एक विचित्र अनुभूति
– प्रवीण नारायण चौधरी
(बुकानन हैमिल्टनक लेख सँ प्रेरणा प्राप्ति उपरान्तक ई मनोनुभूति)
बाल्यकाल आ पढाई करबाक उमेर मे एतबा रुचि पक्के नहि छलय इतिहास पढ़य मे… खाली गणित… खाली हिसाब जोड़य मे नीक लागल करय। आब जखन इतिहासक पन्ना मे सँ अपन मूल (मौलिकता) बारे कि सब (कतय-कतय) उल्लेखित अछि, से तकैत छी त हमरा एकटा बड अजीब बातक अनुभव होइत अछि।
बुद्धक अवतार ब्राह्मणक वर्चस्व केँ शमन करय लेल भेल बात गुरुदेव सँ सुनने रही। ब्राह्मण अर्थात् वेद व्याख्याता, शास्त्रक ज्ञाता आ शास्त्रीय निर्देशनानुसार मानव जीवन जिबय के बाट प्रशस्त करयवला ज्ञानी – लेकिन शक्ति पाबि शक्तिक सदुपयोग नहि कयल जायत त फेर ओ असुर बनि जायत आ सुर तत्त्व (सत्य) मार्ग पर ओकरा आनय लेल चमत्कारिक शक्तिक प्रादुर्भाव हेब्बे टा करत। गीताक ओ उक्ति – यदा-यदा हि धर्मस्य.. से वला! से भेल।
अदौकाल सँ जेकरा वेदक ज्ञाता (अध्येता) आ तदनुसार समस्त समाज केँ समेटिकय बढेबाक व्यवस्थापन लेल जिम्मेदार अगुआ रूप मे ब्राह्मण केँ भेटल अधिकार सेहो दुरुपयोग कयले गेल। ताहि समय लगभग २५०० वर्ष पूर्व बुद्ध रूप मे भगवानक अवतार कहल गेल अछि जे कठोर कर्मकाण्ड सँ इतर सहज मानव जीवन आ करुणा-दयाक भाव सँ भरिकय सब जीव प्रति अहिंसाक शिक्षा दैत मानव जीवन आपस मे मिलिजुलि बढ़त से सन्देश देलनि।
परञ्च हुनकहु सन्देश केँ एहि मानवलोक मे जातीय अन्तर्द्वंद्व केँ भड़काबयवला आ अपन सत्ताभोगक लिप्सा पुराबयवला बनायल गेल। आर फेर लिखाय लागल ‘बौद्ध साहित्य’। समाज केँ सैकड़ों वर्ष धरि बौद्ध साहित्यक आधार पर आगू बढेबाक काज कयल गेल।
ओहो बौद्ध साहित्य जखन उग्र आ हिन्सक गृहयुद्ध केर स्थिति बढौलक, अत्याचारी राजा-महाराजाक जन्म देलक, अपन राज्यक सीमा केँ बढाबय लेल कतेको निर्दोष प्रजा आ सैन्यबलक खून बहौलक, त फेर समता स्थापित करय लेल सनातन धर्म आ वेदक विभिन्न दर्शन पर आधारित साम्यवाद स्थापित करबाक काज आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा आरम्भ कयल गेल।
अनेकों दार्शनिक सब विभिन्न पन्थ (मार्ग) केर व्याख्या करैत कोहुना मानव केँ मानवीय धर्म पर अडिग रहि जीवनक अभीष्ट प्राप्ति लेल प्रेरित कयलनि। आर एहि समय फेरो कथा-शैली मे धर्मक व्याख्या साधु-सन्त संग विद्वान् दार्शनिक लोकनि द्वारा कयल गेल। सनातन वैदिक साहित्य आ बौद्ध साहित्य मे सामंजस्यता स्थापित करबाक लेल कुमारिल भट्ट, वाचस्पति, मण्डन, आदि अनेकों महापुरुष लोकनिक जन्म एहि पृथ्वी पर भेल। सभक अभीष्ट मानव जीवन मे शान्ति आ सुख केर परिकल्पना सम्मिलित रहल।
एहि तरहें आपस मे द्वंद्व आ साम्यताक बीच यवन आक्रान्ता द्वारा बिखड़ल समाज पर अपन सल्तनत स्थापित करैत मुगल सम्राज्य आ नवाब सभक मार्फत शासन व्यवस्था – बड़ा भारी उथल पुथल झेललक अपन समाज।
तखन शुरू भेल भक्ति आन्दोलन – आबि गेला फेर सँ कबीर-रहीम-तुलसी-रैदास-सूरदास आदि अनेकों महावीर सन्तान – सब कियो अवतारे भेलथि। होइत-होइत पश्चिमी देश सँ सम्राज्यवादी ब्रिटिश व्यापारी सब सेहो एहि ठामक स्थिति-अवस्था देखि अपन हाथ गंगा मे धोबे कयलक।
आर, भारत जेहेन देश मात्र आठ दशक लगभग सँ स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य रूप मे अपन डेग बढेनाय आरम्भ कएने अछि। एखन धरि ई जातिवाद आ धर्म आदिक भेद-वर्ग केर कारण ओतय सेहो अनेकों द्वंद्व विद्यमान अछिये। नेपालहु मे उपरोक्त उथल-पुथल आ आपसी द्वंद्वक लम्बा इतिहास अछि। एतहु कय गोट गढ़ी आ कोट केर प्रमुख सभक बीच ओहिना छटपटी, युद्ध आ फेर मिलानक इतिहास भेटिते अछि।
एहि समस्त कालखण्डक इतिहास पर सपाट नजरि दैत छी त देखैत छी जे संसार मे बुद्धिये सँ ब्याधि होइत रहल अछि। जतबे बेसी विद्वान् आ जतबे अधिक विद्वताक दावी भेल, समाज ओकर शिकार बनैत रहल अछि।
ब्राह्मण बुद्धिगर छल, विधान लिखलक – समय आयल ओ गाइर-माइर सबटा भोगलक। लेकिन ई यात्रा आइयो वैह बुद्धिगरहा विभिन्न जातिक ब्राह्मणहि केर हाथ मे फँसल अछि या फेर ओहि सँ आगुओ बढ़ि रहल अछि। ई अनवरता प्रक्रिया थिक। चलिते रहत।
(ई लेख बुकानन हैमिल्टन द्वारा नेपाल बारे लिखल गेल जानकारी सँ प्रेरणा पाबि लिखल अछि। हुनकर क्षेत्र भ्रमण, अध्ययन (सर्वे) उपरान्त लिखल गेल विभिन्न कथा-गाथा मे ब्राह्मण विद्वान् सँ लेल गेल सहयोग, जेना नेपालक भ्रमणकाल मे बंगाली ब्राह्मण रामजय भट्टाचार्जी संग विभिन्न स्रोत व्यक्ति जेना लामा पुरहित, किरात प्रमुख, मैथिल ब्राह्मण आदिक जिकिर करैत अपन खोज बारे हिनके सब केँ श्रेय देने छथि।)
हरिः हरः!!