मैथिली बड्ड प्राचीन साहित्यिक भाषा थीक

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लेख : भाषा एवं साहित्य

प्रेषित :भगवान चौधरी

भारत कs साहित्य अकादमी द्वारा मैथिली कs साहित्यिक भाषा कऽ दर्जा पंडित नेहरू जीक समय १९६५ मे हासिल भेल । २२ दिसंबर २००३ क’ भारत सरकार द्वारा मैथिलीक भारतीय संविधानक आठवीं अनुसूची भ गेल आओर नेपाल सरकार द्वारा मैथिली वा नेपाल मे दोसर स्थान मे राखल गेल ।

इतिहास के प्राचीनतम भाषाओं मे सौं एकटा मैथिली भाषा अछि जेकर पहिल प्रमाण रामायण मे भेटैत अछि। जे त्रेता युग मे मिथिलानरेश राजा जनक के भाषा मैथिली रहैन । मैथिली मुख्य रूप सौं बिहार के 15 जिला मे बाजल जैत अछि ओ भेल दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया और सुपौल जेकर आम बोलचाल भाषा आ साहित्य अछि। अहि सौं अलावा झारखंडक किछु जिला मे सेहो बाजल जैत अछि ।पूरा संसार मे सब सौं सुंदर वा मधुर भाषा मैथिली अछि ।विश्व कs सब सौं प्राचीन व मीठ भाषा कहैत अछि ।ककरो कोनो झगड़ा वा कोनो ऊच नीच बात भ गेल तैयो दोसर कें सेहो ओतबो सुनइ मे खराब नई लागल करैत छैक ।दोसर बात जे सबकें अपन माई कऽ भाषा अवश्य नीक लगबाक चाही ।ऐना हमहु बहुत ठाम घुमलौं आ जाहि मे सब ठाम लोक अपन अपन मातृ भाषा मे बात करत आ अपन मिथिलाक कियो भेंट हेता तऽ पहिले बरका बरका गप हम यूँ छी आर तखने हिन्दी सुरु भ जेता आर बजता हमरा लड़का सब यही जन्म लिया है, इसलिए उस सब को मैथिली नहीं आता है, कोन जाए ओ जंगल राज में ? हम सब यहीं खुश हैं, अच्छा भईया फिर मिलेंगे । कहु तऽ अहि तरह के स्टेटमेंट सौं ओ नै गाम के छथि वा नै परदेशक ,बिच नदी मे या हवा मे घूइम रहल छथि । हाँ इ अलग बात अछि जे अपन मैथिल घर स बाहर घूइम रहल छैथ वा आर्थिक निवारण लेल त जे लोक भेटल ओहि लोक स ओकरहि भाषा मे अपन काज निकालबाक प्रयास करय छथि।जेना जे नेपाल मे छैथ ओतय नेपाली मे ,जे बंगाल मे छैथ ओ बंगाली मे, जे पंजाब मे छैथ ओ पंजाबी मे ,जे लंदन मे छैथ ओ इंग्लिश मे,काज चलबै छथि। हमरा कहबाक तातपर्य इ जे जिनका जेना जोगार बैसै छैन ओ ओना काज करैत छथि लेकिन जिनका मे ज्ञान छैन ओ अपन भाषा अपन लोकक मध्य मे जरूर बजैथ । एक आध टा धान खेत मे बागर धान भ जै छैइ ओकरा हम सब मिल कs धान कटलाक दस दिन बाद कटैत छी त ओहो काज के भ जैत छै ।बाद मे ताहिना जे बागर हेता ओ अहीना अलग सs सब कियो बूइझ जेबई जे इ बागर धान छैइ ओ बाद मे धान पकइ वला हेतइ ।यानी लौट क अपने खुटा पर मालजाल सेहो आबिए जाइ छै ।भगवान चौधरी