पुजू विचित्र देहधारी विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गणेश

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” मिथिलामे गणेश भगवानकेँ पूजा आ महत्व ”

हिंदू धर्म आ पूजामे भगवान श्रीगणेशकेँ प्रथम पूजनीय मानल गेल अछि। भगवान गणेश, मनुष्यकेँ कष्ट हरि लैत छथि आ हुनकर पूजा कएलासँ घरमे सुख-समृद्धि अबैत अछि। परंपराक अनुसार, हरेक धार्मिक उत्सव आ समारोहक शुरूआत भगवान गणेशक पूजासँ ही शुरू होइत अछि। संत महात्मा कहैत छथि कि देवता सेहो अपन कोनो काजकेँ बिना विध्नक पूरा करयकेँ लेल सबसँ पहिने गणेश जीक अर्चना करैत छथि।
अपन मिथिलामे भाद्रपद मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी कऽ व्रत करबाक विधान रहल अछि। मान्यता अछि कि एहि तिथिकेँ संबंध भगवान गणेश जीक जन्मसँ अछि तथा ई तिथि गणेश जीकेँ अत्यंत प्रिय अछि। ज्योतिषानुसार गणेश जीकेँ चतुर्थीक स्वामी कहल गेल अछि। गणेश भगवानक रूप, मनुष्य आ जानवरक अंगसँ मिलि कऽ बनल अछि। भगवान श्रीगणेश मंगलमूर्ति सेहो कहल जाइत छथि कियैकि हिनकर सब अंग जीवनकेँ सही दिशा देबयकेँ सीख दैत अछि।

पैघ मस्तक – गणेश जीकेँ मस्तक बड्ड पैघ छैन्ह। अंग विज्ञानक अनुसार पैघ मस्तक वाला व्यक्ति नेतृत्व करयकेँ योग्य होइत अछि। हुनकर बुद्धि कुशाग्र होइत छैन्ह। गणेश जीकेँ पैघ मस्तक इहो ज्ञान दैत अछि कि अपन सोचकेँ पैघ बना कऽ राखक चाही।

छोट आँखि – गणेश जीकेँ आँखि छोट छैन्ह। अंग विज्ञानक अनुसार छोट आँखि वाला व्यक्ति चिंतनशील आ गंभीर होइत अछि। गणेश जीकेँ छोट आँखि ई ज्ञान दैत अछि कि हरेक वस्तुकेँ सूक्ष्मतासँ देखि – परैख कऽ ही कोनो निर्णय लेबाक चाही। एहि तरहक व्यक्ति कखनो धोखा नहिं खाइत अछि।

सूप जेकां लंबा कान – गणेश जीकेँ कान सूप जेकां पैघ अछि ताहि दुवारे हिनका गजकर्ण एवं सूपकर्ण सेहो कहल जाइत अछि। अंग विज्ञानक अनुसार लंबा कान वाला व्यक्ति भाग्यशाली आ दीर्घायु होइत अछि। गणेश जीकेँ लंबा कानक एक रहस्य इहो अछि कि ओ सभक सुनैत छथि फेर अपन बुद्ध आ विवेकसँ निर्णय लैत छथि। पैघ कान हरदम चौकन्न रहयकेँ संकेत दैत अछि। गणेश जीकेँ सूप जेकां कानसँ ई शिक्षा भेटैत अछि कि जेना सूप खराब चीजकेँ बीछ कऽ अलग कऽ दैत अछि ओहि तरहें जे खराब बात अहाँक कान तक पहुँचैत अछि ओकरा बाहरे छोड़ि दी। खराब बातकेँ अपना भीतर नहिं आबय दी।

गणपतिकेँ सूंड – गणेश जीकेँ सूंड हमेशा हिलैत- डोलैत रहैत अछि जे हुनका हर क्षण सक्रिय रहयकेँ संकेत अछि। ई हमरा ज्ञान दैत अछि कि जीवनमे सदैव सक्रिय रहबाक चाही। जे व्यक्ति एहेन होइत अछि ओ कखनो दुःख आ गरीबीक सामना नहिं करैत अछि।

पैघ उदर – गणेश जीकेँ पेट बहुत पैघ छैन्ह। यैह कारणसँ हिनका लंबोदर कहल जाइत अछि। लंबोदर हेबाक कारण ई अछि कि ओ हरेक नीक आ बेजै बातकेँ पचा जाइत छथि आ कोनो भी बातक निर्णय सूझबूझक संग लैत छथि। अंग विज्ञानक अनुसार पैघ उदर खुशहालीक प्रतीक होइत अछि। गणेश जीकेँ पैघ पेट हमरा ई ज्ञान दैत अछि कि भोजनक संग-संग बातकेँ सेहो पचेनाइ जरूरी अछि। जे व्यक्ति एहि तरहक होइत अछि ओ हमेशा खुशहाल रहैत अछि।

एकदंत – बाल्यकालमे भगवान गणेशकेँ परशुरामजी सँ
युद्ध भेल छलनि। एहि युद्धमे परशुराम अपन फरसासँ भगवान गणेशक एक दांत काटि देलथिन। एहि समयसँ गणेश जी एकदंत कहबैथ छथि। गणेश जी अपन टूटल दांतकेँ लेखनी बना लेलनि आ एहिसँ पूरा महाभारत ग्रंथ लिख देलथिन। ई गणेश जीक बुद्धिमत्ताक परिचय अछि। गणेश जी अपन टूटल दांतसँ ई सीख दैत छथि कि चीचक सदुपयोग कोन तरहे करबाक चाही।
मिथिला भूमि सदयसँ बुद्धि, विद्या आ विवेक लेल प्रसिद्ध रहल अछि। श्री गणेश एहि तीनू गुणकेँ खान छथि। तखन ई उचिते अछि कि मिथिलाक लोक गणेश भगवानक पूजा खूब मनोयोग आ धूमधामसँ करैत छथि।
जय मिथिला,जय मैथिली।

आभा झा
गाजियाबाद