सरस्वती पूजा विशेष संस्मरण

१६ फरवरी २०२१ – मैथिली जिन्दाबाद!!

सरस्वती पूजाक दिन विशेष संस्मरण

 
आइ बसंत पंचमी, बाल्यकाल सँ विशेष महत्वक दिन – अर्थात् सरस्वती पूजाक दिन। विद्याक देवी माँ शारदे – हिनकहि कृपा सँ हमरा सब केँ बुद्धि-ज्ञान प्राप्त होइत अछि। जेकर जेहेन बुद्धि तेकर तेहेन दिनमान! विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम्!
 
हम सब विद्यालय मे प्रार्थना करैत रही –
 
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा
 
माँ शारदे कहाँ तूँ वीणा बजा रही है
किस मंजु गान से तूँ जग को लुभा रही है
 
किस भाव में भवानी तूँ मग्न हो रही है
विनती नहीं हमारी क्यों मातु सुन रही है
 
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं
चरणों में तेरी माता हम सर झुका रहे हैं
 
माँ शारदे कहाँ तूँ…..
 
अज्ञान तो हमारा माँ शीघ्र दूर कर दे
द्रुत ज्ञान शुभ्र हममें माँ शारदे तूँ भर दे
 
बालक सभी जगत के सुत मातु हैं तुम्हारे
प्राणों से प्रिय हैं हम तेरे पुत्र सब दुलारे
 
माँ शारदे कहाँ तूँ…..
 
हमको दयामयी तूँ ले गोद में पढाओ
अमृत जगत का हमको माँ शारदे पिलाओ
 
मातेश्वरी तूँ सुनले सुन्दर विनय हमारी
करके दया तूँ हरले बाधा जगत के सारे
 
माँ शारदे कहाँ तूँ….
 
उपरोक्त प्रार्थनाक एक-एक शब्द मे कतेक पैघ भाव आ विद्यादायिनी भगवती सरस्वती प्रति विनय केर शब्द सब निहित अछि से देखिये रहल होयब… लेकिन बचपन मे एतेक पैघ अर्थ सब बच्चा नहि बुझि पबैत छलहुँ, धरि बड़ा शालीनता सँ भगवती प्रति नतमस्तक भऽ गबैत रही आ यैह बुझी जे माता सरस्वतीक कृपा हम सब बाल-बन्धु पर पड़ि रहल अछि।
 
एकर अतिरिक्त एकटा आरो प्रसिद्ध भजन छल –
 
विद्या की देवी तूँ दानी महान
महिमा गाये सारा जहान
हंस की सवारी है माँ सरस्वती!
वीणापुस्तक धारिणी है माँ शारदे!
 
ओ जगत की जननी जरा वीणा की तान सुना जा,
सो रही है दुनिया जरा जीने की राह दिखा जा,
देखो तो कौन है वो हंस की सवारी है माँ सरस्वती,
वीणा पुस्तक धारिणी है माँ शारदे!
 
क्या सुनाऊँ मैया अपने जीवन की सच्ची कहानी,
मन की ये अभिलाषा कहीं हो ही ना जाये पुरानी,
देखो तो कौन है वो हंस की सवारी है माँ सरस्वती,
वीणा पुस्तक धारिणी है माँ शारदे!
 
कर दया माँ इक दिन तूँ मेरे घर आना,
तुझे पता है मैया जो मेरा है ठिकाना,
आ जाओ दर्शन दो, मेरी ज़िंदगानी है माँ शारदे,
वीणा पुस्तक धारिणी है माँ शारदे!
 
हमर सब सँ प्रिय सरस्वती माताक भजन रहल अछि –
 
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणाधारिणी
 
जयति पद्मासना हे माता, जयति शुभ वरदायिनी ।
जगत का कल्याण कर माँ, तुम हो वीणा वादिनी॥
 
कमल आसन छोड़ कर आ, देख मेरी दुर्दशा।
ग्यान की दरिया बहा दे, हे सकल जगतारिणी॥
 
आर एक अन्य माँ सरस्वतीक भजन जे हम अपन बेटी देवांशीक मधुर स्वर मे काफी रुचि सँ सुनब पसीन करैत छी –
 
जयति सरस्वती वीणाधारिणी
विनित निखिल संसार
हे माँ करू वीणा झंकार
 
जग मे जतय जाहाँ अछि प्राणी,
सब मे अहीं भरय छी वाणी
केहनो सुन्दर रहओ किन्तु बिनु
बोल बौक बेकार
हे माँ करू वीणा झंकार
 
अहींक प्रतापे हे ब्रह्माणी
बनल सकल छथि पंडित ज्ञानी
जइ पर दी कंडेरि फेरि नहि
आबय ततय अन्हार
हे माँ करू वीणा झंकार
 
अज्ञानक अन्हार हरू माँ
सब मे ज्ञान प्रकाश भरू माँ
शरणागत अछि भीम चरणरज
दया करू उद्धार
हे माँ करू वीणा झंकार
 
आर एहि तरहें आजुक विशेष दिवसक एहि उपरोक्त भजन-स्तुतिगानक संग एकटा छोट सन प्रवीण कृति सहित शुभकामना अछि –
 
सरस्वती वन्दना
 
माँ शारदे विनय अछि, दी विद्या-बुद्धि सुन्दर – दी विद्या-बुद्धि सुन्दर!
वरदे शरणमे राखी, बनि मैथिली सम मिठगर – बनी मैथिली सम मिठगर!
 
हे माँ कृपा अहाँके – जीवन बनल सनाथे!
माता-पिता-गुरुके – आशीष चढल य माथे!
 
करि सेवा मातृभूमिक – निज देश मनु प्रदेशे – निज देश मनु प्रदेशे!
माँ शारदे विनय अछि…
 
निज धर्म कर्म सत् हो, तप-दान हो महारत!
ई सिर कतहु झुके नहि, सत्-चरित्र के सोगारथ!
 
एहि जन्म सँ छी थाकल, बस मोक्षकेर नेहो – बस मोक्षकेर नेहो!
माँ शारदे विनय अछि…..
 
हरि: हर:!!