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अर्थशास्त्र – कौटिल्य चाणक्यक ओ महान नीतिशास्त्र जे राजधर्म सिखबैत अछि

प्राचीन साहित्यः अर्थशास्त्र

– अनुवादित लेख (अनुवादकः प्रवीण नारायण चौधरी)

अर्थशास्त्र (सामग्री विज्ञान)

कौटिल्य, या सामान्यतया विष्णुगुप्त चाणक्य के नाम सँ जानल गेनिहार, भारतक प्रथम प्रधानमंत्रीक रूप मे जानल जाइत छथि। ईसा पूर्व ४था शताब्दी मे भारतक सब सँ पैघ सम्राज्यक संस्थापक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य केर मुख्य सलाहकार कौटिल्य मौर्य सम्राज्यक अत्यन्त महत्वपूर्ण हस्ती छलाह जे भारतक भविष्य केँ गढ़लनि । ओ अपन समय मे प्रसिद्ध अर्थशास्त्र लिखलनि, जे राज्यशिल्प या ‘सामग्री विज्ञान’ पर पहिल ज्ञात पुस्तक थिक ।

ई किताब राजा, शासक आ आम लोक केँ सरकार, सेना, व्यवसाय आ समाज केना चलेबाक चाही से सलाह दैत अछि; संगहि कच्चा माल आ खनिज सभक निष्कर्षण कुशलता आ प्रभावी दूनू ढंग सँ केना कयल जाय तेकर निरूपण करैत अछि । ई पोथी शासक अभिजात वर्ग तथा आम लोक संग कोना व्यवहार कयल जाय ताहि पर सलाह दैत अछि; संगहि लोक सबकेँ काजक आधार पर कोना पुरस्कृत कयल जाय सेहो सिखबैत अछि। ई अलग-अलग परिदृश्य मे युद्ध रणनीति एवं सैनिक सब केँ प्रशिक्षित करबाक आ युद्ध क्रीड़ाक महत्व सभक सेहो विवरणात्मक स्वरूप केँ गहिराइ सँ बुझबैत अछि ।

पाठ मे किछु अत्यन्त गम्भीर पक्ष सब पर सेहो चर्चा कयल गेल अछि । पुस्तक राज्य कूटनीति के बात करबाक संग-संग धोखा आ गोपनीयताक प्रयोग कयकेँ राज्यक दुश्मन या गद्दार सभक हत्या करबाक जेहेन ‘आवश्यक दुष्टता’ केर सेहो खूब सावधानी सँ प्रोत्साहित करैत अछि। यद्यपि ई सब हुनकर समयक यथार्थ केँ दर्शाबैत अछि; एकटा एहेन कालखंड जखन लोक सब यदाकदा विभिन्न लोभ सँ एक-दोसर लेल क्रूर बनैत छल, हालांकि एहेन प्रसंग दुर्लभे होइत छल।

अपन ग्रंथ मे कौटिल्य स्वयं ब्राह्मण हेबाक कारणे जाति व्यवस्थाक उल्लेख बहुतो बेर अवश्य करैत छथि, लेकिन सब जाति संग सम्मानपूर्वक व्यवहार करबाक महत्व पर सेहो प्रकाश दैत छथि । रोचक बात ई जे एहि मे अछूतताक (अस्पृश्यताक) कोनो चर्चा तक नहि भेटैत अछि । पुस्तक मे स्पष्ट रूप सँ कहल गेल अछि जे जाति मे उच्चतम मानल जायवला ब्राह्मण जँ कहियो कोनो अन्य जातिक खिलाफ अपराध या अन्याय करय त ओकरा तदनुसार सजा भेटबाक चाही ।

कौटिल्य समाज मे आ पड़ोसी राज्यक संग शांति बनेबाक लेल शासकक महत्व केँ इंगित करैत छथि; सबहक आर्थिक कल्याण करब आ अपन राज्य मे अकाल व महामारी सँ हर हाल मे बचबाक बात खूब नीक सँ करैत छथि।

कौटिल्यक जन्म तक्षशिला, गान्धार आ मृत्यु पाटलिपुत्र, मगध मे भेल छल । ओ लिखने छथि जे ओ अपन बुद्धि आ ज्ञान केँ दोसरो धरि पहुँचाबैत सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप मे घुमैत छलाह ।

पाठ केर सब सँ महत्वपूर्ण बात के चर्च ई छैक जे राजा आर ओकर मंत्री केर सर्वोच्च कर्तव्य खाली धन टा प्राप्त करब आ युद्ध जीतब तथा क्षेत्रक विस्तार करब मात्र नहि छैक; बल्कि अपन प्रजा आ ओकर भलाइ संग निरंतर सुख दैत सभक देखभाल करब कर्तव्य प्रमुख छैक।

(भावानुवादः प्रवीण नारायण चौधरी)

Arthashastra (Science of Materials)

(Courtesy: https://www.facebook.com/photo/?fbid=626502672828030&set=a.457039426441023 – Puratatva.Histories)

Kautilya, or commonly known as Vishnugupta Chanakya, is known as first prime minister of India. Chief advisor to emperor Chandragupta Maurya, founder of India’s largest ever empire, 4th Century BC. Kautilya was a pivotal figure in Mauryan Empire and forged India’s future. He wrote famous Arthashastra during his time, first known book on statecraft or ‘Science of the Materials’.
Book advises kings, rulers and commoners alike on how to run a government, army, businesses, society; and extracting of raw materials and minerals, both efficiently and effectively. It advises on how to treat ruling elites and commoners; and how to reward people based on their actions. It delves into details of war strategies in different scenarios and importance of training soldiers and war games.

There are some darker aspects discussed in text. Book also talks about state diplomacy and even carefully encourages ‘necessary evils’ like assassination of enemies of state or traitors using deception and secrecy. Though these reflect realities of his time; a period when people would sometimes be brutal to one another for different greeds, but these instances were rare!

In his text, Kautilya, being a Brahmin himself, does mention caste system often, but highlights upon importance of treating all castes with respect. Interestingly, there is no mention of untouchability. Book clearly states that Brahmins, considered highest of castes, should be punished accordingly if they ever commit a crime or injustice against any other castes.

Kautilya points out importance of rulers to maintain peace in society and with neighbouring kingdoms; bring economic well-being to all and avoid famines and epidemics at all costs in their kingdoms.

Kautilya was born in Takshashila, Gandhara and died in Pataliputra, Magadha. He wrote that he travelled all over Indian subcontinent transmitting his wisdom and knowledge to others.

Most important thing text mentions is a king’s and his ministers’ highest duty is not to attain wealth, win wars or expand territories; but it is to look after their subjects and their well-being and continued happiness.

हरिः हरः!!

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