लेख
– अर्चना मिश्र ‘अर्शी’
बिहार प्रशासनिक सेवामे मैथिली विषय लऽ पढ़ाई करैत अछि, परंतु प्रथम पाठशाला सौं विलुप्त अछि।
संविधानक आठम अनुसूचीमे मैथिली केँ मान्यता भेटि चुकल छैक, सम्मान तखनहि भेटत जखन हम सब समुचित प्रयोग करब।
मिथिलांचलक सभ क्षेत्रक जनतामे अखनि उत्साहक लहरि उमड़ि रहल अछि! लगैत अछि जेना कोनो बिहाड़ि उठल हो, लेकिन ओ बिहाड़ि विलीन नहि होयत अपन अमिट छाप छोड़िकय रहत।
मैथिलीक स्थान आठम अनुसूचीमे दियौलनि “माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई”, ई अटलजीक अटल फैसला छल। हमरा लोकनिकेँ एकर मान रखबाक छल से नहि कऽ पेलौँ । खाली चिकरि रहल छी मैथिली के विद्यालय मे स्थान भेटय! हँ, भेटबाको चाही। हमर भाषा समृद्ध अछि। महामहोपाध्याय सभ अपन छाप छोड़ि गेल छथि। बाबा विद्यापति लग तँ साक्षात महादेव स्वंय चाकर बनि यैला। हम ओहि मिथिलासँ छी। ‘मुदा मैथिली बजैमे लाच होइत अछि, मातृभाषा हमर मैथिली छी नहि बाजि सकैत छी! कारण बच्चा सभके नीक विद्यालय मे नाम नहि लिखायत मातृभाषा पूछत तँ मैथिली कोना कहबै? ई बहुतों गोटे के प्रश्न छनि! बहुत गोटे एकर सामना कयने होयता।
मिथिलांचलसँ बाहरक बच्चा भारतीय प्रशासनिक सेवा और बिहार प्रशासनिक सेवामे मैथिली विषय लऽ पढ़ाई करैत अछि! लेकिन मिथिलांचलक बच्चा अपन भाषा के हे दृष्ट सँ देखैत अछि।
सरकार तँ मैथिलीक प्रति शत्रु भाव रखिते अछि। परन्तु आब मिथिलावासी नहि मानत मैथिलीकेँ उचित मान दियवाक संकल्प लऽ अपन डेग बढ़ा रहल छथि।
मिथिलांचलक कोनो सरकारी कार्यालयमे मैथिलीमे लिखल अवेदन पत्र खारिज नहि कैल जा सकैत छै।तइयो मिथिलावासी के मैथिली पढ़े मे लिखैमे हीन भावनाक बोध होइय छनि। जखन हमरा लोकनि अपने सँ अपन भाषाक अपमान करैत छी तँ आगू वला क्याक नै करत।हम सब हिन्दी अंग्रेजी बजै छी तँ गौरवक बोध होइत अछि। लेकिन ई नै सोचैत छी अपन मातृभाषाक अपमान कऽ रहल छी।
जखन बच्चाक जन्म होइत छै तँ सबसँ पहिने अपन मायक बोली यथार्थ मातृभाषा सिखैत अछि।तखन कोनो आन भाषा। जखन मिथिलांचलक लोक अपन भाषा छोडि दोसर भाषा रोजमर्रा मे सामिल कयलनि तँ आर अइ सँ बेसी दुःख की होयत आइ काल्हि नवयुवक लोकनि साकांक्ष छथि आभाषी दुनियां सँ जुड़ि कs नित्य दिन रचनाक निर्माण करैत छथि, और अनेक मैथिली पोथी छपा रहल छथि।
लेकिन! पाठक नहि छै ई बहुत दुःखक गप्प थीक। बाजब मैथिली, पढ़ब मैथिली, लिखब मैथिली! यैह मनमे संकल्प लऽ आउ सभ मिलि डेग बढ़बैत छी! मैथिली भाषाकेँ मान भेटै, स्थान भेटै, सम्मान भेटै।