गप मारबाक प्रवृत्ति पर प्रवीण गीत

स्वरचित गीत

– प्रवीण नारायण चौधरी

१. गीत
गप मारू मुरारी सब मिल-मिल के
भले मिथिला मरय देखू तिल-तिल के
गप मारू मुरारी…..
गाम छूटल घर छूटल, छूटल भजार
भटकै छी नगर-डगर, हाटो बजार
तैयो न बुझी दु:ख खिल-खिल के-२
गप मारू मुरारी…..
कोढिया जे चाहे ह, चाहय उद्धार
के पूछय खिच्चैर म, पापड अँचार
तारी ओ दारू मारी हिल-हिल के-२
गप मारू मुरारी…..
काजो करब त, बँटले विचार
पूरा करब न, कमी अन्हार
लेंगरी पछाड सब सिल-सिल के-२
गप मारू मुरारी…..
विनती करी भैया, करियौ विचार
जुनि बेचियौ अपनो, मैथिल संस्कार
नहि भेटत जिनगी जिल-जिल के-२
गप छोडू मुरारी रहू हिल-मिल के!!
हरि: हर:!!
२.
गप मारय लेल छूट अछि, मारू जतेक मारब गप
एहि में कि कोनो खर्च लगैत छैक, भिड़ल रहू मिलि सब!
अपनहि मोंने मियां मुँह मिट्ठू, भले नहि पूछय आन
बनी जनक के नाम सँ हम सभ, मिथिला बनय मशान!
एक भोज में भिनसर सऽ घरबैया भनसिया सब बेहाल
दिन भैरमें टीका-टिप्पणी, साँझक यश सऽ भोज नेहाल!
कर्ता मुख्य सभ दिन रहलै, मिथिला रहलै विदेहराजा
जखनहि नीति ध्वस्त भेलै, बाजि जे गेलै दरिद्री बाजा!
कलजुग छियौ भाइ! देखबें आरो बहुते तरहक खेल
दहेज बलें जखनहि जोड़बें, जीवनसंगिनी सँ मेल!
दुनिया कोनो रुकल थोड़ेक छै, समय तऽ चलिते जाइत छै!
निज कर्तब्यक बोध जतय छै, जीवन सुधरल जाइत छै!
हरिः हरः!
३.
खाउ चपे चप आ मारू गपशप
काजक बेर नुकू दोगे में शट अप!
गुड लक बैड लक अक बक ढक
मिथिला के गप्पी गोनू झा सनक!
खाउ लपे लप लल्लो चप्पो ललिपप
पीबू रस झोर माछ मुड़ा गपागप!
चमड़ा के मुंह किछो बाजू बकबक
नील टिनोपाल धोती कुर्ता झकझक!
गप्पी गफाँसुर गीत रक पप
फेसबुक फुकास्टिंग उडै टप टप!
गपसप रकपप चप लपालप
हावाबाजी झूठ ललिपप!
हरिः हरः!!
४.
गप्पी बौआ
अगबे गप नहि बौआ रे
कान लऽ उड़तौ कौआ रे
काज करे तूँ काज करे
जग मे रहि तूँ राज करे
बाबा के छलौ हाथी रे
तोरा पास बस सिक्कर रे
सिक्कर दुनिया कते देखो
बरु बाबा सम बुद्धि कमो
जातिक शान कि झारें रे
बस एक मानव जाति रे
बाभन सोलकन दिन गेलौ
स्कुल सभ लेल खुजि गेलौ
नेताक चमचइ ढौआ रे
दिन कमा साँझ उड़ा रे
मेहनति के फल मीठा रे
जीवन बनतौ सच्चा रे
अगबे गप नहि बौआ रे….
हरिः हरः!!
५.
गीत
भौजीः
कतेक गप मारब यौ छोटका बौआ
छूछ कत बघारब यौ छोटका बौआ
कतेक गप मारब यौ छोटका बौआ….
दियरः
गप्पेक जमाना सूनू प्यारी भौजी
हम गप्पी दिवाना सूनू प्यारी भौजी
गप्पेक जमाना सूनू प्यारी भौजी…
भौजीः
केहेन हरासंखा फेसबुक कि व्हाट्सअप
दिन भैर बकैती कते भारी गपशप…
फूसिये जे बाजब यौ छोटका बौआ…
कतेक गप मारब यौ छोटका बौआ….
दियरः
कि बात करय छी हम काजो करय छी…
लोक सबकेँ बेर-बेर ध्यानो खींचय छी…
दहेज मुक्त मिथिला बनत प्यारी भौजी…
गप्पेक जमाना सूनू प्यारी भौजी….
भौजीः
एके रंग बातो नञ लेबय दहेज हम
बाजऽ ल खाली खेबय धरि करेज हम
लय बेर मे लूटब यौ छोटका बौआ…
कतेक गप मारब यौ छोटका बौआ…
दियरः
कसम खाकय भौजी कहय छी सत्ते हम
अहाँक बहिन पसिन य कहब कतेक हम
लव मैरेज जमाना सूनू प्यारी भौजी…
गप्पेक जमाना….
भौजीः
कतेक गप्प मारब….
दियरः
गप्पेक जमाना….

६.

मैथिली रैप गीत
खेलेबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
जेना आलूके होइ छैय चप-चप
जेना चकलेट मे लौलीपप-पप
तेना मिठगर-खटगर गप-शप
चल आबे खेली गप-गप
खेलेबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
O Baba, O Baby!
If from Mithila?
Then Come Come Come
Give गप very much or कम-कम-कम
It’s गप that keeps you बम-बम-बम
O Baba, O Baby!!
O Baba, O Baby!!
खेलेबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
चूड़-दही खो लप-लप
आमक गाड़ा कप-कप
माछक मूड़ा सप-सप
रसगुल्ला गुल-गुल हप-हप
चल आबे खेली गप-गप
खेलेबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
O Baba, O Baby!
In our Mithila,
We eat so much,
We drink so much,
We think so much,
O Baba, O Baby!!
O Baba, O Baby!!
खेलेबिहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
जीटजाट कनी रफ-रफ
गप्पक साइज हो टफ-टफ
जुल्फी हिप्पी कट-कट
चाइल चले खूब लट-लट
चल आबे खेली गप-गप
खेलेबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
O Baba, O Baby!
Mithila is lost,
Nothing left at home,
Nothing left in village,
Let’s move Delhi-Mumbai,
Let’s earn some bread,
O Baba, O Baby!!
O Baba, O Baby!!
खेलबहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
बाबा गप्पी बाबू गप्पी
काका मामा सेहो गप्पी
गप्पहि बारी गप्पहि खेती
बस गपेगप बस गपेशप
चले हरदम खेली गप-गप
खेलबिहीन गप-गप?
करबिहीन गप-शप?
O Baba, O Baby!
हमर बाबा के बड़का बखारी
भरय पेट दुनिया के,
धन्य हमरे छल सबटा पुरुखा
देलक ज्ञान दुनिया के…
O Baba, O Baby!!
O Baba, O Baby!!
छोड़े ई गप-गप,
छोड़े ई गप-शप
करे जीवनस्तर अप-अप
छोड़े गप-शप,
अगबे गप-शप!!
हरिः हरः!!
७.
प्रिय लाल,
तोरा देखल बहुत दिन बीतल!
कतय गेलें?
समूह पर पहिने कतेक टिपैत छलें,
आब तोहर अतो-पता नहि!
लाल, कतय गेलें?
लाल!
काज के बात होइत देरी,
तोरा परेबाक आदति नहि छुटलौक,
ई मोन केँ बड कचोटैत अछि।
एना कियैक?
आर घड़ी हम गप्पी बड़का, काज घड़ी हम चोर…
एहेन-एहेन लगभग १०० गीत तोरे ऊपर
२०११ सँ २०२१ धरि हम लिखि चुकल छी,
एकटा किताबो छपि गेल,
“प्राण हमर मिथिला”!
किछु गीतो रेकर्डिंग भऽ गेल लाल!
मुदा तूँ गप बेर मे बड़का-बड़का छाँटय लेल
हमरे नीति आ नियम सिखाबय लेल
फेर एमें, पता अछि।
एखन कतय गेलें लाल?
स्मारिका के अर्थ नहि बुझैत छलहीन…
से आबो बुझलिहीन कि नहि?
देख रहल छिहिन न जे कतेक लोक
चाव सऽ तोरा एहेन-एहेन निकम्मा-ढोंगी सब केँ
बुझा रहल छौक से?
बुझि रहल हेबहीन तूँ सबटा!
पिजुआयल तूँ कम नहि न रहलें बच्चे सँ, लाल!
एनिवे, हम त तोरा सब दिन आई लव यू’ए कहलियौक…
लेकिन तूँ स्वयं केँ कहिया लव करबिहीन, खचरहबा?
हरिः हरः!!
८.
गप्पी पाहुन
सभटा आशा दोसर संग, अपन गपक एकहि रंग
बनतय एना मिथिला राज पाहुन कोबरा-डेगे ढंग!!
मुद्दा औतय यौ हजार, ताकू कनियाँके छोडि मुँह-सार
अपने बढब उठायब घोघ, कनियो देती भने संग!
सभटा आशा…..
कनियो झुकेने नयन, चाही मुँहदेखी वचन ओ कर्म
दियौ हृदयसँ अपन शुभ, भेटत अनुपम प्रसंग!
सभटा आशा…..
जेना जन्महि कर्मक संग, तहिना निकहा सतसंग
चलतय धोखा न मिथिला संग नेताक आबो भदरंग!
सभटा आशा……
दियौ गप जे छजय पाहुन, छँटियौ बिघा-कट्ठा न धूर
मिथिला माटीक रखियौ लाज जितियौ विदेहकेर जंग!
सभटा आशा…..
– ई गीत हुनका प्रति समर्पित जे गप तऽ खूब लंबा-लंबा दैत छथि, लेकिन स्वयं कि करैत छथि तेकर ठेगान नहि छन्हि। खूइल के माइन्ड करू!! 😉
हरि: हर:!
९.
गप्पी मैथिल
छोड़ि दिअ यदि गप मारय लऽ, तऽ सभ सऽ बड़का हमहीं छी।
बिन पाँइख उड़ैते-उड़ैते हम, नभ विचरि-विचरिके थाकल छी॥
जेहो छल सत्‌ बल तंत्र-मंत्र, सभटा के तक्खा पर छोड़ने छी।
हम ढीठ बनल आ बनल हेहर, लत बत रगड़ा थरकौने छी॥
छोड़ि दिअ यदि….
केओ नीक कहय से ललसा में, अपनहि सँ मुँह चमकौने छी।
बिन बोलाहटे के पंच बनि, मुँह-पुरुख बनल झमकौने छी॥
छोड़ि दिअ यदि….
केओ काज कहय कोनो करय ले, लाख बहाना जानैत छी।
कोढिया भीतर बैसल यऽ हमर, पर फुर्सत नहि हम कानय छी॥
छोड़ि दिअ यदि…..
हम ई करी या ओ करी – हा करी या ना करी, बात बड़ा भरियौने छी।
असलीमें हमर कोनो शक्ति नहि यऽ, दिन-समय केनाहू काटैत छी॥
छोड़ि दिअ यदि….
हरिः हरः!
१०.
आर घड़ी हम गप्पी बड़का, काज घड़ी हम चोर!
जखन काज सम्पन्न भऽ जैछ, बाजी हमहीं जोर!
यौ भैया, हमर गपक नहि ओर! 🙂
एखनहि छैठिक पूजापर जे भेलहि सभाके जोर,
सभक एहि में तन-मन-धनसँ देल गेल सहयोग,
ताहि घड़ी हम घर में दुबकल… होऽऽऽ… २
बहबी आँखि सँ नोर! यौ भैया! बहबी आँखि सँ नोर!
आर घड़ी हम गप्पी बड़का, काज घड़ी हम चोर!
जखन काज …..
यौ भैया……
गाम-गाम मृत पड़ल रहल अछि, सुन्नर प्रथाके ओर,
जैह किछु सक्रियता रहल जे पहिने, सेहो करै अछि शोग!
अपनहि चिन्ता सभके खाइ यऽ…. होऽऽऽ… २
हमर दुःखक नहि ओर! यौ भैया! हमर दुःखक नहि ओर!
आर घड़ी हम….
जखन काज…
यौ भैया…
अही माइट सँ सभ केओ चमकल, कयलक दुनिया इजोत,
जैं सुन्दरता संस्कृतिके सिखलक सभटा मिथिलाक कोर,
एहेन वाणी वा वानि ने केकरो… होऽऽऽ… २
हंटाउ घटा घनघोर! यौ भैया! बदलू अकर्मक जोर!
आर घड़ी हम….
जखन काज….
यौ भैया….
हरि: हर:!!
११. चारिपतिया
पग-पग पर भेटैत छथि गप्पी
पग-पग गप्पक खेत,
मुल बात मिथिला जे शिथिला
तेल निकालथि रेत!
१२.
मिथिलानी सभ दिन घोघहि रहली, मुदा गार्गी सोझाँ अयलीह
याज्ञवल्क्य सन विद्वान्‌ मैथिल सँ, भरल सभा ओ प्रश्न उठेलीह!
मैथिल सहिष्णु प्रजाति होइछ जे बचा न सकल अपन संसार
जुड़ैत दोसरक संग समूचा मिथिला बँटल आइ दुइ फार अपार!
अमिट सेतुके रूपमें दू देशक बीच, काज करय मिथिला के पुत्र
सुगौली संधि हो या कोनो दोसर हस्ताक्षर बनल मैथिलके पुत्र!
इतिहास ठाड़्ह सभ बाँचि रहल अछि, लेकिन केकरा फुर्सत छैक
लाठी-बंदूक-बम बदौलत शक्ति जेकर ओकर राज चलैत छैक!
रंजू जानकी के रूपमें आबि शहादत सऽ धरती माँ कोरा समेली
जौँ राम नहि आबैथ आबो तीर-धनुष के महिमा सदा लेल हरेली!
गप्पी मैथिल गप्प नहि चलतौ करय पड़तौ आब काज तोरो
मिथिला के मान के जोगबय लेल उठबय पड़तौ आब राज तोरो!
जय मैथिली! जय मिथिला!
१३.
“दोस-दोस!”
“हँ दोस!!”
“कह तोरा आइ कतेक लाइक भेटलौ?
शेयर कतेक, कत कमेन्ट भेटलौ?”
“दोस-दोस!”
“हँ दोस!!”
“पेपर कटिंग मे मिथिला बनत जे,
ताहि पर लाइकक धरोहि लगलौ!
सौराठ मे ४ साल सँ लागल शिलापट्ट
ताहू पर कमेन्टक शिरोरि बनलौ!
पीएम मोदी जे जर्मन मे देलखिन
मिथिला पेन्टिंग खूब शेयर केलकौ!”
“दोस-दोस!”
“हँ दोस!”
“फूकास्टिंग मे फूही जे लाइकक देखलियौ,
कि काजो हेतैक मन पूछैत देखलियौ!
दोहा आ कविता धरोहिये छौ लिखल
किताबो छपेतय कि पढतय कियो से
मोने मे प्रश्नो उठैत देखलियौ!!”
“दोस-दोस!”
“हँ दोस!”
“बच्चा मे जहिना अट्ठा आ गोली
जितैत डिब्बा मे राखैत छलहुँ से
बंशी मे चाली के बोर लगाके
टेंगरा-गरय केँ गाँथैत छलहुँ जे
तेहने उजहिया कि फेसबुक पर हेतय
अहिना कि मिथिला बनतय बनेतय
गप्पी दरभंगिया आ मेंही मधुबनिया
क्रान्ति सहरसे सँ हेतय कहय छय
एलय चुनाव फेर जिततय बिहरिये
मिथिलोक नाम पर वोटो लड़तय
जिततय कि जमानत आब जप्ते हेतय
तोहर विचार सुनी तू कहे बाकी…”
हरि: हर:!!
१४.
गप मारय में हमरा सँ वीर के भेटत,
मिथिला लेल ई हो ओ हो कहत,
अगबे गपे जँ काज होइतय तँ
हमरा सँ बेसी रघुवीर के भेटत!
हम छी गप्पी मिथिलावादी,
मिथिला पर हमर चिन्तन अथाह,
अपन स्वार्थक चाप में दाबल,
देखबय ल हम चिन्तक बताह!