सीता (मैथिली कविता)

साहित्य सृजन

– पल्लवी झा

मिथिलेश्वर अप्पन खेत में हल के शिरा घुमाओल जहिना
जनकनन्दिनी भेली अवतरित धरा के भीतर सँ हे बहिना
धन्य भेल मिथिला के धरती जन जन गाबै ये बधैया
अन धन सोनवा लुटबै खुशी में झूमी सुनैना मैया
 
जनकसुता ओ चारू चंचला लक्ष्मी के अवतारी सेहो
सात बरख आयु में उठाओल सीता धनुष त्रिपुरारी के हो
देख अचंभित भेलैथ जनक जी लेलैथ प्रतिज्ञा भारी
जे कियो तोड़त धनुष ई तिनके से बियाहब सुकुमारी
 
सर्व गुण सम्पन्न सिया के रूप चन्द्र सँ तेज लेने
सूर्यवंश के दशरथ पुत्र के वन दीक्षा लेल भेज देलैन
पहुँचल गुरु के संग राम जी राजा जनक भवन में
एक हाथ सँ तोड़ि देलैन ओ धनुष के एक ही क्षण में
स्वयंवर पूर्ण भेल जखन और सिया राम के भेल मिलन
संगहि ब्याहल गेल छथिन तब भरत शत्रुघ्न और लखन
एलनि सिया अयोध्या मातु कौशिल्या मन हरसाओल
धूम धाम सँ स्वागत केलनि सब प्रजा सुमन बरषाओल
 
विधना के लेख देखु समयचक्र के पहिया कोना घुमाओल
राज्याभिषेक के बदला राम के कैकयी बन में पठाओल
त्यागि देलैन सब राजषी भेष पिन्हलैनि वल्कल साड़ी
संग राम के वन प्रस्थान केलनि जब सिया सुकुमारी
 
वन में हरण सीता के लंका नरेश केलक छल सँ
त्यागि देलैन सिया अन्न जल तत्क्षण ओहि पल सँ
रहल कष्ट में लेकिन धर्म पर आँच ने आबे देलैथ
अशोक वाटिका में नोर गिरबैत सिया राम राम जपलैथ
 
अंजनिपुत्र समुद्र लाँघि के पहुँचल रावण के भवन
पवन वेग सँ पता सिया के लगेलखिन तब हनुमान
युद्ध भयंकर भेल लंका में बचल विभीषण शेष
भ्राता पुत्र सेनापति संग में मारल गेल लंकेश
 
पुनः एक सिया राम भेलनि एलनि अयोध्या राज
एक धोबिया लगेलक लांक्षण चुप चुप सकल समाज
सिया के फेर वनवास पठाओल राम जी गर्भावस्था में
वाल्मीकि आश्रम में लव कुश रहला जन्म सँ बाल्यावस्था में
 
अश्वमेध यज्ञ केलनि राम जी घोड़ा देलैन छोइड़
तेजश्वी राम के दुनु सुपुत्र पकड़लैन अश्वक डोइड़
सौंपी राम के बालक जगजननी गेलनि धरा में समाय
नारी गरिमा सबसँ जरूरी जग के गेलनि बताय ।
लेखिकाक परिचयः
नाम – पल्लवी झा
पिता – श्री राजीव रंजन झा
माता – श्रीमती पिंकी झा
निवास स्थान – पूर्णिया बिहार
शिक्षा – B. Com., B.Ed.
रुचि – काव्य रचना