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कृष्ण

🌹कृष्ण कन्हैया🌹
कृष्ण पक्ष अष्टमी के राईत छलै,
घनघोर घटा विकराल रूप में छायल छलै।
कारागृह में जन्मलनि मुरारी,
मोर मुकुट पिताम्बर धारी।
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नगर नगर में भय गेल शोर,
नंद घर जन्मलनि माखन चोर।
देवकीनंदन यशोदा के दुलारे,
माईट खाय ब्रम्हांड देखेलनि।
***********************प्रेमक पाठ अहिं पढैलऊँ,
भक्ति भाव अहिंस सिखलऊँ।
जीवनक महिमा मुरली धून सँ,
सभ्य समाज अहाँ बनबैत एलौं।
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सखी सबके सखा बनिक,
गुआल बाल के मीत बनेलौं।
समता बनबई के खातिर,
बिदूर घर के साग खेलौं।
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आँगुर पर गिरिराज ऊठा कअ,
कालियानाग के नाथ नथलऊँ।
कुब्जा आ द्रौपदी के लाज बचाकअ,
प्रबुद्ध, प्रवीण, प्रशासक भेलऊँ।
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कंस सहित कतेको राक्षस के मारलौं,
साधु संत आ निर्बल के रक्षक कहेलौं।
हे धरणीधर, कृष्ण कन्हैया अहाँक स्तुति सँ हम स्वर्गक सुख हम पाबि गेलऊ।
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ममता झा
डालटेनगंज

ममता झा

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