- देवोत्थान एकादशी पर विशेष – – – – “ॐ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो. भवान ऋषिर्वन्दितवन्दनीय:।
प्राप्तां तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व-जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघागता निर्मल पूर्ण चन्द्र: शरद्यपुष्पाणि मानोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द! त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम् ।। ” विष्णु पुराण केर अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी क जकरा हमरा लोकनि हरिशयन एकादशी कहैत छियैक ताहि दिन सँ चारि मासक लेल भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करवाक लेल चलि जाइत छैथि आ चारि मासक पश्चात् आजुक दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल एकादशी क जागैत छैथि। एहि कारण सँ आजुक एकादशी के देवोत्थान अर्थात देवता के जगावै बाला तिथि के रूप आदिकाल सँ परम्परा चलैत आबि रहल अछि। आजुक एकादशी के तुलसी एकादशी सेहो कहल जाइत छैक कारण एहि दिन तुलसी विवाह केर आयोजन सेहो कयल जाइत अछि। आजुक एकादशी के महत्व केर सम्बन्ध में कहल जाइत अछि जे, जे कियो आजुक एकादशी के दिन भगवान विष्णु केर पूजन अर्चन करैत छैथि ओ समस्त कष्ट सँ मुक्त भ जाइत छैथि। आजुक एकादशी करवाक फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ केर फल सँ अधिक होइत छैक। पौराणिक कथा के अनुसार एक बेर लक्ष्मी महारानी भगवान विष्णु सँ कहलखिन्ह जे अहाँ के विश्राम करवाक समय निर्धारित नहिं कयल गेल अछि जाहि सँ अहाँक स्वभाव पर सेहो धीरे धीरे नकारात्मक प्रभाव पड़ि रहल अछि आ संगहि हमरो विश्राम करवाक समय प्राप्त नहिं होइत अछि। ओना एहि विषय में लोक मान्यता अछि जे जँ भगवान आँखि बन्द कऽ लेताह तऽ एहि दुनिया के संचालन असंभव भऽ जायत तखन हँ भगवान आराम करवाक मुद्रा में चलि जाइत हेताह। आजुक दिन तुलसी केर विवाह भगवान शालिग्राम सँ कराओल जाइत छन्हि। मान्यता केर अनुसार तुलसी आ शालिग्राम के विवाह कराओला सँ वएह फल प्राप्त होइछ जे एकटा माता पिता के अपन बेटीक कन्यादान सँ प्राप्त होइत छैक। एकटा पौराणिक कथा केर अनुसार भगवान विष्णु भाद्रपद मासक शुक्ल एकादशी क महा पराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस के संहार कयने छलाह। घनघोर युद्ध सँ थाकि गेलाक कारणेँ ओ क्षीरसागर में जा क सूति रहलाह आ हुनकर नींद चारि मासक पश्चात् आजुक दिन अर्थात देवोत्थान एकादशी के दिन खुजलन्हि। आजुक दिन भगवान विष्णु केर सपत्नीक आह्वान कय विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन करवाक चाही। एहि दिन उपवास करवाक विशेष महत्व अछि। अग्नि पुराण में वर्णित तथ्य केर अनुसार आजुक दिन उपवास कयला सँ लोक बुद्धिमान, शांति प्रदाता आ संततिदायक होइत छैथि। विष्णु पुराण केर उल्लेखक अनुसार जँ कोनो व्यक्ति लोभ सँ ग्रसित भए अथवा मोह सँ वशीभूत भ जाइत छैथि त हुनका आजुक दिन उपवास कए संध्याकाल में भगवान विष्णु के जगेबाक लेल विधि विधान सँ उपरोक्त मंत्र के पढैत हृदय सँ पूजापाठ करवाक चाही। आजुक दिन सँ मंगल कार्य केर आरम्भ भ जाइत अछि। तीनू भुवन केर पालनकर्ता भगवान विष्णु सभक कल्याण करैथि एहि मंगलकामना केर संग जय तुलसी महारानी आ जय शालिग्राम भगवान विष्णु.
कीर्ति नारायण झा