सावनक संस्मरण – लेखनीक धार प्रतियोगिता, दहेज मुक्त मिथिला लेल चयनित संस्मरण आलेख
पहिल सासूर यात्रा
– किरण लता झा
विवाह के बाद पहिल सावन छल। हम सासुर आयल रही अपना जाऊत के मुड़न में। हमरा सासुर में सावन के बुद्ध दिन केँ मात्र भगवती केर वार्षिक पूजा करबाक दिन आर ताहि अवसर टा मुड़न करबाक परंपरा अछि । नव कनियाँ, पहिल उत्सव सासुर केर, बहुत उत्साहित रही। बहुत सौख सँ भगवती केँ अंचरी साटन कपड़ा पर गोटा, पटटी लगा कय बनेने रही। हमर सासु माँ नेहाल रहथि हमर लुइर देखिकय। अपना भरि सके सबटा ओरियाओन कयल गेल। अतिथि लोकनि केँ आदर-सत्कार सँ लय कय पूजा-पाठ केर सबटा ओरियान कयल गेल। महथबाबू लेल धोती सब सेहो रंगा गेल। मिठाई सब बनल। केरा और कटहर धूका गेल। मुदा ई की ?? अचानक एक दिन पहिने सांझुक बेर में हल्ला उठल जे दहाड़ (बाढि) आबि गेल। आब कि होयत?? हमरा तऽ किछुओ नहि बुझायल, आधा पाहनो सब आबि गेल रहथि, आधा रस्ते में रहथि। भोर तक दहाड़ (बाढ़ि) आबि चुकल छल, पानि हमरा सभक आंगन और दरवाजा तक आबि गेल छल।
अचानक घरक लोक सब घबरा गेलाह। हमर दिअर स्टोव पर पहिने चाय बनेलखीन, सब गोट चाय पीबिकय परिस्थिति केँ स्वीकार करैत आगू लेल विचार कयलखिन। सभ केँ अपन-अपन योग्य काज बांटि देल गेल। ससुरजी ओही पानि मे दूध आनय गेलाह। असोरा पर चूल्हा आनल गेल। जाड़नि आयल। पहिने प्रसाद बनल तहन खाना बनल। घर और असोरा साफ कयल गेल। भगवती घर में सासु माँ गेलीह। भगवतीक पूजा भेलनि। सिनूर हार भेलैक। बउआ केर केस कटल। सब के नबका नूआ भीज गेल किया कि मेघो कने-कने बरसैत छल। कहुना कहुना शुभे-शुभे मुड़न भऽ गेल।
ओहि सावन केर संस्मरण एखनहुँ धरि हमरा मानसपटल पर तरो-ताजा अछि। याद करैत देरी रोमांचित भऽ जाइत छी। जीवन केर पहिल बाढ़ि, पहिल सावन एकटा यादगार बनि गेल। सप्ताह भरि हमसब खूब मिठाई, केरा, कटहर खाय जाय गेलहुँ। दिन तऽ कहुना कटि जाइत छल, मुदा राति बहुत भयावह होइत छल। पूरा परिवार एक संगे रहैत रही। मुश्किल केर समय रहय। तैयो आसानी सँ हम सब ओहि समय केँ काटि लेने रही। सावन केर ई संस्मरण लिखैत बहुत सुखद अनुभूति भेटल।