कविता
– संजीत यादव, शिक्षाविद् सह मैथिली रेडियो कार्यक्रम संचालक, बि. एफएम. विराटनगर
हमरे टा याद कय केँ कि हेतय
जँ अहीं माया मारबय तँ!
हमर माया अहाँक दया कि हेतय
जँ माया बिनाक दया हेतय तँ!
मन्दिर-मन्दिर जाकय कि हेतय
जँ भगवानो दुःख नै बुझतय तँ!
छाती भीतर कुण्ठा सँ कि हेतय
जँ हमरे अहाँ कनेबय तँ!
‘साथ जियय-मरय’के किरिये खा कि हेतय
जँ बनौटी किरिया खेबय तँ!