राजकमल चौधरी स्मृति उत्सव – सहरसा मे आदरणीय विजय महापात्रा भाइसाहेबक हाथ सँ अमित भाइ संग राखल प्रिय मनोज शाण्डिल्य जी केर नव प्रकाशित मैथिली पोथी – ‘सुरुजक छाहरि मे’ प्राप्त भेल छल।
सतत प्रगतिशील अभियानक क्रम मे पोथी केँ पढब एकटा पैघ चुनौतीपूर्ण कार्य होइत छैक। तथापि जे नियारि लेब आ संकल्पित होयब तऽ पूजनोत्सव जेकाँ आनन्ददायक सेहो होइत छैक। आइ सहरसाक गठरी खोलिकय ओहि मे सँ सुरुजक छाहरि मे १ प्रति जे हमरा नाम सँ सप्रेम भेंटक सुन्दर स्मरणीय लेखकीय सहित अछि, देसिल बयना – हैदराबादक स्मारिका (२ प्रति), राजकमल (डा. देवेन्द्र झा) २ प्रति, अरुणाभ सौरभक नवतुरिया आ एतबे टा नहि सहित साहित्य सरोकार द्वारा प्रकाशित स्मारिका आदि निकालिकय मनोज भाइक पोथी मे प्रवेश करबाक प्रयास केलहुँ अछि।
प्रकाशक ‘मैथिली लोक रंगक ‘मैलोरंग प्रकाशन’ आ प्रकाशक केर नोट प्रकाश झा द्वारा पढि मोन आनन्दित भेल। तदोपरान्त मनोज भाइ द्वारा देल गेल साहित्य यात्राक संस्मरण एहि प्रकाशित पोथीक मूल स्तम्भ रूप मे हृदयकेँ प्रकाशित केलक। मैथिली साहित्यक प्रकाश अधिकांशत: स्रष्टा केँ एनाही स्वस्फूर्त प्रकाश सँ प्रकाशित करैत अछि। ताहि हेतु कहल जाइत छैक, मैथिली केँ कार्यकर्ता बनाबय नहि पड़ैत छैक, ई अपने आप बनि जाइत छैक।
‘उलहन’ सँ शुरु ‘फगुआ’क रंग सँ नहबैत ‘गिद्ध’आदिक नजरि पर दर्शन ‘शब्दजाल’क मार्फत प्रकट करैत ‘सप्पत’ दैत ‘गंगास्नान’क लाभ दैत ‘सर्जक’ मनोज भाइ जाहि तरहें कविक अन्तर्मन सँ पाठक केँ बन्हबाक प्रयास केलनि अछि से विषय सूची मे प्रवेश सँ प्रवीण केँ प्रभावित केलक अछि। आगाँ आरो पढब, आरो लिखब… पढबैक तखनहि लिखियो पेबैक। मैथिली साहित्य मे लेखन संस्कृति ओना पुराने छैक, मुदा पठन संस्कृति मे आयल कमी केँ ई पुस्तक आ प्रकाशक केर भावना सँ बेसी लाभ पहुँचैक यैह हमहुँ प्रयास करब।