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पितर पक्ष मे तर्पण वा पितर केर पुण्यतिथि अनुसार ब्राह्मण भोजन के विशेष महत्व अछि

लेख विचार
प्रेषित: गीता कुमारी गायत्री
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
#विषय:- पितर पक्ष मे तर्पण केर महत्व

अखन मिथिलांचन सहित पूरे भारतवर्ष मे पितर पक्ष मे अपन अपन पितर के अराधना मे लागल छैथ । अपन परिवार मे जे श्रेष्ठ के देहावसान भ जाय छैन तखन हुनक पुत्र द्वारा जलाभिषेक क अराधना कयल जाय अछि ओकरे पितर कहल जाय अछि। ओ पितर लोकनि एहि पृथ्वी पर पितर पक्ष मे आबय छथिन अपन संतति के आशीर्वाद लदेबय लेल एहन धारणा अछि । ई पितरपक्ष भादव पूर्णिमा सं शुरू भ आश्विन के अमावस्या तक चलैत अछि। एहि पितरपक्ष मे कोनो शुभ काज नहि होइत अछि।
एहि पितर पक्ष मे अपन पितर के श्रद्धापूर्वक स्मरण कय तर्पण, श्राद्ध, पिण्ड दान करय छैथ।
पितर पक्ष ,पितर दोष मुक्ति के लेल होइ अछि। विधि पूर्वक पिंडदान, तर्पण कऽ जाहि दिन जिनकर तिथि पड़य छैन ओहि दिन ब्राह्मण भोजन करेला सं पितर दोष सं मुक्ति भेटैत छै । सभ पितर खुश भ अपन संतति के खूब आशीर्वाद दय छथिन।
पितृपक्ष के बड्ड महत्वपूर्ण स्थान देल गेल अछि। एहन मान्यता अछि जे पितृपक्ष मे सोलह दिन तक पितर जे स्थान पेने छथि तकर सूक्ष्म रूप मे अपन परिजन के आसपास रहैत छथि। परिजन यदि विधिवत तर्पण करैत छथि त तर्पण मे देल गेल तिलांजलि सीधे हुनका भेटैत छैन जाइ सॅ ओ अपना परिजन के आशीर्वाद दैत छथिन, जाइसॅ परिजन स्वास्थ्य धन संपदा आ शान्ति प्राप्त करैत छथि।तें दुआरे ओइ बीच मन कें शान्त राखी,झंझट सॅ दूर रही,सात्विक भोजन करी, ब्रह्मचर्य के पालन करी।
पहिल दिन अगस्त्य तर्पण लोक खीरा लय करैत छथि। दोसर दिन सॅ तर्पण पितर के अर्पण करबाक चाही।जाइ तिथि के जिनकर स्वर्ग गमन भेल होय उइ तिथि के विधिवत श्राद्ध तर्पण यानी पार्वण करी। स्वेत वस्त्र धारण कय विधानक संग पिण्डदान करबाक चाही। वर्तन वस्त्रादि कऽ दान करबाक चाही। पूजनक पश्चात ब्राह्मण भोजन करयबाक बिधान अछि।
पितर के प्रति सम्मान, रक्षा आदि सॅ आदमी के शुद्ध संस्कार बनल रहैत छैक,शरीर मे सकारात्मक उर्जा कें संचार होइत अछि।अपन सभक देश धर्म प्रधान देश अछि। मान्यता के अनुसार सभ अपन संस्कृति के पालन केनाय धर्म बुझैत छैथ।
सभहक पितर सभ पर सहाय रहैथ। सभ पितर के सादर प्रणाम।

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