फेर पुरान लेख सब मे ताकू।
संकलन: अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’
अनुवाद: प्रवीण नारायण चौधरी
हर्षवर्धन : इस्लाम धर्म केर संस्थापक हजरत मुहम्मद केर समकालीन राजा हर्षवर्धन द्वारा लगभग आधा शताब्दी तक अर्थात् 590 ईस्वी सँ लैत 647 ईस्वी धरि अपन राज्य केर विस्तार कैल गेल। हर्षवर्धन द्वारा ‘रत्नावली’, ‘प्रियदर्शिका’ और ‘नागरानंद’ नामक नाटिकादि केर सेहो रचना कैल गेल। हर्षवर्धन केर राज्यवर्धन नामक एक भाइ सेहो छलाह। हर्षवर्धन केर बहिनक नाम राजश्री छल। हुनका समय मे कन्नौज मे मौखरि वंश केर राजा अवंति वर्मा शासन करैत छलाह।
हर्ष केर जन्म थानेसर (वर्तमान मे हरियाणा) मे भेल छल। एतय ५१ शक्तिपीठ मे सँ १ पीठ अछि। हर्ष केर मूल और उत्पत्ति केर संदर्भ मे एकटा शिलालेख प्राप्त भेल अछि, जे कि गुजरात राज्य केर गुन्डा जिला मे खोजल गेल छल।
हर्षवर्धन पंजाब छोड़िकय शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य केने छला। हुनक पिताक नाम प्रभाकरवर्धन छल। प्रभाकरवर्धन केर मृत्युक पश्चात् राज्यवर्धन राज भेला, मुदा मालव नरेश देवगुप्त और गौड़ नरेश शशांक केर दुरभि संधिवश मारल गेला। हर्षवर्धन ६०६ मे गद्दी पर बैसला।
हर्ष द्वारा लगभग ४१ वर्ष शासन कैल गेल। एहि समय मे हर्ष द्वारा अपन साम्राज्य केर विस्तार जालंधर, पंजाब, कश्मीर, नेपाल आ बल्लभीपुर तक कय लेल गेल छल। ओ आर्यावर्त केँ सेहो अपन अधीन केलनि। हर्ष केँ बादामीक चालुक्यवंशी शासक पुलकेशिन द्वितीय सँ पराजित होमय पड़ल। ऐहोल प्रशस्ति (६३४ ई.) मे एकर उल्लेख भेटैत अछि। मानल जाइत अछि कि हर्षवर्धन अरब पर सेहो चढ़ाई कय देने छलाह, लेकिन रेगिस्तान केर एक क्षेत्र मे हुनका रोकि देल गेलनि।
६ठम् और ८म् ईसवीक दौरान दक्षिण भारत मे चालुक्य बड़ा शक्तिशाली छलाह। एहि साम्राज्य केर प्रथम शासक पुलकेसन, ५४० ईसवी मे शासनारूढ़ भेला और कतेको शानदार विजय हासिल करैत ओ शक्तिशाली साम्राज्य केर स्थापना केने छलाह। हुनक पुत्र कीर्तिवर्मन व मंगलेसा द्वारा कोंकण केर मौर्यन सहित अपन पड़ोसीक साथ कतेको युद्ध करैत सफलता अर्जित केलनि आ अपन राज्यक आरो विस्तार केलनि।
कीर्तिवर्मन केर पुत्र पुलकेसन द्वितीय चालुक्य साम्राज्य केर महान शासक सब मे सँ एक छलाह। ओ लगभग ३४ वर्षों तक राज्य किया। अपन लंबा शासनकाल मे ओ महाराष्ट्र मे अपनी स्थिति सुदृढ़ कय दक्षिण केर बड़ा भू-भाग केँ जीत लेलनि। हुनकर सबसँ पैघ उपलब्धि हर्षवर्धन केर विरुद्ध रक्षात्मक युद्ध लड़नाय छलनि।
‘कादंबरी’क रचयिता कवि बाणभट्ट हुनकर (हर्षवर्धन) केर मित्रों मे सँ एक छलाह। गुप्त साम्राज्य केर पतनक बाद उत्तर भारत मे अराजकताक स्थिति बनि गेल छल। एहेन स्थिति मे हर्षक शासन द्वारा राजनीतिक स्थिरता प्रदान कैल गेल। कवि बाणभट्ट सेहो हुनकर जीवनी ‘हर्षचरित’ मे विस्तार सँ लिखने छथि।
राजा भोज (राजा भोजदेव) : ग्वालियर सँ भेटल राजा भोज केर स्तुति पत्रक अनुसार केदारनाथ मंदिर केँ राजा भोज द्वारा १०७६ सँ १०९९ ई. केर बीच पुनर्निर्माण कराओल गेल छल। राहुल सांकृत्यायन केर अनुसार ई मंदिर १२-१३मी शताब्दीक थीक। इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद डबराल मानैत छथि जे शैव लोक आदिशंकराचार्य सँ पहिले सँ एहि केदारनाथ मन्दिर जाइत रहल अछि, तहियो ई मंदिर मौजूद छल।
किछु विद्वान् मानैत छथि जे महान राजा भोज (भोजदेव) केर शासनकाल १०१० सँ १०५३ ई. तक रहल। राजा भोज द्वारा अपना समय मे कतेको मंदिर बनाओल गेल। राजा भोज केर नाम पर भोपालक नजदीक भोजपुर बसल छल। धार केर भोजशाला केँ निर्माण सेहो वैह करौलनि। कहल जाइछ जे वैह मध्यप्रदेश केर वर्तमान राजधानी भोपाल केँ बसौलनि जेकरा पहिले ‘भोजपाल’ कहल जाइत छल। हिनकहि नाम पर भोज नाम सँ उपाधी देबाक सेहो प्रचलन शुरू भेल जे हिनकहि समान महान् कार्य करनिहार राजाकेँ देल जाइत छल।
भोज केर निर्माण कार्य : मध्यप्रदेशक सांस्कृतिक गौरव केँ जे किछु स्मारक हमरा लोकनिक पास अछि, ओहि मे सँ अधिकाँश राजा भोज केर देन थीक, चाहे विश्वप्रसिद्ध भोजपुर मंदिर हो या विश्वभरिक शिवभक्त केर श्रद्धाक केंद्र उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर, धार केर भोजशाला हो या भोपाल केर विशाल पोखैर – ई सबटा राजा भोज केर सृजनशील व्यक्तित्व केर देन थीक। ओ जतय भोज नगरी (वर्तमान भोपाल) केर स्थापना केलनि ओतहि धार, उज्जैन और विदिशा समान प्रसिद्ध नगरी केँ नव स्वरूप देलनि। ओ केदारनाथ, रामेश्वरम, सोमनाथ, मुण्डीर आदि मंदिर सेहो बनबौलनि, जे हमरा लोकनिक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर थीक।
राजा भोज शिव मंदिरादिक संग सरस्वती मंदिर केर सेहो निर्माण केलनि। राजा भोज धार, मांडव तथा उज्जैन मे ‘सरस्वतीकण्ठभरण’ नामक भवन बनवेलनि जाहि मे धार मे ‘सरस्वती मंदिर’ सर्वाधिक महत्वपूर्ण अछि। एक अंग्रेज अधिकारी सीई लुआर्ड १९०८ केर गजट मे धार केर सरस्वती मंदिर केर नाम ‘भोजशाला’ लिखबेने छलाह। पहिले एहि मंदिर मे मां वांग्देवी केर मूर्ति होइत छल। मुगलकाल मे मंदिर परिसर मे मस्जिद बना देबाक कारण ई मूर्ति एखन ब्रिटेन केर म्यूजियम मे राखल अछि।
राजा भोज केर परिचय : परमारवंशीय राजा सब मालवा केर एक नगर धार केँ अपन राजधानी बनाकय ८वीं शताब्दी सँ लैत १४वीं शताब्दीक पूर्वार्ध तक राज्य केने छलाह। हुनकहि वंश मे भेल परमार वंश केर सबसँ महान अधिपति महाराजा भोज द्वारा धार मे १००० ईसवी सँ १०५५ ईसवी तक शासन कैल गेल।
महाराजा भोज सँ संबंधित १०१० सँ १०५५ ई. तक केर कतेको ताम्रपत्र, शिलालेख और मूर्तिलेख प्राप्त भेल अछि। भोज केर साम्राज्यक अंतर्गत मालवा, कोंकण, खानदेश, भिलसा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़ एवं गोदावरी घाटीक किछु भाग शामिल छल। ओ उज्जैन केर जगह अपन नव राजधानी धार केँ बनौलनि।
ग्रंथ रचना : राजा भोज स्वयं एक विद्वान हेबाक संग-संग काव्यशास्त्र और व्याकरण केर बड़ पैघ जानकार छलाह और ओ बहुते रास किताब सेहो लिखने छलाह। मान्यता अनुसार भोज द्वारा ६४ प्रकार केर सिद्धि प्राप्त कैल गेल छल तथा ओ सब विषय पर ८४ ग्रंथ लिखलनि जाहि मे धर्म, ज्योतिष, आयुर्वेद, व्याकरण, वास्तुशिल्प, विज्ञान, कला, नाट्यशास्त्र, संगीत, योगशास्त्र, दर्शन, राजनीतिशास्त्र आदि प्रमुख छल।
ओ ‘समरांगण सूत्रधार’, ‘सरस्वती कंठाभरण’, ‘सिद्वांत संग्रह’, ‘राजकार्तड’, ‘योग्यसूत्रवृत्ति’, ‘विद्या विनोद’, ‘युक्ति कल्पतरु’, ‘चारु चर्चा’, ‘आदित्य प्रताप सिद्धांत’, ‘आयुर्वेद सर्वस्व श्रृंगार प्रकाश’, ‘प्राकृत व्याकरण’, ‘कूर्मशतक’, ‘श्रृंगार मंजरी’, ‘भोजचम्पू’, ‘कृत्यकल्पतरु’, ‘तत्वप्रकाश’, ‘शब्दानुशासन’, ‘राज्मृडाड’ आदि ग्रंथक रचना केलनि।
‘भोज प्रबंधनम्’ नाम सँ हुनकर आत्मकथा अछि। हनुमानजी द्वारा रचित रामकथा केर शिलालेख समुद्र सँ निकलवाकय धारा नगरी मे ओकर पुनर्रचना करबौलनि, जेकरा हनुमान्नाष्टक केर रूप मे विश्व भरि ख्याति भेटल अछि। तत्पश्चात् ओ चम्पू रामायण केर रचना केलनि, जे गद्यकाव्य केर लेल विख्यात अछि।
आईन-ए-अकबरी मे प्राप्त उल्लेखादिक मुताबि भोज केर राजसभा मे ५०० विद्वान् छलाह। एहि विद्वान मे नौ (नौरत्न) केर नाम विशेष रूप सँ उल्लेखनीय अछि। महाराजा भोज द्वारा अपन ग्रंथ मे विमान बनेबाक विधिक विस्तृत वर्णन कैल गेल अछि। तहिना ओ नाव आ पैघ जहाज बनेबाक विधि केँ विस्तारपूर्वक उल्लेख केलनि अछि। एकर अलावे ओ रोबोट तकनीक पर सेहो काज केने छलाह।
मालवा केर एहि चक्रवर्ती, प्रतापी, काव्य और वास्तुशास्त्र मे निपुण और विद्वान राजा, राजा भोज केर जीवन और कार्य पर विश्व केर अनेको यूनिवर्सिटीज मे शोध कार्य भऽ रहल अछि। एकर अलावे गौतमी पुत्र शतकर्णी, यशवर्धन, नागभट्ट और बप्पा रावल, मिहिर भोज, देवपाल, अमोघवर्ष, इंद्र द्वितीय, चोल राजा, राजेंद्र चोल, पृथ्वीराज चौहान, विक्रमादित्य छठम्, हरिहर राय और बुक्का राय, राणा सांगा, अकबर, श्रीकृष्णदेववर्मन, महाराणा प्रताप, गुरुगोविंद सिंह, शिवाजी महाराज, पेशवा बाजीराव और बालाजी बाजीराव, महाराजा रणजीत सिंह आदि केर शासन मे सेहो जनता खुशहाल और निर्भिक रहल।
राजा हरिहर : विजयनगर साम्राज्य (लगभग १३५० ई. सँ १५६५ ई.) केर स्थापना राजा हरिहर केने छलाह। ‘विजयनगर’ केर अर्थ होइत छैक ‘जीत केर शहर’। मध्ययुगक यैह शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य केर स्थापनाक बाद सँ एकरा ऊपर लगातार आक्रमण भेल लेकिन एहि साम्राज्य केर राजा सब तेकर कड़ा जवाब देलनि। यैह साम्राज्य कहियो दोसराक अधीन नहि रहल। एकर राजधानीक कतेको बेर मटियामेट कय देल गेल, मुदा एकरा फेर ठाढ कय देल जाइत रहल। हम्पीक मंदिर और महल केँ खंडहर केँ देखिकय जानल जा सकैत अछि जे ई कतेक भव्य रहल होयत। एकरा यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर मे शामिल कैल गेल अछि।
विजयनगर साम्राज्य केर स्थापना राजा हरिहर प्रथम द्वारा 1336 मे कैल गेल छल। विजयनगर साम्राज्य केर स्थापना मे हरिहर प्रथम केँ दुइ ब्राह्मण आचार्य – माधव विद्याराय और हुनक ख्यातिप्राप्त भाइ वेदक भाष्यकार ‘सायण’ सँ सेहो मदैद भेटल छल। हरिहर प्रथम केँ ‘दुइ समुद्रक अधिपति’ कहल जाइत छल।
अनेगुंडीक स्थान पर एहि साम्राज्यक प्रसिद्ध नगर विजयनगर बनाओल गेल छल, जे राज्यक राजधानी छल। बादामी, उदयगिरि एवं गूटी मे बेहद शक्तिशाली दुर्ग बनायल गेल छल। हरिहर होयसल राज्य केँ अपन राज्य मे मिलाकय कदम्ब एवं मदुरा पर विजय प्राप्त केने छलाह। दक्षिण भारत केर कृष्णा नदीक सहायक तुंगभद्रा नदी एहि साम्राज्य केर प्रमुख नदी छल। हरिहर केर बाद बुक्का सम्राट बनला। ओ तमिलनाडु केर राज्य विजयनगर साम्राज्य मे मिला लेला। कृष्णा नदीक विजयनगर तथा मुस्लिम बहमनी केँ सीमा मान लेल गेल। एहि साम्राज्य मे बौद्ध, जैन और हिन्दू अपना केँ मुस्लिम आक्रमण सँ सुरक्षित मानैत छल।
एहि साम्राज्य केर स्थापनाक उद्देश्य दक्षिण भारतीय केर विरुद्ध होमयवला राजनीतिक तथा सांस्कृतिक आंदोलन केर परिणामस्वरूप संगम पुत्र हरिहर आ बुक्का द्वारा तुंगभद्रा नदीक उत्तरी तट पर स्थित अनेगुंडी दुर्ग केर सम्मुख कैल गेल। विजयनगर दुनियाक सबसँ भव्य शहर मे सँ एक छल।
इतिहासकारक अनुसार विजयनगर साम्राज्य केर स्थापना ५ भैयारीवला परिवारक २ सदस्य हरिहर और बुक्का द्वारा कैल गेल छल। ओ वारंगल केर ककातीय केर सामंत छलाह और बाद मे आधुनिक कर्नाटक मे काम्पिली राज्य मे मंत्री बनायल गेल छलाह। जखन एक मुसलमान विद्रोही केँ शरण देला पर मुहम्मद तुगलक काम्पिली केँ रौंद देलक, तखन एहि दुनू भाइ केँ सेहो बंदी बना लेल गेल छल। ई सब इस्लाम स्वीकार कय लेलनि और तुगलक सेहो हिनका सबकेँ तखनहि विद्रोही सबकेँ दबेबाक लेल विमुक्त कय देलक। तखन मदुराई केर एक मुसलमान गवर्नर द्वारा स्वयं केँ स्वतंत्र घोषित कय देल गेल छल और मैसूर केर होइसल और वारगंल केर शासक सेहो स्वतंत्र हेबाक कोशिश कय रहल छल। किछु समय बादे हरिहर और बुक्का अपन नव स्वामी और धर्म केँ छोड़ि देलनि। हुनकर गुरु विद्यारण केर प्रयत्न सँ हुनका लोकनिक शुद्धि भेलनि और ओ विजयनगर मे अपन राजधानी स्थापित केलनि।
तीन वंश : एकर बाद एहि साम्राज्य मे 3 वंश केर शासन चलल – शाल्व वंश, तुलुव वंश और अरविंदु वंश।