मैथिल मुसलमान आ मैथिली साहित्य
– विजय कुमार झा
मिथिलाक मुस्लिम धर्मावलम्बी लोकनि अपन धार्मिक भाषा अरबीक बाद सबसँ बेसी मैथिली भाषाक पालन पोषण कयलनि अछि । मिथिला में मुहर्रम में अपन धार्मिक “मरसिया ” मैथिली में पढैत वा गबैत अछि –
चलला इमाम कर्बलाक बनमे
माया रखियौ दिलमे लोगो
माया रखियौ जी
अपने तँ जाय छें बेटा
रैन बन लडै लs
की देखि बांधव आब
धीरज हम
सिरक पगडी माय घरे छोडलियौ
वैह देखि रखिहें धीरज —–
मैथिली साहित्य साधना में जे मुस्लिम कवि लोकनि अपन प्रतिभाक विशिष्ट छाप छोड़नेछथि, ताहि में शौकत खलील, फजलुर रहमान हाशमी, हसन इमाम दर्द, एजाज कामिल, सैफ रहमानी, शेख शब्बीर अहमद जख्मी, मोहम्मद नाजिम रिजवी आदिक नाम प्रमुख अछि।
शेख शब्बीर अहमद जख्मी महोदयक मिथिला, मैथिली आ मैथिलक उत्कर्षक बखान करैत हिनक व्यक्तित्वो प्रकट भs रहल अछि-
ढोल पीटिकs बाजि रहल छी
आर बजाकs तासा
मिथिलादेश निवासी छी हम
मैथिली अपन भाषा ।
एहिना मोहम्मद नाजिम रिजवी भी मैथिली भाषाक उत्थान लेल समर्पित होयत कहै छथि–
हम ने हिन्दू छी ने मुसलमान
मैथिल छी, मैथिलीए हमर प्राण
मैथिली लेल मेटा देब सर्वस्व अपन
हम देखी ने कहियो फूसिक सपन
हरदम देखब हम मैथिलीक मुस्कान
मैथिल छी मैथिलीए हमर प्राण
मैथिलक सम्मान हो एतबे हम चाही
साग पात खाइयोकें प्राण हम निमाही
पसरि गेल सत्ते चहुँदिश विहान
मैथिल छी मैथिलीए हमर प्राण ।
मिथिला समाजक अभिशाप दहेज़ आ तद्जन्य अन्यान्य समस्या कें विवेच्य राखि फजलुर रहमान हाशमी लिखै छथि —-
कहल जाइत अछि
जे जाहिलियतक समयमे
लोक पुत्रकें तोपि दैत छल धरतीमे
जन्म लितहि
अरब केर इतिहास एहि
सभसँ भरल पडल अछि
आइ हमहूँ विवश भs रहल छी
ओहि कार्यक लेल
मुदा जन्मक समय नहिं
चेतन भेला पर
तिलकक टाकाक अभावमे ।
मिथिलाक समसामयिक आर्थिक विपन्नता सँ प्रभावित निम्न वर्गक छटपटाहटक अनुभव सहजहि हाशमी जीक निम्न पांति में कs सकैत अछि–
पुत्रक आवाजसँ करेजा काँपि गेल
राशन नहि छैक बाबू
भिनसरसँ भूखले छी
आ हम गमछी कान्ह पर राखि कs
बढि रहल छी दोकान दिस
उधारक खातिर ।
एहिना अन्यान्यो मुस्लिम बन्धु सभ विभिन्न ढंग सँ मैथिली भाषा आ साहित्यक अभ्युत्थान में अपन अपन यथोचित योगदान देने छथि ।