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शहरक भीड़मे एसगर हम – मैथिली साहित्यक अपूर्व प्रस्तुति

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पोथी परिचय

शहरक भीड़मे एसगर हम

(काव्य संग्रह आ काव्य अनुरूप मिथिला चित्रकला)

कविता: धर्मेन्द्र विह्वल तथा चित्र: एस सी सुमन

एहि बेर हम ‘शहरक भीड़मे एसगर हम’ लऽ कऽ अपनेसभक सोझाँ उपस्थित छी। हमर विगतक कविता कृतिसब रस्ता तकैत जिनगी (२०५१), एक सृष्टि एक कविता (२०५६), एक समयक बात (२०६३), धुवाँएल आकृतिसभ (२०६३) आ व्योमक ओहि पार (२०७८) केँ स्वीकार कऽ हमर लेखनीकेँ प्रोत्साहित करबाक काज जे अपनेलोकनिसँ भेल, हम ताहिहेतु कृतज्ञता व्यक्त करऽ चाहब आ इहो चाहब जे ई संग्रहक मादे सेहो हमरा अपनेलोकनिक उएह प्रेम आ सिनेह भेटए।

– धर्मेन्द्र विह्वल

समग्रमे शैली, विम्ब, चेतना आ चित्रणक मौलिक बनौट कवि विह्वलक कवितामे छैक। मैथिली कविताक रूप, विषयवस्तु, हस्तक्षेपक सिर्जनात्मक व्यापकता विह्वलकेँ एकटा अग्रणी कविक रूपमे स्थापित करैत छैक। एहि संग्रहक माध्यमसँ मैथिलीक काव्यपारखी पाठक-पाठिका कवि धर्मेन्द्रक विस्तारित काव्य-फलककेँ आस्वादन कऽ पओताह/पओतीह। विगतमे प्रकाशित ‘रस्ता तकैत जिनगी’क बाद दीर्घकविता, हाइकु, छौंक, तांका आ अखन एक्के शीर्षकमे अनेक कविता, धर्मेन्द्र कविताक हरेकरूपक सृजनामे ओतबे सिद्धहस्त छथि से प्रमाणित करैत अछि। अपना कालखण्डक एकटा काव्य प्रतिमान ठाढ़ करबादिसि उन्मुख मित्र धर्मेन्द्र विह्वलक ई कविता संग्रह सुधि पाठक, आलोचक आ साहित्यिक तत्त्ववेत्तासभसँ समादृत हएत सएह कामनासहित कवि विह्वलक सम्बन्धमे एतबए कहब जे धर्मेन्द्र शब्द-शब्दमे छथि, भाव आ भावनामे छथि, रस आ संवेदनामे छथि।

– रमेश रञ्जन, पूर्व सदस्य, प्राज्ञ परिषद्, नेपाल संगीत तथा प्रज्ञा प्रतिष्ठान (काठमाण्डू, नेपाल) – पोथीक भूमिका निष्कर्ष अनुच्छेद मे ।

शहर – १

आइधरि

हम बुझैत छलहुँ

शहर जिबैत अछि

संगहि हमहुँ,

मुदा

आइ जानकारी भेल

शहर

शमशानघाटपर

जरिरहल अछि

सँगहि

हमहुँ जरबाक

पूर्वाभ्यास कऽ रहल छी।

– २०४७/०६/२३ जनकपुरधाम

एहि तरहें कुल ५१ गोट काव्य रचनाक संग चित्रकार एस. सी. सुमन केर चित्र सहितक ई मैथिली काव्यक एक अपूर्व पोथी थिक। एकर मूल्य नेपाली रुपया ३२० टका आ भारतीय रुपया २०० टका अछि। ई पोथी मिथिला नाट्यकला परिषद् जनकपुर द्वारा प्रकाशित कराओल गेल अछि।

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