संछिप्त परिचय – महान विभूति राधाकृष्ण चौधरी
– प्रवीण नारायण चौधरी
अपन महान विभूति केँ चिन्हू – राधाकृष्ण चौधरी
कतेको ठाम चर्चा अबैत अछि जे मिथिला मे एक्के टा विद्वान् विद्यापतिये टा भेलाह जे लोक खाली हुनकहि टा गुणगान करैत अछि । जी नहि ! मिथिलाक माटि-पानि मे विद्याक अद्भुत मिश्रण भेटैत अछि । एहि स्थल पर जन्म लेल प्रत्येक मनुष्य मे विद्या कूटि-कूटिकय भरल रहैछ । बस, हम-अहाँ हुनकर जीवनी लिखय मे अपन मान घटि जायत से जोखिम बुझैत छी आ कि आने किछु कारण सँ ई काज छुटि रहल अछि । आउ, आइ चिन्ही एक गोट अद्भुत विद्वान् आ महान इतिहासकार श्रद्धेय राधाकृष्ण चौधरी केँ !
हिनक जन्म १५ फरवरी १९२४ ई. आ मृत्यु १९८० केर दशक (१५ मार्च १९८५ ई.) मे भेलनि, तारीख के जानकारी किनको पास हो त जरूर कहब । हिनक मूल ग्राम मधेपुरा जिलाक कहरा थिकन्हि । पटना विश्वविद्यालय सँ एमए (इतिहास) पास कय ओ कर्मक्षेत्र मे जुटि गेलाह । अध्यापन आ गवेषणा सँ संकल्पित प्रतिमान पुरुष राधाकृष्ण बाबू गणमान्य विद्वानक प्रथम पंक्ति मे गानल जाय लगलाह । हिनका एशिया महादेशक प्रख्यात इतिहासकार रूप मे परिचिति भेटलनि ।
ओ जी. डी. कालेज बेगूसराय मे इतिहास विभागक व्याख्याता सँ रीडर आ फेर विभागाध्यक्ष (१९५४ ई.) मे रहलाह । भागलपुर विश्वविद्यालय केर इतिहास विभागीय अध्यक्ष १९७८ सँ १९८२ ई. धरि रहिकय अवकाश ग्रहण कयलनि ।
हिनका द्वारा अनेकों महत्वपूर्ण रचना सब कयल गेल अछि । तिरहुत मे मुस्लिम कानून केर इतिहास, कौटिल्य केर राजनीतिक विचार आ संस्था, मिथिला इन द एज औफ विद्यापति, बिहार का इतिहास, रोलेक्ट इन्सक्रिप्शन्स अफ बिहार, दी होमलैन्ड अफ बिहार, स्टडीज इन एन्सिएन्ट इन्डियन ला एन्ड जस्टिस, दी यूनिवर्सिटी अफ विक्रमशिला, ए सर्वे अफ मैथिली लिटरेचर, प्राचीन भारत का आर्थिक इतिहास, आस्पेक्ट्स अफ सोसियो-इकोनोमिक हिस्ट्री अफ एनसिएन्ट इन्डिया, आदि हिनकर प्रमुख अंग्रेजी भाषा मे लिखल रचना थिकन्हि ।
प्राचीन भारतीय राजनैतिक शासन व्यवस्था, प्राचीन भारत की राजवाटिका एवं संस्कृति का इतिहास, विश्व इतिहास की रूपरेखा (१९५५), भारतीय इतिहास की रूपरेखा, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक शासन – परम्परा (१९७४), पूर्व मध्यकालीन भारत – ई सबटा हिन्दी मे कयल हिनकर महत्वपूर्ण रचना सब थिकन्हि ।
मैथिलीक साहित्य निबन्धावली (१९५६), मिथिलाक राजनीतिक इतिहास (१९६१), मिथिलाक सांस्कृतिक इतिहास (१९६३), ट्रान्सलेशन अफ धम्मपद (१९७३), लालदास (१९८१), महाकवि लालदास केर कृतित्वक साहित्यिक मूल्यांकन – ई सबटा मैथिली मे कयल हिनकर महत्वपूर्ण कृति (रचना) थिकन्हि ।
एहि सभक अतिरिक्त लगभग २०० सँ बेसी गवेषणात्मक निबन्ध (लेख) सेहो प्रकाशित भेल छन्हि जेकरा इतिहासक अमूल्य धरोहर रूप मे मान्यता भेटल अछि । प्रिन्सपुल्स अफ टैक्सेशन इन एनसीएन्ट इन्डिया, थ्योरी अफ पनिशमेन्ट इन एन्सीएन्ट इन्डिया, नान्यदेव एन्ड हीज कन्टेम्पोरेरिज, पोजिशन अफ दि ब्राह्मिन्स इन एन्सीएन्ट इन्डिया, पोलिटिकल हिस्ट्री अफ माइथोलोजी (जी. डी. कालेज, बेगूसराय केर कालेज मैगजीन मे), दी ओइनवार्स अफ मिथिला, अर्ली हिस्ट्री अफ मिथिला, मिथिला का राजनैतिक इतिहास, हिस्ट्री अफ बेगूसराय, जौन डिस्क्राइब्स इन विद्यापतिज कीर्तिलता, विद्यापतिज पुरुष-परीक्षा एन इम्पोर्टेन्ट सोर्स अफ हिस्ट्री, विद्यापतिज फेथ, दि भागिरथपुर इन्स्क्रिप्सन्स, गांगेय यादवाज अफ तिरभुक्ति, महेश्वर स्टोन इन्स्क्रिप्शन्स, बिहार इन कालिदास वर्क्स, गीत नाटककार विद्यापति (निबन्ध संग्रह, दरभंगा), ए रेयर सर्च इमेज अफ बरौनी, कालिदास एन्ड गुप्त आर्ट्स, हिस्ट्री अफ तापा चौधरी, ए कम्परेटिव स्टडीज अफ जैन एन्ड बुद्धिस्ट फिलौसफी, बिहार एन्ड नेपाल, द कल्चर अफ द भारतीयाज, संस्कृत ड्रामाज इन मिथिला, अशोक एन्ड द तक्षशिला इन्स्क्रिप्शन्स, सम रिसेन्ट डिस्कवरीज अफ नौर्थ बिहार, स्फेयर क्वाइन अफ रामभद्र अफ मिथिला, जिन गुप्पा अफ नेपाल, करेन्सी इन मिथिला अन्डर दि एज अफ ओइनवार्स, गोविन्द गुप्त – ए फोरगोटन गुप्त इम्पेरर, फोर्स लेबर अफ एन्सीएन्ट इन्डिया, कौटिल्याज कन्सेप्शन अफ ला एन्ड जस्टिस, प्रबोध चन्द्रोदय, शक मुरुदस इन नौर्थ बिहार, आस्पेक्ट्स अफ फ्यूडलिज्म इन कम्बोडिया, द कौकवार्स अफ बेगूसराय, द लखीसराय इन्स्क्रिप्शन्स, नालन्दा एन्ड विक्रमशिला, ए रिपोर्ट अफ द एक्सप्लोरेशन अफ जयमंगलागढ़, अर्ली मुस्लिम इन्भेन्सन अफ मिथिला, चाइना, तिब्बत, नेपाल एन्ड द कैपिटल अफ तिरभुक्ति, रिभ्यू अफ महाभारत, माइथ एन्ड खिलीजिरा, मैथिली एज ए सोर्स अफ हिस्ट्री, कन्सेप्ट्स अफ हिस्ट्री – आदि हिनकर चर्चित लेख-रचना मे प्रसिद्ध अछि ।
स्रोतः संस्कृतिकोश, लेखकः डा. लक्ष्मी प्रसाद श्रीवास्तव
नोटः
अपन आसपासक विद्वान् लोकनिक खोज करी, हुनकर जीवनी लिखबाक वास्ते सचेष्ट बनी ।
हरिः हरः!!