Search

त कि सही में ओ बुढ़िया भागमन्त छल?

28 भ्यूज

बीहनि कथा -1

माँ

– हेमन्त झा, दिल्ली

रामकुमार कक्का के अंगना मे आइ भोरे स खूब चहल पहल छैक। हुनक माँ (बाबी) के भरल पुरल घर मे परदेस मे रहय बला छोट-पैघ नाती-नातिन, पोती-पोता सब दरबज्जा स आँगन, अड़ोस-पड़ोस मे धमाल मचबैत बेर बेर हलुवाइ लग जा क पुछैत छैक– आप इतना सारा दूध का क्या करोगे अंकल ?
आखिर ओकरो सब के जिज्ञासा कोना नै होउ ! 200 लीटर दूधक पैकेटक पहाड़ जे बनल छैक !

हलुवाइ बच्चा सभक जिज्ञासा के शांत करैत ओकरे सभक भाषा मे कहैत छैक – ई सब दूध का छैना फाड़कर रसगुल्ला बनेगा ।

अचंभित बच्चा सब के सोच मे पड़ल देखि झट स शिवकुमार कक्का कहैत छथिन्ह, —आज तुम्हारी दादी का द्वादश कर्म है और शाम को हमारे घर अपने गाँव के संग संग कुछ दूसरे गाँव के लोग भी भोजन करने आएँगे, उन्हीं लोगों के लिए बन रहा है ये सब, तुम लोग भी खाना ।

उमहर मुर्लियाचक बाली काकी के अंगना मे दोसरे, मुदा आँखिक देखल घटना पर अलगे गोरमिंटी चैल रहल छैक, भगवानपुर बाली भौजी पंद्रहे दिन पहिने रामकुमार कक्का अंगनाक घटल घटनाक बखान क रहल छथिन्ह—-देखथुन्ह त आइ कोना बाबी के चारु बेटा- पुतहु एतेक खर्चा क रहल छथिन्ह ! सुनै छियैक जे कहाँदन 200 लीटर दूधक त खाली उजरा बैन रहल छैक ! एतबहि मे सतघड़ा बाली काकी टोक दैत कहैत छथिन्ह जे,,,,,,, सएह देखियौ, बुढ़िया के 200 ग्राम दूध देबक वास्ते चारु बेटा-पुतौहु मे कतेक आरा-हिस्सी होइत छलैक, एखने त सब भाइयक जुटानी भेल रहैक त कतेक हो हल्ला भेल रहैक अंगना मे, फेर ई फैसला भेलैक जे चारू बेटा 3-3 महीना रखतै बुढ़िया के अपना संगे । एतबे मे नवानी बाली काकी कहैत छथिन्ह जे—हे, मुदा बुढ़िया छलैक बड भागमंत, जहिना ओ अपना के कोनो बेटा-पुतौहु लग हिस्सा-बखरा बनि क नै रहय चाहैत रहैक तहिना छोटका बेटा -पुतौहु लग रहय के पहिले किस्त स दू दिन पहिनहि प्राण छोड़ि देलकै ।

——-माँ के या पिताजी के जीबैत सुख देबाक चाही, मुइला पर कतबो रसगुल्ला गुड़का लेब, जबार क लेब, ओहि स किछु नै, जन्मदाता स बढ़ि क आर की??

Related Articles