मैथिल महापुरुषक परिचयः जननायक कर्पुरी ठाकुर ओ हुनक संघर्ष

मैथिल महापुरुष कर्पुरी ठाकुर 

– नारायण झा, रहुआ, मधुबनी।

(कोसी सन्देश मे प्रकाशित लेख केर उतार)

जननायक कर्पूरी जी कहने छथिन – “हक चाही तँ लड़नाइ सीखू, जीबाक अछि तँ मरनाइ सीखू ।” सत्य कहने छथि । संघर्ष जीवनक पाथेय थिक। बिनु संघर्षे जीवनक कोन सार्थकता छैक! जननायक अर्थात जन केर नायक, अर्थात लोक-समाजमे अपन संघर्ष आ कर्मठता बलेँ नायक बनि मॉडल रूपमे प्रदर्शित होइ वला व्यक्तित्व रहथि – जननायक कर्पूरी ठाकुर ।
समाजवादक समर्थक जननायक कर्पूरी ठाकुरक जन्म 24 जनबरी 1924 ई०केँ समस्तीपुरक पितौंझिया गाम जे आब कर्पूरी ग्राम जँ जानल जाइत अछि, मे भेल छलनि । हिनक पिता गृहस्थ रहथि, नाम रहनि गोकुल ठाकुर, जे अपन पारम्परिक काज हजामी सेहो करैत रहथि । जन्मदात्री माय केर नाम रहनि रामदुलारी देवी । हिनक विवाह फुलेश्वरी देवीसँ भेल रहनि । कर्पूरी जीकेँ दू पुत्र आ एक पुत्री, जाहिमे जेष्ठ पुत्र रामनाथ ठाकुर, छोट पुत्र डॉ वीरेंद्र आ पुत्रीक नाम छियनि रेणु । हिनक शिक्षा ग्रामीण वातावरणमे समस्तीपुरक स्कूलमे भेल छलनि आ तकर बाद सी. एम. कॉलेज दरभंगामे सेहो अध्ययन करबा लए गेल छलथि । ओ प्रारंभेसँ मेहनती आ मेधावी रहथि तेँ मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणीसँ उत्तीर्ण भेल रहथि, मुदा गाममे एहि प्रतिभाक अभिनन्दन नहि भेल छलनि ।
सोझराएल आ हृदयक साफ लोक रहथि कर्पूरी जी । छात्रे जीवनमे एकबेर भाषण दए रहल छलथि, ताहि ठाम छात्र-छात्राक खूब कसगर भीड़ छलै । ओ कहलखिन जे हम हिन्दुस्तानी जँ थुक फेकि देबै तँ ओ अंग्रेज दहा जाएत । हुनका भाषणसँ प्रभावित भए हजारो छात्र-छात्रा हिनक संग दै लेल तैयार भेलथि । अजेय योद्धा जननायक जीक संघर्ष जन्मसँ मृत्यु पर्यन्त धरि चिहुटने रहनि, मुख्यमंत्री बनला बादो ओ कहियो ओहि पदकेँ दुरुपयोग नहि कएलनि । डॉ. भीम सिंह स्वयं सम्पादित पुस्तक ‘ महान कर्मयोगी: जननायक कर्पूरी ठाकुर’ क आलेखमे लिखैत छथि – “आइ जखन चहुँदिस लूट-खसौट आ भ्रष्टाचारक वातावरण अछि, हुनक जीवन हमरा सभक लेल पथ-प्रदर्शक बनि सकैत अछि । सार्वजनिक जीवनक महत्त्वपूर्ण पद पर रहितो ओ कहियो गलत आ गैर-कानूनी तरीकासँ धनार्जन नहि कएलनि । पैतृक झोपड़ी छोड़ि अपना लेल एकहुँ टा मकान नहि बना सकलथि, आ नै कोनो सम्पत्ति अर्जित कएलनि । हुनक जीवन आडंबर रहित सादगीपूर्ण छल ।” 1
कर्पूरी जीक एक एक टा संघर्ष रोइंया भुटका दैत छैक, ओ संघर्षजीवी जीवनपर्यंत बनल रहथि । मुख्यमंत्री बनि गेला बादो हुनक फाटल कुर्ता, टूटल चप्पल आ उजरल केश पहिचान बनि गेल रहनि जे एकटा संघर्षशील व्यक्तिक पहिचान कहल जा सकैत छैक । अखिल भारतीय मिथिला संघ, दिल्लीक वार्षिक स्मारिका समय-संकेतक आलेख जे हिनकहि सम्बद्ध दोसर विषयमे स्वयं लिखने छी – “ग्रामीण संस्कृति मे जनमि, पलि आ बढ़ि जननायक जी शहर गेलाक बादो, ओहन पद पर आसीन रहितहुँ, आधुनिकताक आवरण नहि ओढ़लथि । अपन माटिक प्रति लगाव सदिखन रहलनि । अपन माटिक लेल संघर्ष करैत रहलथि । जखन ओ पहिल बेर मुख्यमंत्री बनलाह तखन ओ स्त्री शिक्षा लेल आठ कक्षा तक मुफ्त मे पढ़ौनीक व्यवस्था करौलनि । ओ देखलथिन जे समाजक स्त्री कोनो परिवारक धुरी होइत छैक, जकर शिक्षाक व्यवस्था सँ समाज व्यवस्थित भए सकैए । 11 नवम्बर 1978 ई०केँ 26 प्रतिशत आरक्षणक घोषणा कएलनि अपन मुख्यमंत्रित्व कालमे, समाजक दीन दशा देखि । मैट्रिक तक शिक्षा मुफ्त कएलनि । ओना मोन रहनि जे स्नातक तक कए दियै, जे नहि कएल भेलनि । ओहि समयमे गाममे रहै वला बच्चा अंग्रेजी नहि पढ़ि पबै छल । किछु उच्च वर्गक बच्चा तँ पढ़ियो लैथि, मुदा हिनक मोन रहनि जे सभ वर्गक बच्चा पढ़ि आगु बढ़ए । तखन ओ एहि परिदृश्यकेँ देखि समाजक सर्वांगीण विकास लेल मैट्रिकमे अंग्रेजी विषयक अनिवार्यता समाप्त कए देलथिन । तकर बाद गरीबोक बच्चा सभ आगु बढ़ए लागल । आगुक पढ़ाइ दिस जाए लागल, जे अहम योगदान कहल जा सकैत अछि समाजक विकास लेल । समाजक खराब दशा सहन नहि कए पबैत छलाह । कहियो ओ अपन व्यक्तिगत लाभसँ लाभान्वित नहि भेला । जँ सरकारक ऑफिसर आ प्रशासक लाभ बिनु पुछने देबाक प्रयास करितो छलनि तँ बुझिते मना कए दैत छलाह ।” 2
गरीबक उद्धारकर्ता जननायक जी सदिखन समाजक कल्याणकेँ निज कल्याण, लोकक हितकेँ अपन हित बुझि काज करैत रहलाह । ओहि समयमे सामाजिकताक परिभाषा सेहो अलग छलैए । बड़का लोक आ छोटका लोकमे विभक्त भेल समाज की हिनक महानताकेँ अकानि सकितए ? जाहि ठाम अहंकारक दंभसँ समाज गरदम-गोल देखाइत छल ततए की हिनक कार्यक अभिनन्दन होइतए ? मुदा काज कखनहुँ अकाज नहि जाइत छैक । देश-समाजक लेल तेहेन काज छनि जे आजुको पीढ़ी अपन संघर्षक बलेँ अपन जीवन संग देशक सेवा कए सकैत छथि । लगभग 20 बेर जहल जाइ वला जननायक जी अपन देशक सेवा लेल देशक सपूत भारत छोड़ो आन्दोलनक समयमे 26 महीना जहलक जिनगी बितौने छथि । देशक सुच्चा संरक्षक- स्वतंत्रता सेनानी सेहो रहथि । हिनका पढ़ाइयो समयमे टाकाक अभाव रहनि तेँ ओ ट्यूशन कए लैत छलाह आ तखन अपन पढ़ाइ करैत छलाह । मेधावी छात्र-छात्राक भविष्य लेल कतेक पैघ आदर्श भए सकैत छथि जे आइ-काल्हि कहै छथि जे हमरा पढ़ौनी लेल टाका नहि अछि ।
आर्थिक रूपसँ कतेक दिक्कतमे रहथि तकर एकटा उदाहरण प्रस्तुत करैत छी । एकटा संस्मरण अछि नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा जीक , ओ लिखने छथि – ” कर्पूरी जी आर्थिक तंगीमे रहथि । हम एकटा मित्रकेँ कहलियनि जे अहाँसँ जँ किछु रूपया मांगथि तँ अहाँ देल करबनि । हम जखन ओइ मित्रसँ पुछलियनि जे की हुनका मददि करैत छियनि अहाँ । ओ कहलथि जे हमरासँ कहियो मंगबे नहि करैत छथि ” ।
देशक लेल चहुँदिस क्रान्तिकारी लोक सभ अपना -अपना स्तरसँ कार्य कए रहल छलथि । एक बेर कर्पूरी जी आ हुनक संगी-साथीकेँ घरहिसँ घेरि लेल गेलै आ जहल पठा देल गेलनि । किछु दिन रहलाक बाद लगातार 28 दिन तक अनशन पर रहि जेल कैदी सभ लेल मांग रखलनि । जखन हालति बहुत खराब जकाँ भए गेलनि तखन जेल अधीक्षक सभ मांग मानि हुनकर त्याग ओ संघर्षकेँ सभक सोझाँ अनलनि ।
आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री महान ‘कर्मयोगी: जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तकमे अपन आलेखमे लिखने छथि – “जी लड़खड़ाए लगैत अछि, आँखिसँ नोर खसए लगैत अछि । जखन रूचि, जिज्ञासा आ लगाव उत्पन्न करै वला, कियो नीक जकाँ जानए वला केर सम्बन्धमे खास माप-तौल करैत कहए पड़ैत छैक । माथा तखन और ठनकै छै जखन हुनक जीवन लेल मात्र आभार स्वीकारल गेल हो आ हुनका लेल बस एकहि टा दृष्टि हो श्रद्धा । जननायक कर्पूरी जी एहने छथि हमरा लेल । “3
एहि धरती पर अधिसंख्य जनसंख्या ओहेन अछि जे ओहू समय आ एखनहुँ ओकरा लोक अभागल कहैत छैक । ओकर मेहनति फलित नै होइत छैक, ओ निरसल हिस्सा जकाँ समाजमे रहैए । सदिखन एहेन लोक दुतकारल जाइत अछि । एहेन सन स्थिति समाजमे जेँ छलैए तेँ मधुप जीकेँ घसल अठन्नी कविता लिखए पड़लनि । स्थिति तँ बदलैए, मुदा एखनहुँ आरो बदलब आवश्यक छैक । एखन ओहेन लोकक दुखक संग बात कए राजनीति कएल जाइत छैक, ओकरा भजाओल जाइत छैक । जाति-पाति, गरीब-धनीक, छोटका-बड़का कए भोट बैंक बढ़ाओल जाइत छैक, मुदा जननायक जीक सोचमे कतहुँसँ स्वार्थ आ लोभक भावना नहि देखल जाइत छलनि । जार्ज फर्नाडीस महान कर्मयोगी: जननायक कर्पूरी ठाकुर पुस्तकमे अपन आलेखमे लिखैत छथि – “वस्तुतः अहाँक मृत्यु पर शोक प्रकट कएलक ओ लोक जे एहि धरतीक अभागल व्यक्ति अछि । अहाँ ओकर आशा आओर आकांक्षाक प्रतीक छलियैक । अहाँ विपत्तिक समय आधार देलियैक, दुखक समयमे ताकति-साहस देलियैक । ओकर सभक दुख आ क्रोधक स्वर बनलहुँ । निराशाक समयमे आशाक संचार कए सम्बल देलियैक । ई सभ अहाँक लहास लग कानि रहल अछि, बिलखि रहल अछि । “4
उगैत सूर्य झाँपल नै जा सकैए, तहिना कर्पूरी जी झँपा नहि सकलाह । ओ दू – दू बेर बिहारक मुख्यमंत्री बनलाह, मुदा ई बात पहिने कतहुँ भविष्यवाणी नहि छलै, तेँ हुनक ग्रामीण बिनु बुझने हुनका मैट्रिक परीक्षामे फर्स्ट डिवीजन अएला पर पएर जतै लेल कहने छलखिन । कोनो धियापुता की कए सकैत अछि, कतेक सफलता पाबि लेत, से लोक के बुझैत छैक ? एकर अर्थ एकदम ई नहि छैक जे जातीय संस्कारसँ ककरो मजाक उड़ाएल जाए । धियापुता ककरो हो, ओ कोनो देशक भविष्य होइत छैक । ओकरामे जतेक संभावना रहैत छैक, से के पार पाबि सकैए । एहनो कठिन परिस्थितिसँ अपनाकेँ उबारि आगु बढ़ल छथि जननायक जी । समय, मेहनति आ भाग्य हुनका संघर्ष करबा-करबा इतिहास पुरुष बनाकेँ छोड़लकनि । “जखन गामक एक गोटे ओतए हुनक पिताजी जननायक जीकेँ लए गेलखिन आ कहलखिन जे बौआ फर्स्ट डिवीजनसँ मैट्रिक पास कएलक अछि । ओ व्यक्ति कहलखिन तँ पएर जाँत । तूँ एहि योग्य छेँ ..। ” 5
संघर्षजीवी जननायक जी मात्र 64 बरखक अवस्थामे सुरधाम चलि गेला । बहुत अल्प अवधिमे अपन जीवन लीला पूर्ण कए लेलथि । जँ आइ रहितथि तँ बिहारे नहि देशक प्रतिनिधित्व करतथि, जे हमरा सभक लेल गौरवक बात छल । हुनका पर केन्द्रित कार्यक्रममे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहलखिन – “जँ कर्पूरी ठाकुर जी एखन रहितथि तँ ओ बिहार मुख्यमंत्रिये नहि देशक प्रधानमंत्री बनितथि, के हुनका रोकि सकितथि । ओ समाजमे कहियो कटु संदेश दए संदेह उत्पन्न नहि कएलथि । सभ दिन समाजक मान-सम्मानकेँ अपन मान-सम्मान बुझैत रहलथि । 6 “
जननायक कर्पूरी जी कहैत छलथिन “अधिक विद्या, पैघ तपस्या, अथाह धन, बलवान शरीर, नव उमेर, आ यशस्वी खानदान ई छ: वस्तु सज्जन पुरुषक गुण थिक । मुदा अत्यधिक लोक एकरा प्राप्त कए अहंकारी आ मोचंड बनि जाइत अछि ।”
जननायक कर्पूरी ठाकुर जी एकटा विराट चिंतक रहथि, से बहुआयामी चिंतक । हुनकर चिंता अपन देश-समाज लेल सदिखन देखल जाइत रहलनि । हुनका वाणी पर पूर्ण नियंत्रण छलनि, तेँ कोनो उझट बात कोनो कनीय पदाधिकारियोकेँ नहि कहथिन । ओजस्वी भाषण सूनि लोक उत्साहित होइत छल, तेँ बेसीकाल हुनक सभामे भीड़ देखल जाइत छलनि । बजबाक क्रममे ओ अन्य नेता जकाँ नहि बजैत छलाह, आडंबरी भाषणमे विश्वास नहि रखैत छलाह, तेँ हिनक भाषणमे चिंतन देखल जाइत छलनि । स्पष्टवादी विचारधाराक समर्थक रहथि तेँ कतेको बेर अपन भाषणसँ विपक्षकेँ तिलमिला दैत छलथिन । हिनक जीवनक मूलमंत्र रहनि संघर्ष, त्यागक भावना ओ देश सेवा । ओ मात्र हजाम परिवारे नहि सम्पूर्ण भारतक लेल गौरवपूर्ण काज कए सिद्ध कएलथिन्ह जे निजी स्वार्थ कोनो सफल राजनेताक गुण नहि होइत छैक ।
गरीबक हिस्सा लेल, पिछड़ल लोकक हिस्सा लेल सदिखन लड़ैत रहलाह । अपन जीवनमे ओ बहुत महत्वपूर्ण काज कएने छथि । एकटा प्रसंग अछि एहि सन्दर्भ – एकबेर जननायक जीक पिता पर कोनो कारणेँ गामक लठैत सभ प्रताड़ित करए लगलथिन । ई बात जिला प्रशासनक कान तक चलि गेलै । स्वाभाविक छै जे जिला प्रशासनमे थोड़े अकुलाहट भेनाइ, मुख्यमंत्रीक पिताक सुरक्षा बुझि दलबल संगे सुरक्षा करबा लए आबि सभ लठैतकेँ जिला हाजतमे आनि लेलथिन । सभ बात जननायक जी बुझिते जिला प्रशासनकेँ डटैत कहलथिन — “पहिने अहाँ सम्पूर्ण देशमे शोषित-पीड़ितकेँ ओहन शोषकसँ बचाउ तखन अहाँ हमर पिताकेँ बचाएब । सभकेँ छोड़ि घर पठाउ, हम कहैत छी ।” सभ ओहि ठामसँ छुटि आबि गेलाह । समाजक हितसाधकक रूपमे एहेन उदाहरण अपवादे भेटै छै, आइ-काल्हि तँ प्रशासनक भए देखा बहुतो काज ओहेन होइत छै जे नहि हेबाक चाही ।
एकटा एहेन प्रसंग जे आइ-काल्हि तँ देखबामे की, सुनबामे सेहो नहि आओत । प्रसंग जननायक जीक त्याग भावनाक पक्ष पर बल दैत अछि जखन मुख्यमंत्री बनि गेलाह जननायक कर्पूरी ठाकुर जी तखन अपन पुत्र रामनाथ जी केँ पत्र लिखैत छथि । – “हम मुख्यमंत्री बनि गेलहुँ अछि, ताहि कारणेँ कोनो लोभ-लालचमे नहि पड़ब । केओ दोसर लोभ देत, अहाँ अस्वीकार करब । जँ अहाँ स्वीकार करब तँ हमर बदनामी हएत, जे हमरा एकोरती पसीन नै पड़ैए ।” आइ-काल्हि कोनो पिता जे मुख्यमंत्री रहथिन ओ कोना अपन पुत्रसँ एहेन बात कहथिन, नै लगैए हमरा । मुदा सामाजिक उत्थानकर्त्ता समाजकक कल्याण, देशक कल्याण टा मात्र कल्याण छैक, से बुझब कतेक पैघ विराट विचार छैक, विचारणीय छैक सभक लेल ।
हुनक संघर्ष, परिश्रम आइ देखा रहल छैक, प्रायः जे आरक्षण लेल कार्य भए रहल छैक, से सभटा आधार कर्पूरी जीक छियनि । ओ एहि लेल विपक्षोसँ विरोधक स्वर सहलनि संगहि आरक्षणक विरोधमे समाजक गारि तक सुनलनि । मुदा आइ ओ पूजनीय छथि, माननीय छथि, हुनका प्रति श्रद्धा बढ़लनि तेँ श्रद्धेय छथि ।
शोषक वर्गक काज थिक शोषण करब, सभ दिन सँ जे शोषण करैत आबि रहल अछि, ओकर मोन बदलेबा लेल ओहेन संघर्षक आवश्यकता अछि, शोषणक चाहे रूप-स्वरूप बदलि जेना भेल हो । ताहि लेल आवाज उठाएब, ओकर अस्तित्व रक्षा करब जननायक जी लेल श्रेष्ठ श्रद्धांजलि भए सकैत अछि ।
बिनु गुरुए केओ ओहेन शीर्ष पर कोना पहुँचि सकैए । कर्पूरी जीक गुरू रहथिन डॉ राममनोहर लोहिया, राममनोहर लोहिया सामाजिक सेवक रहथिन । ओ बहुत रास एहेन बात समाजक स्वरूप बदलै लेल उठेलखिन जाहिमे गरीब-पछुआएल लोकक कल्याण छलै, ओकर मांगक स्वर छलै । कर्पूरी जी हुनक आदर्श-पथ पर चलि प्रमाण छोड़ि चुकल छथि आ सभकेँ चलबा लेल प्रेरित करैत अछि हुनक प्रसंग एक एक टा बात । भाषणक क्रममे नेता लोकनिक मुँहसँ केवल यएह सुनैत छी जे हम जननायक जीक मार्ग पर चलैत आबि रहल छी, हमर ओ राजनीतिक अभिभावक रहथि । मुदा कष्टक बात ई अछि जे ठीके ओ चलैत आबि रहल छथि, प्रश्न अछि ? कहाँ केओ आइ हुनक आदर्शवादी विचारधारा जे गरीब-पछुआएल लोकक हित लेल छलै, चलै छथि । मात्र मंचीय भाषणक लेल कर्पूरी जीक नामक उपयोग करब कतेक हद धरि ठीक छैक, ई अन्याय थिक ।
आइ-काल्हि कोन राजनेताक अपन मकान-जमीन-अट्टालिका नै छनि ? किनका सोन-चानी, बैंक-बैलेंस आ फिक्स्ड डिपोजिट नहि छनि ? आइ-काल्हि जतेक खर्च नेता अपन सर्फ-लीलमे करैत छथि, ततेक खर्चमे कोनो छोट छिन विकासक कार्य भए सकैत अछि । कोनो ठाम छोट लघु उद्योग लागि सकैत अछि । आइ काल्हि जतेक हबाइ यात्रा आ मोटरक खर्च भए रहल अछि, ताहिसँ कतेको सरकारी वृद्धाश्रम बनि सकैत अछि । आइ उल्टा बसात चलि रहल अछि, मुदा तकरा पर अपना-अपना हिसाबेँ तर्क दए फुसियाएल जाए रहल छैक । मुदा जननायक जी अपन घर तक नहि बना सकलाह, जे एकटा इतिहास अछि आजुको समयमे । जननायक जी जकाँ त्यागी आ संघर्षजीवी वास्तविक रूपमे नेता होयब, बहुत कठिन अछि । आजुको समयमे आवश्यकता अछि एहेन सपूतके जन्म लेबाक वा जे छथि हुनका एहि मार्गक अनुसरण करबाक, जाहिसँ समाजक सेवक बनि देश लेल किछु विशेष सोचि सकितथि ।
बेसी समय नीक लोक नहि जिबैत छैक जे कहबी छैक, 17 फरबरी 1988 क दिन एकटा सूर्य समान जन केर नायकक अवसान भए गेल छल, सम्पूर्ण देशमे उदासीक वातावरण पसरि गेल । ई उदासीक झलक देशक सम्पूर्ण अखबारमे न्यूज रूपमे छपल देखाएल । विभिन्न नेता, प्रशासक गण, विचारक गणक विचार आयल छल, जे रोमांचकारी छल । किएक जननायक जी कुशल राजनीतिक योद्धा मात्र नहि छलाह, ओ समाजक सेवक, अजेय योद्धा, समाजवादक उत्थानकर्त्ता आ गरीब-गुरबाक नायक छलाह, देशक चिंतक छलाह । हुनक कर्म एकटा इतिहास छल ।
देश-समाजमे होइत अत्याचार पर अंकुश लगै, तखने हिनक सुच्चा श्रद्धांजलि भए सकैत अछि । एहि विराट व्यक्तित्व आ विमल हृदयक स्वामीकेँ नमन अछि, जे जनसँ जननायक बनि इतिहास पुरूष कहा गेला । एहेन सभ महान पुरुष मरै नहि छथि, ओ अमर रहैत छथि, से सदा लेल ।
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सन्दर्भक विवरणः
1. महान कर्मयोगी : जननायक कर्पूरी ठाकुर — संपादक — डॉ भीम सिंह ( प्रभात प्रकाशन – दिल्ली ) ( डॉ. भीम सिंह जीक आलेखक अंश )
2. समय संकेत — सं. रितेश पाठक– अखिल भारतीय मिथिला संघ, दिल्ली- पृष्ठ सं. 50 ( नारायण झाक आलेखक अंश)
3. महान कर्मयोगी : जननायक कर्पूरी ठाकुर — संपादक — डॉ भीम सिंह ( प्रभात प्रकाशन – दिल्ली ) ( आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्रीक आलेखक अंश )
4. महान कर्मयोगी : जननायक कर्पूरी ठाकुर — संपादक — डॉ भीम सिंह ( प्रभात प्रकाशन – दिल्ली ) ( जार्ज फर्नाडीस जीक आलेखक अंश )
5. [https://m.youtube.com/watch?v=xbMxWy3N6vo] [फर्स्ट डिविजन से पास किये हो चलो मेरा पैर दबाओ, तुम इसी के काबिल हो- कर्पूरी ठाकुर का जातीय उत्पीड़न – YouTube] is good,have a look at it!