सर्वश्री रासविहारी दासजी : एक विषय कीर्त्तन ज्ञाता

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचय

– लालदेव कामत

सर्वश्री रासविहारी दासजी : एक विषय कीर्त्तन ज्ञाता

मधुबनी जिलाक कोशीक्षेत्रक देवनाथपट्टी गाममे कियोट कुलक बाबाजी कामत (मंडल) घर आइ सँ करीब सयसाल पुर्व एक चंखार बालकक जन्म भेल रहनि। ओ नवजात शिशु रहय रासबिहारी जी। बाल्यकाल्यमे हुनकर माय गुजैर गेलीह तँ सरौती बाली विमाता लालन-पोषण केलकनि। हिनक बाल विवाह सुरियाही निवासी रामजी कामत जीक बेटी बरहनिया देवीक संग भेल रहनि। जाहि सँ हुनका तीन पुत्र आ तीन पुत्री भेलनि। जे क्रमश: चन्द्रकला (मुजियासी), त्यागी उर्फ रामनारायण, बैरागी, सुर्यकला (कुनौली), सत्येन्द्र आओर दुर्गेश (धावघाट) छन्हि। श्री दासजी वैष्णव रहथि आ गरीबीमे जीवन बितैत छलन्हि। ताहि समयमे कुम्हारक माटिक बासनमे सबकियो पाक आ भोजन लेल बर्तन व्यवहार करथि। से बचपनमे ई कतेको घैल फोरि कनखा बाहर कय, ओहिमे कागत साटिके खजुरी बजबय लेल छारथि। ता गिन्न गिन्ना…धात् ता गीन…..सुपुट आबाज निकालथि। केराक थम सँ ढोलक आकार केर गरदैनमे लटका केँ डिमिक डिमिक डम डम….आ गपच्चि गपचि गम गम…खूब ताल बजाबैथ। कतौह गान बजान नेनामे देखथि तँ एक हाथ देवालेल कोनो धरानिये चकै के चकधुम, चक्कै के चकधुम, मकई के बगीया …… धरि बजाकय परा जाथि। से विवाह भेलासन्ता जे गाम सँ परेलाह तँ धुन सीखैत गौआंके कलकत्तामे देखेलाह। ताधरि लोक हिनका मादे इयह बुझैक जे कतोह मरि खैप गेल हेतैक।  कोलकाता मेँ एक नामी रामलीला थियेटर कम्पनीमे ठेका बजेबाक काज मांगने रहथि, तँ मैनैजर जाँचमे अनारी मानि हटाबय चाहलक। हुनका सँ अनुनय विनय करैत चौका केर काजक बहाने रहैत सब तरहक साज बाज सीख गेलाह। कतेको तरहक आधुनिक वाद्ययन्त्र केर मास्टर आ अभिनय कलामे पारंगत भेलाह। युवा भेलापर मारवाड़ी समाजके सहयोग सँ अपन खुदसर मण्डली बनौलनि। जखन मंडलीके बिहारक रूख करैत बंगाल सीमान सँ टपलाह आ कार्यक्रम प्रस्तुत करैत जे कैंचा पुष्कर भेल छलनि से ५टा भोजपुरिया ल’केँ राइतोराइत पार भ गेलैक। पोशाक आ पर्दा सेहो संगे ल’ भागलनि। सात दिनधरि ओहि सोगे अन्न जल त्यागने छलाह।फेर सब घुमलैक कलकत्ता दिशन, ओतय फेर सँ मारवाड़ी समाज दिश सँ मंडली निजी चलेबाक लेल आर्थिक मदैत लेलैन, भेटलनि। छोटछीन कार्यक्रम विषय कीर्त्तन मंडली बनाकय संचालित करयमे लागि गेलाह। धार्मिक सांस्कृतिक जागरूकता लेल हुनका संग ढोलक बादक जीतन कामैत (अलोला) राम गुलाम यादव – झाईल (निघमा) गामेक मोहनजी हारमोनियम। वादमे भागीन बसुआरिक सोमन जी, गंगापुरक दुखी जी संग पुरैन। नेपालमे लछमी बाबू क’ गायन बजानमे ठकैता रहि ढोलक बजबैत अपना सँ दोबर उपर उछालि फेर लोकि ताल पकरेने रहथि। बहुतो शहरमे हिनक कार्यक्रम देखि पुरस्कार देल गेल छलन्हि। लखन शक्तिवाण खंड सुनैत एक प्रखर बुद्धिक लोक बाजल रहथि ई कहियो रामलीला अवश्य कयने हेताह। जाहि समयमे बिहार झारखंड एक राज्य रहैक आ १६टा जिला मात्रे रहैक, ताहि समय दरभंगा जिला परिषद केर उपाध्यक्ष आ मधुबनी लोकल वोर्डक चेअरमैन बाबू खुशी लाल कामत हिनका प्रतियोगितामे पुरस्कृत कयने छलनि। गाम देहात सँ लोक केँ एहेन गबैया जीके फेर सुनयमे दोसर नहिं उभरैत अछि। कोशी तटबंध बनि गेलापर गाममे नाट्यकलाक आरम्भ कयलनि। हिनके सीखाओल रीहलसल केँ धारटपि हटनी सँ जुबक लोकनि टाटफारि देखैत बाद में दुर्गापूजा मेँ प्रदर्शन करैत गेलैक। गामक दूबेर सार्वजनिक काली पूजा देखकय अगहन १९९० ई० मे एहि पवित्र धरा धाम सँ रास बिहारी दास जीक महाप्रयाण गामहिमे भेलनि। श्रद्धा सुमन अर्पित करैत छियैन हम।