माघी सप्तमी केला सओं शरीर आरोग्य होइ छै

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लेख

प्रेषित :राजन कुमारी

विषय -माघ सप्तमी के महत्व
माघ मासक सप्तमी तिथि के विशेष महत्व मानल गेल अछि।ओना ते अपन मिथिला में विशेष आ श्रद्धा पूर्वक मनाओल जाइत अछी।अय माघी सप्तमी के अनेको नाम से जानल जाइत छल।जेना -आरोग्य सप्तमी,अय दिन भगवान सूर्यदेवक उपासना से आरोग्य जीवनक वरदान प्राप्त भेटय छल। शास्त्रानुसार जिनका शरीर में दुर्वल ग्रसित कोनो बिमारी भ जाइत छल सूर्यक उपासना कयला सं रोग मुक्त भय जाईत अछी।ते आरोग्य सप्तमी नाम कहल जाइत छलै। रथ सप्तमी के नाम सं सेहो जानल जाइत जानल जाइत छलै।
रथ सप्तमी –सास्त्रानुसार मत्स्य पुराण में कहल गेल अछि जे पृथ्वीक आरंभ में सूर्य देवक अय दिन जन्म भेल।ते अहि दिन जन्म दिन सेहो मनाओल जाइत अछी।आ सूर्य देव सात घोड़ा रथ सवार पर अपन किरण सं जगत के प्रकाशित केलन्हि,ते रथ सप्तमी के नाम से सेहो जानल जाइत अछि। अचला सप्तमी के नाम सेहो अछि।
अचला सप्तमी —अपना मिथिला में कतेको लोक सूर्यक पूजा के बाद दिन में एकबेर मीठा भोजन या फलाहारी करैत छलाह।ते अचला सप्तमी के नाम से सेहो जानल जाइत अछि।भानू सप्तमी के नाम से सेहो जानल जाइत अछि।—भानू सप्तमी –ई सप्तमी अगर रविवार के पड़ैत छल ते कतेक एकरा भानू सप्तमी सेहो कहैत अछि। भगवान श्रीकृष्ण धरमराज युद्धिष्ठिर के सेहो अय उपासना के बिषय में कहने छलाह।माघी सप्तमी के दिन अपन मिथिला के लोक भोरे भोर नदी स्नान के लेल सात टा बैर के पात पैर तर आ सात टा आक के पात माथ पर ल के
मंत्र मोनहि मोन पढि के स्नान करैत छल। मंत्र ई पढैत अछि –अयरिन बयरिन पैर तर,बम महादेव माथ पर।
माघक सप्तमी व्रत कयला सं अनेको लाभ प्राप्त होइत अछि, सुन्दर संतान,निरोग शरीर,धन में वृद्धि, अनेको वरदान प्राप्त होयत अछि आ उगैत सूर्य देवक पूजा नितदिन होयत छल।जाहि मे माघ मासक सप्तमी के विशेष महत्व मानल गेल अछि। अपना सब के अपन देव पितर गोसाउनि के गाय के दूध भात आ सक्कर चढाओल जाइत अछि आओर ब्राह्मण भोजन सेहो दूध भात सक्कर खुआओल जायत अछि।
जय दिनकर दीनानाथ