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जाड़ मे सरिसो केर तेल सँ मालिश बड्ड लाभकारी होई छै

लेख विचार
प्रेषित: नीलम झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “बढ़ैत जाड़ मे कोना करी अपन आ अपन परिवार के देखभाल

एहिके लेल त’ सभसँ पहिने परिवारक सभ सदस्य चाहथीन तखने हुनकर देखभाल नीक सँ हेतैन। मुदा हम अपन किछु विचार रखैत छी।
सबसँ पहिने नहेबाकाल पूर्ण धियान रखबाक चाही जे खुला जगहमे स्नान नञि करी। नीक सँ गमछा सँ देह माथ पोछबाके चाही।कारण जतेक जाड़मे जतेक अटैक होइत अछि विशेष काल नहेबाकाल वा बाथरूममे । गर्म पानि मिलाक पानिके नहेबा योग्य बना ली अथबा चापा कल सँ पानि लक नहेबाक चाही, टंकी के पानि सँ कदापि नञि नहेबाक चाही।
गर्म कपड़ा हमेशा आवश्यकतानुसार लगेबाक चाही, सभसँ बेसी जाड़ कानक आ तरबाके असर करैत छैक ताहि पर विशेष धियान देबाक चाही। तरबामे करू तेल (सरिसब के तेल) लगेबाक चाही। ओहि सँ तरबा गरमाएल रहैत छैक।
ओढ़ना ओछेनाक सेहो विशेष धियान देबाक चाही। संभवतः आगिक व्यवस्था या हीटरके रहबाक चाही। कनेक देह, हाथ, पैर गरमाक फेर आगि /हीटरके बंद क’ देबाक चाही। बेसी नञि तापी। रौदक सेबन सभसँ बेसी फायदेमंद होइत अछि। ठंढ़ा पानि सँ काज केलाके बाद गैसो पर हाथ सेकबे करैत छी।
ओना त’ कहबी छै जे:- जुरंत के फुरंत। तैयो विषय छैक त’ लिखैत छी हम अपनानुसार। खेबाक पिबाक सेहो बेसी धियान रखबाक चाही। ठंढ़ा भोजन सँ बची। गुड़ युक्त भोजन बेसी करी। संतोलामे प्रोटीनक मात्रा बेसी पाएल जाइत अछि त’ ओकर सेवन करी। मशरूम, बथुआ साग, मेथी साग पिआउज -लहसुन सभहक प्रयोग बेसी करी। तेलगर, घीवगर भोजनक बेसी करी। हम त’ भैर जाड़ खूब पूड़ी पराठा खाइत छी। जेना:- सूजी आ चाउरक/ गँहुमक आँटाके दैलपूड़ी, कोबीके पराठा, बंधा कोबीके पराठा, मुरैके, आलुके, सजमैनके सतुवा भैरक पराठा खाइत रहैत छी। बच्चा बूढ़पर बेसी धियान रखबाक चाही।

 

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