२६ जुलाई २०२१ – मैथिली जिन्दाबाद!!
चुकिया बैंक

चुकिया बैंक (गुल्लक) मे जेना पैसा बचत करैत छी ठीक तहिना नीक कर्म कयला सँ तुरन्त फल दयवला क्रियमाण खर्च होइत अछि आ जाहि कर्मक फल बाद मे भेटैछ यानि संचित से बचत कहाइत अछि। त्रिविध कर्म केर दर्शन (फिलौसफी) मे यैह बचत कयल कर्मफल संचित सँ प्रारब्ध मे परिणत होइत अछि। हम-अहाँ जे देखैत छी जे कोनो नीक या खराब भोग अचानक सँ सोझाँ अबैत अछि वैह प्रारब्ध थिकैक। एहि ठाम चुकिया बैंक केर उदाहरण दैत ई बात रखबाक तात्पर्य यैह जे कर्म-सिद्धान्त सँ बखूबी परिचित होइ हमरा लोकनि। सदिखन ध्यान राखी जे ई मानव तन (जीवन) कर्म कएने बिना निर्वाह नहि होयत, आर कर्मरूपी श्रम सँ प्राप्त आय (भोग) अनुसार जीवन संचालित होयत। एतहु कर्मठ लोक जे होइछ ओ सदैव मजबूत क्रियमाण संग मजबूत संचित आ मजबूत प्रारब्ध लेल कठोर प्रयत्न करैत अछि।
चुकिया बैंक केर तर्ज पर एकटा आर महत्वपूर्ण अनुभूति अहाँ सब सँ साझा करबाक इच्छा भेल अछि। ई जे फेसबुक आ कि ट्विटर पर या फेर अपन डायरी या कोनो लेखन पुस्तिका आदि मे अक्षर सँ बनल शब्द आ शब्द सँ बनल वाक्य आदिक लेखन कार्य करैत छी ताहि मे सेहो तत्क्षण निष्कर्ष भेटबाक संग भविष्यहु मे उपयोग योग्य कथ्य आ तत्त्व सब निहित रहैत अछि। लेखनकार्य साधारण कर्म नहि थिक। जहिना कृषि, रोजगार, व्यवसाय आदि सँ लोक कैञ्चा कमाइत अछि, ठीक तहिना लेखनकार्य सँ नाम, प्रतिष्ठा आ परिचिति केर आयार्जन होइछ। तुरन्त मे अहाँक लेखनीक प्रभाव सँ कतेक लोक लाभ प्राप्त करैत छथि, अहाँक प्रिय पाठक बनैत छथि, अहाँक लेखनी सँ प्रेरणा प्राप्त कय अपन जीवन केँ समुचित मार्गदर्शन करैत छथि… ई सारा भेल ‘खर्च’; पुनः एक पाठक सँ अनेक पाठक बनबाक आ लेख सभक लोकप्रियता बढैत जेबाक, प्रकाशित पोथी व उद्धृत कथा-वृत्तान्त संग कथ्य-तत्त्व आदिक जे उपयोगिता दिन-ब-दिन आ भविष्यक अज्ञात-अनन्त विन्दु धरि महत्व राखत से संचित थिक। आर एहि संचित सँ प्रारब्ध भविष्यक सन्तति भोगत, अहाँक आत्मा लेल ओ चिरकाल धरिक भोग होयत। आशा करैत छी जे ई ‘दर्शन’ हम ठीक सँ बुझा पेलहुँ अपने लोकनि केँ। हँ, एहि मे ‘व्याकरण’ केर बड पैघ महत्व छैक। शुद्धता केर सीधा सम्बन्ध स्वच्छता सँ छैक। जतबे अधिक शुद्ध होयब, ओतबे कर्मठता सिद्ध होयत। तेँ, व्याकरण सिद्धि लेल ताउम्र अपन तपस्या जारी राखू। सिखबाक आ बेसी नीक प्रदर्शन करबाक लेल उमेर केर सीमा नहि छैक, अपना सँ छोटो सँ सिखबाक संस्कृतक सनातन सिद्धान्त छैक। ध्यान राखब।
आइ एतबे! तीन रूपक मार्फत किछु महत्वपूर्ण सन्देश देबाक प्रयत्न कयलहुँ अछि, कतेक सफल या कतेक असफल से परिणाम त अहाँ (परमात्मा) केर हाथ मे अछि। ॐ तत्सत्!!
हरिः हरः!!