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राम मर्यादा पुरुषोत्तम के भव्य मंदिर क साक्षी छी बनल समस्त विश्व

लेख

प्रेषित : रिंकु झा

लेखनी के धार
विषय – राम मंदिर के उद्घाटन पर संपूर्ण भारत राममय भेल छैथ ,अहि स बेशी सौभाग्य के बात कि छै ,जे हम सब ऐकर साक्षी बनी रहल छी।
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प्रभु राम के जन्म स्थान अयोध्या ओ तीर्थ स्थल अछि,जतय भव्य राममंदिरक निर्माण हुए जा रहल अछि
किछु धार्मिक आर राजनैतिक विवाद के कारण ओहि भूमि पर हुनकर मंदिर नहीं बनि रहल छल। कतएकओ हिंदू राम भक्त अपन प्राण तक न्यौछावर कय देलैन मंदिर बनयबाक पाछु धैर किछु विलंब के कारण बर्षो स भगवान राम के टेंन्ट के भीतर राखल गेल छलनि।जे समस्त राम भक्त के लेल एक टा अभिशाप छल ।
पाँच सौ बरस के बाद अहि साल २२ जनवरी २०२४क सोम दिन भव्य राम मंदिर के उद्घाटन आर प्राण प्रतिष्ठा समारोह होवय जा रहल अछी।जे समस्त राम भक्त के लेल आर सनातनी हिन्दू के लेल अनमोल उपहार छै।जेकर सपना राम भक्त वर्षों पहिले देखने रहैथ ओ आब साकार होवय बला अछी। अहि दिन के ऐतिहासिक बनावय लेल विषेश तरहक आयोजन सब केल जा रहल अछि पूरा अयोध्या के सजाक मनमोहक बनाओल जा रहल अछि ।पूरा देश में दिवाली मनाबय के तैयारी चली रहल अछी।बुर्ह स लक बच्चा सबहक मन आनंद मग्न अछी। पूरा देश राममय बनि चुकल अछी। राम धुन में सब मग्न छैथ। हरेक जगह स राम दरबार लेल नाना तरहक उपहार सब भेजल जा रहल अछी।अक्षत रुप मे राम दरबार के प्रसाद समस्त भारत मे घरे घर बाँटल जा रहल अछी। रंगोली सजाक राम के स्वागत लेल सब आतुर छैथ। बर्षो बाद श्री राम अपन महल मे प्रवेश करता ई अनमोल क्षण रहत। राम जिनगी के सार छैथ।राम नाम के बिना जीवन अकार्थ छै।राम मोक्ष के द्वारी छैथ।राम सृष्टि के पालनहार छैथ।राम मानव रूप मे विष्णु के अवतार छैथ। राम मर्यादा पुरुषोत्तम छैथ।
राम राष्ट्रीय महानायक छैथ,। राम कोनो धर्म के हिस्सा नहीं छलाह , हुनका लेल सब प्राणी बराबर छलैन्ह जेकरा अंदर जान छै। जेना कोल ,भील,केवट ,वानर, ऋषि मुनि सबके सम्मान देलखीन। कखनो,केहनो समस्या स विचलित नहीं भेलैथ।सत्य के अनुसरण सदैव केलैथ ,।एक टा चौपाई के अनुसार राम जखन बाली के मारलखिन त बाली राम स तर्क केलखीन जे आंहा सुग्रीव के कियेक छोड़ी देलियै ओ मित्र छैथ तें।त ऽ राम जबाब देने छथिन जे,,
“अनुज बधू, भगिनी,सुत, नारी,रे सठ ये कन्या सम चारी”
ईनहहि कुदृष्टि विलोकत जोई, ताहि वधे कछु पाप न होई”
राम उदारवादी छलैथ तखने त एतेक राज्य जीतला के बादो पर्वत पर कुटिया मे वास केलैथ। बाली वध के बाद पम्पापुर राज्य सुग्रीव के देलखीन आर सोना के लंका विभिषण के।रावण जखन धरती पर अंतिम सांस ल रहल छलाह त राम , लक्ष्मण स कहय छथिन जे जाक महाराज दशानन स राज विधा सिखय लेल ।,ई हुनकर विनम्रता के पहचान छल।राम एक टा आदर्श पति छलैथ सीता के सिवाय ओ कखनो दोशर स्त्री के तरफ तकबो नहीं केलैथ।राम एक टा आदर्श राजा छलैथ एक टा धोबी के कहला पर अपन गर्भवती पत्नी के असगर वनवास भेज देलखीन ताकि प्रजा ई नहीं सोचैथ कि संविधान के नियम राजा आर प्रजा के लेल अलग-अलग होई छै। राम एक टा आदर्श भाई छलऐथ। ओ एक टा आज्ञाकारी शिष्य छलैथ ,सीता स्वयंवर मे जा धरि गुरु के आज्ञा नहीं भेलैन ओ नहीं उठला जखन कि धनुष तोरब हुनका लेल छोट बात छल।राम एक टा आज्ञाकारी पुत्र छलैथ पिता के वचन पुरा करय खातिर चौदह बरख के वन कटला ,पर सवाल नहीं केलैथ। आजुक पिढी अहि भव्य क्षण के साक्षी बनी रहल छैथ ई सौभाग्य के बात अछि।

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