साहित्य
– दीपिका झा
“भगवती वंदना”
ममता भरल तोर नैन हे मैया,
ममता भरल तोर नैन…….।
जे जहि रूप में तोरा देखैयै,
ओ ओहि रूप में तोरा पबैयै,
नैन में बसल दिन-रैन हे जननी,
ममता भरल तोर नैन…….।।
तोहर नेत्र में श्रृष्टि बसल अछि,
क्रोधक संगहि करूणा भरल अछि,
मोहित करै तोहर नैन हे जननी,
ममता भरल तोर नैन……।।
सूर्यक तेज सन मुख चमकैयै,
ताहि मुख में त्रिनेत्र शोभैयै,
निहारू कोना क भरि नैन हे जननी,
ममता भरल तोर नैन………।।
अपना सुत लै मैया रक्षक बनल छी,
राक्षस-दैत्य के भक्षक बनल छी,
हमरो दिस फेरि दीय नैन हे जननी,
ममता भरल तोर नैन…….।।