“शौक पूरा उम्र के हिसाब सं की समय के हिसाब सं..!

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अंजू झा।                   

🌹 ❤️ #अपन_रूचि ❤️🌹
अहि संसार में सबहक रूचि नीक सुख-सुविधा सं भरल जीवन जीबै के होई छै।दुनिया में शायद कियो एहन मनुष्य हैत,जकरा नीक भोजन,नीक वस्त्र या ई कही जे सुविधाजनक जीवन पसंद नै हेतै।
लेकिन अपन परिवार,खासकय संतान के सुख सुविधा के लेल माता पिता खुशी खुशी अपन रूचि के बहुत पाछा छोईर दैत छैथ। संतान के कोनो कमी नै होई, ओकर पैघ पैघ फरमाईस,शौख या जरूरत पूरा करै में माता पिता कतेको बेर अपन छोट छोट इच्छा अपन रूचि एतय तक कि अपन खुद के पहचान तक के त्याग कऽ दै छैथ।जकर कोनो अफसोस या मलाल नै होई छैन।
लेकिन जखन संतान अहि त्याग के महत्व नै बुझै छै तऽ इंसान टुईट जाईया।आई एकटा अहि पर आधारित कथा लिखै के कोशिश केलौं उम्मीद करै छी आहाँ सब एकरा रूचि सं पढ़ब।
रमेश बाबू एकटा सरकारी कर्मचारी छलाह। गुज़र बसर लेल ठीक-ठाक तनख्वाह छलैन। पति पत्नी एक बेटा एक बेटी के संग सुखी परिवार। रमेश बाबू आ हुनकर पत्नी के जीवन के एक्के टा लक्ष्य छलैन जे दुनू संतान के लायक बनाबी। ओकरा दुनू के परवरिस में कोनो कमी नै हेबाक चाही।
बच्चाक भोजन पढ़ाई, कपड़ा यानि ओकर जरूरत में कतौ कटौती नै भऽ सकैया,तऽ कटौती कतय हैत तऽ अपन दुनू प्राणीक शौख में। पत्नी के रूचि दर्शनीय जगह पर जाई के जे कहियो कतौ नै गेली। कोनो खास अवसर पर होटल में खाना खाई लेकिन सेहो इच्छा शायद कहियो पूरा भेल हो।अपना लेल नया नया फैशन के साड़ी गहना तऽ कहियो किनै के सोचबो नै केली।नैहर सासुर सं रिश्तेदार के ओतय कोनो अवसर पर भेटल साड़ी आ अपन विवाह में भेटल दू चारिटा नीक साडी सं पूरा समय निकाईल लेली।कोनो शुभ अवसर पर सबके भारी भारी जरीदार ,या बनारसी साड़ी पहिरने देखैथ तऽ मोन मसोईस कऽ रैह जाईथ।जे बेटा-बेटी के पढ़ाई-लिखाई बेटी के विवाह,उपर सं एक्टा अपन घर बनेनाई सबकाज बचल अई, साड़ी के की कहुना काज तऽ चलिए रहल अई। रमेश बाबू के पूरा जीवन दू जोड़ी सर्ट पैंट में निकैल गेलैन। कनियां के मोनक भाव तऽ बुझैथ, लेकिन?????
रिश्तेदार संग बेटा बेटी हरदम ताना मारैन जे आहाँ सबके नीक कपड़ा पहिरै के शौख नै अई। किछु नै बाजैथ।
समय बितल सब जिम्मेदारी पूरा भेलैन।बेटा बेटी दुनू मनलायक पद पर कार्यरत छैन। बेटी के बहुत नीक घर-वर भेटलैन,बेटा लायक भेलैन तऽ पुतौह सेहो बड्ड पैघ घरक अनली।आब रमेश बाबू रिटायर भऽ गेलाह,अपना लेल एक्टा घर सेहो बनेलैन।आब कुलमिलाकऽ सबके सुखमय जीवन।
आई बहिन के बेटा के विवाह छैन।दू दिन पहिले कनियांके लऽकऽ शहर के बड़का कपड़ा के शोरूम गेलाह कनियांक पसंदीदा बनारसी साड़ी किनलैन, फेर सोनार के दुकान सं कनियां एक्टा हार सेट किनलैन। सोचला अई बेर बेटा बेटी रिश्तेदार सबके मूंह बंद भ जैत,आ कनियां संग खुशी खुशी विवाह में शामिल होई लेल जाई गेला। बेटी पुतौह सब आयल रहैन।जखन विवाह के समय सब तैयार होमय लागल तऽ बेटी माँ के कहलकैन जे आहाँ त फेर कोनो बाबा आजम के जवाना के घिसल पिटल साड़ी पहिरब।नीक पहिरै के तऽ कखनो मोने नै करैया। बेटा सेहो बजला छोरू की करबै ,हिनकर सबके इयैह आदत छैन।कोनो प्रतिष्ठा के ख्याल नै।पुतौह नव छली किछु बुझली नै बुझली लेकिन किछु नहि बजली। सब अपन तैयारी में लाईग गेली।
माय बिना किछु बजने सुटकेश खोलली साड़ी गहना पहिर तैयार भेली,आब बेटी देखते बजली ई की एखन गर्मी के समय उपर सं अपन उम्र के नै देखलौं एहन चटक बनारसी साड़ी आ ई हार सेट केहन लगैया।आहाँके कोनो ड्रेसिंग सेंस नै अई। बेटा पुतौह सेहो आईब गेलैन। रमेश बाबू सेहो एलाह। कनियां के कनैय लगलैन। बेटा-बेटी बजिते रहलैन।तखन रमेश बाबू बेटा बेटी के अपना लग बैसा अपन आपबीती सुनेलैन,जे हुनका सभके नीक परवरिश भेटैन सब फरमाइश पूरा होईन तैं लेल हम दुनू प्राणी अपन जरूरतों में कटौती केलौं।आहाँक माँ अपन रूचि के कोनो तवज्जो नै देलैन।जखन कहियो नव साड़ी किनबे नै केली फेर आधुनिक फैशन केना बुझती।जहिया सं विवाह कऽक‌ऽ एली हुनकर इच्छा बनारसी साड़ी आ हार पहिरै के छलैन ।जे हम पहिले पूरा नै कऽ पेलौं।आई जखन अवसर आयल आ हम सुनकर शौख पूरा करै में सक्षम भेलौं तऽ आहाँ सब हुनकर मोन के दुःखी कऽ देलियैन।सुनिते बेटा-बेटी माँ के भरि पांज पकैर कानय लगलैन आ अपन व्यवहार पर माफी मांगय लगलैन।तखन जे पुतौह एखन तक चुप छली,आगु आबि सासु के पकैर बजली जे आई के बाद हिनकर #रुचि के ध्यान आ शौख पूरा करै के जिम्मेदारी हमर।सब खुश भय विवाह में सम्मिलित भऽ खुशी खुशी घर वापस एलैन।
लेकिन रमेश बाबू दुनू प्राणी के संग संग अहि तरहक प्रत्येक दंपति के मोन में ई दुविधा भरल प्रश्न उठैत अछि जे अपन रुचि या शौख पूरा करै के सही उम्र कोन अछि????????