लेख
प्रेषित : नीलम झा
लेखनीक_धार :- “तिला संक्रांतिक तैयारीमे पहिने आ आबमे उत्साहक कतेक अंतर भए रहल गेलैक:-
हमर तील बहब’ ने
हँ- हँ जरूर बहब
तील चाउर आ गूंड़ मिलाकए सभ अप्पन बच्चा सभकेँ दैत छलखीन बूढ़ पुरान वा घरक पैघ ।आर बेर-बेर पुछैत छलखीन जे हमर तील बहबहींन ना आ सभ कियो आ नेना सभ हँसैत कुदैत कहैत छलखीन हँ जरूर बहब।
तील बहब केर अर्थ होइत छैक जे ककरो तील खेने छी त’ हुनकर सेवा कए चुकाबए पड़ैत छैक ।ई तिल लोक मकर संक्रातिक दिन सभकेँ बजा बजाकए खूअबैत छल। मुदा आब त’ नै ओ देवी आ नै ओ कराह ।आब कत गेल ओ उत्साह कत गेल ओ पावनिक अपस्यांत भए ओरियान केनाइ, सभ विलुप्त भ’ रहल अछि। जेहो बाँकी अछि ओहो अप्पन मिथिला मात्र धरि सीमित रही गेल अछि ।पहिने दाइ, काकी, माँ सभ कते दिन पहिने धान भिजा कए चूड़ा कुटैत छलथीन, मुरही भूजैत छलखीन आ तौला के तौला मुरहीके लाइ, चुड़ा भूइजकए चूरौल आ तीलबा बनबैत छलीह आ नेना सभ धियान लगौने बैसल रहैत छल जे कखन ओहिमे सँ खेबालेल भेटत। मुदा आब सभ रेडीमेड। आब त’ लोक बहुत कम बनबैत छैथ कारण नञि आब ककरो बरका परिवार छैक आ नञि ओ सभ आब खेबाक स्नेह। आब बहुत लोक आनलाइन सेहो मंगबैत छैथ।आब ई पावनि -तिहार उत्साहित नञि करैत छैक नवका बच्चा सभकेँ, बल्कि आब सभ पावनि त’ औपचारिकता भेल जा रहल छैक। ज्यों हम सभ एकर जानकारी नव पीढ़ीके नञि देबनि त’ भ’ सकैया जे आब बला पीढ़ी के ई पावनि सभ स्मृति मात्र नञि रहि जाइक।पहिने सभ भोरे-भोर उइठ कए नहाइत छल जे भोरे खाएब लाइ चुरलाइ ।जतेक डूब मारब ततेक तिलबा भेटत।पहिने बरका डेकची चढ़ैत छल आ ओहिमें नवका चाउरक आ कुर्थी दालिक लैसगर खीचैड़ बनैत छल ।आ सभ तरूआ ,तरकारी ,घी,
पापड़,दही ,अचार संग खूम मोन सँ पबैत छल।ई जाड़क पौष्टिक आहार सेहो होइ छल । बनैत तऽ एखनो अहि मुदा पहिने सन ओहि खिचैड़के खेबाक उत्साह नञि अछि। आब नेना सभ डेकचीके चिन्हतो नञि छैथ।
आब त’ सभ कियो एकरा गुड्डी उड़ाक मनबैत छथिन। किदुन-किदुन नाम सेहो नवका रखैत छथिन। एहन पवित्र पावनिक उपहास सेहो उड़बैत छथिन।
पवित्रताक चर्चाक तात्पर्य ई छल जे:- एहि पावनिक दान पूण्यक आ ब्राह्मण भोजनक सेहो बड्ड महत्व होइत छैक। तिलासंक्रातीक दिन सीदहा, तीलबा चूरलाइ आ उनी वस्त्र, सीड़क अथवा कम्बल उत्सर्गक बड्ड महत्व छैक।कारी तिल आ कारी उड़ीदक दाइलक उत्सर्गक सेहो बड्ड महत्व छैक।कहल जाइत अछि जे तिला संक्रातिक दिन सूर्य देव अपन पुत्र शनिदेव सँ भेट करबालेल जाइत छथिन ताहिलक कारी तिल आ उड़ीदक दान कएला सँ पृथ्वी पर लोककें शनिदेवक क्रोध सँ बंचैत अछि।ओहि दिन खरमासक अंत आ सूर्य उत्तरायण दिशामे जाइत छथिन।ओहि दिन सँ नव विवाहिताके साँझ पावनि सेहो शुरू आ एक साल बाद खत्म होइत अछि। कुमारी कन्या तुसारी सेहो ओहि राइत सँ शुरू करैत छैथ आ एक महिना बाद निस्तार। मुदा धीरे- धीरे आब सभ खत्म भ’ रहल अछि। नवका बच्चा सभकेँ आब बुझलो नञि रहतैक शायद।पुषक अंत आ माघक शुरू होइते शुद्ध शुभ लग्न सेहो आइब जाइत अछि। शुरू होइत अछि घर-घरमे शुभ कार्य।
मुदा एखनो हम मिथिलानी ज्यों ठानि लेब त’ जरूर अपन संस्कृति, संस्कार, पावनि तिहार सभहक रक्षा करब आ अप्पन बच्चा सभकेँ ई पावनि तिहार मनेबालेल उत्साहित सेहो कऽ सकब ।
जनकपुरधाम