हमरा चाही मिथिला राज्य
– संत कुमार मंडल
सात करोड त’ हम मैथिल छी,
दुर्लभ अपन समाज यो।
मांगै जाउ नै आई अपन हक,
पृथक मिथिला राज यो।।
दर्द पलायन केर कियो नै सुनैए।
घ’र सँ बहरो त’ सभहे पिटैए ।।
सभ साधन पटने धरि सीमित,
करैए दरिभंगा पाझ यो।
मांगै जाउ नै आई अपन हक,
पृथक मिथिला राज यो—
की नै? छल मैथिल जीवन में।
नूनो नै नसीब अछि आब तीमन मे।।
मैथिल रहि बिहारी कहाएब,
अछि हमरा ऐतराज यो।
मांगै जाउ नै आई अपन हक,
पृथक मिथिला राज यो।। —
धूमिल भ’ गेलै सभ आशा-अभिलाषा।
राखु सम्हारि क’ निज मैथिली भाखा।।
गोलियौलक यो डेगे डेगे,
सभ नेताक नब भाँज यो।
मागै जाउ नै आई अपन हक,
पृथक मिथिला राज यो।। —
अहिना सूतय रहब कतेक दिन।
जागु नीन सँ यो मैथिल गण।।
नहि सहताह “जागृति” कोनो शोषण,
करताह नैआब लाज यो।
मागै जाउ नै आई अपन हक,
पृथक मिथिला राज यो।।
तथास्तु!