बिन मांगल सलाह देबय त ओकर मोजर हेतय!!
मोजर त नहिये टा हेतय! तैयो, हमरा जेहेन बकवादी लोक केँ रहल नहि जाइछ त किछु-किछु बकिते रहैत छी आ ताहि मे जँ लय योग्य नीक सलाह भेटि जाय केकरो त ल’ लेथिन से सोच रहैत अछि। सोच टिटहीक यैह न रहैछ जे राति सुतब त टांग दुनू उठा लेब, कहीं आकाश खसतय त लोकि लेतय हमरे टांग। हाहा! बेचारा टिटही! चलू टिटही सही!!
अहाँ सब बुधियार लोक छी। सब काज नीक करैत छी। अहाँ सभक सोच रहैत अछि जे हम सब जे करबय से दुनिया सँ हंटिकय (आन मैथिली-मिथिलाक लीक सँ अलग) करबय आ से निश्चित समाज केँ आगू बढा देतय। एहि सकारात्मक सोच आ अपन ओतबे ठोस पृष्ठभूमिक सम्पूर्ण लगानी करैत अहाँ सब समाजक हित मे विभिन्न आयोजन करैत अयलहुँ। परञ्च अहाँ स्वयं बुझैत छियैक जे अपेक्षा अनुकूल रिजल्ट नहि अबैत अछि। कियैक?
कियैक त अहाँ अपन हाई फन्डा थ्योरी (उच्च आधारभूत सिद्धान्त) जमीनी स्थिति-परिस्थितिक अध्ययन आ यथार्थ सरोकारी लोकक बीच बिना उचित रूप सँ पहुँचने मात्र आकाशी सोच (sky perception) सँ परिवर्तन अनबय त ओ उपलब्धिमूलक कहियो नहि होयत।
तथापि अहाँ जेहेन सफल आ सबल लोक लेल एतबो उपलब्धि कम नहि अछि। अहाँ फेर-फेर अपन प्रयत्न आ यथोचित कार्यक्रम सब करिते रहबय सेहो सिद्ध कएने छी। हम एहि जज्बा-जोश केँ नमन करैत छी फल्लाँ। अहाँ लोकनि महान छी, से हम खूब जनैत छी। लेकिन महानताक अर्थ व्यापक होयत जँ कनेक जमीनी अध्ययन बढ़ाकय आ डिजाइन मे सेहो कनेक बदलाव आनिकय – सभक राय लयकय लोकतांत्रिक पद्धति पर चलबय त बेसी नीक परिणाम एब्बे टा करत।
किछु बात आर कहब। कम्पनी मैनेजमेन्ट अथवा इवेन्ट मैनेजमेन्ट वला सूत्र प्रयोग कय केँ प्रस्तुति सच मे नीक लगैत छैक। छरेछाँट कानीकाँट जबान सब आ लाले-लाल हार सँ सजल लाल सब पंक्तिबद्ध ठाढ़ भ’ नेशनल एन्थम गबैत छैक त नीक लगबे करैत छैक। मुदा मंचीय प्रस्तुति मे नवाचारक घोर अभाव आ सरोकारी जनसहभागिताक कमी सँ सारा कार्यक्रम कमजोर पड़ि जाइत छैक। तथापि, एकटा चुनौतीपूर्ण टास्क केँ पूरा करबाक जोश, लगन आ समर्पण सँ समाज मे सकारात्मक सन्देश जाइते टा अछि से हर बेर गेल। रेकर्ड बनैत रहल अछि।
बस, निरन्तरता दय मे प्रयोगधर्मिताक कारण उल्लेख्य परिणाम नहि आबि सकल तेकर मात्र कष्ट होइछ, सेहो हम बकवादी टाइप के लोक केँ। अहाँ सब लेल शुभकामना!!
एक बातक ध्यान राखब – दोसरो लग बुद्धि छैक। ई बेर-बेर सोचब आ विश्वास करब। एना स्वयं के वजन बेसी भारी भेला सँ पोनो उठबय मे ३ घन्टाक समय लगैछ। सावधान! वजन पर कन्ट्रोल करू।
अपन मिथिलाक २५% लोक अपनहि बौद्धिक सामर्थ्य सँ विभिन्न क्षेत्र (राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय) हर स्तर पर आइ बहुते बेसी आगू बढ़ल छैक। ओ जतय होइ, अपन बौद्धिक बल सँ अलग स्थान बनेने अछि।
अहाँक बम्बइये के उदाहरण लिअ न फल्लाँ! सैकड़ों परमबली मैथिल सब अगले-बगल मे नजरि पड़ि जायत।
एखनहि नहि देखलियैक मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे, अहाँ सब भाउ-बट्टा नहि बुझलियैक आ चट् ५-१० परमबली सब ठाढ़ भ’ गेलैक। फट् सारा काज करबा देलकैक जेकर चर्चा पुरे राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय जगत मे भेलैक। आब अहाँ सोचबय जे ‘धू, ई भाषा-साहित्य सब लय कय कि हेतय!’, त कहि दी परदेशिया चश्मा उतारू आ स्वदेशी दृष्टि राखू। काज बाप-पुरखे वला गुण आओत। परदेशिया सूत्र चमक-दमक मे फिट बैसैत छैक, धरि ओकर प्रभावकारिता बड पातर, तन्नुक आ भूलभूलैया टाइप के भेल करैत छैक।
तखन त लोक अपन कर्मठताक पूँजी सँ मरुभूमि मे सेहो हरियर जंगल लगा दैत छैक, दुबई मे देखियौक एकर उदाहरण। से अपने करैत रहब, मैथिलीक कीड़ा अहाँ केँ सेहो काटि लेलक। बिसबिस्सी अहाँ सँ बेर-बेर काज करबेबे करत। धरि, कनेक अपन वजन अपन मिथिलावासीक मौलिक स्वरूप लग हल्लूक राखल करियौक। भारी-भरकम बनि जेबय आ एमएलएफ मे सैकड़ों लेखक-साहित्यकार ‘सरस्वतीपुत्र’ सब केँ तुच्छ बुझि दर्शनो लेल नहि एबय, किंवा अपनहि भागिरथस्वरूपक दर्शन हुनका सब केँ नहि देबय त हेतय फल्लाँ! बुझू!!
#मिथिला_रोजगार_मेला एक बेहतरीन सोच के कार्यक्रम दरभंगा मे सम्पन्न भेल ३० अप्रैल केँ। #मैथिल_समन्वय_समिति एकर बेहतरीन आयोजन कयलनि। हमर उपरोक्त पोस्ट ओहि पर आधारित अछि। एकरा छूछ आलोचना नहि मानल जाय। कान देल जाय। आग्रह।
हरिः हरः!!