कोना के सुधरत मिथिलाक दिन (अभियान गीत)

कोना सुधरतै मिथिलाक दिन
 
(तुकबन्दी – प्रवीण नारायण चौधरी, १८.०८.२०२०, विराटनगर, नेपाल)
 
बड़-बड़ गप बादहु मे देबय, यौ सरकार!
 
पहिने अपनहि टा सुधरू, से अछि आवश्यक दरकार!!
 
पूरे मिथिला दहेज मुक्त बनत से विश्वस्त रहू!
 
परिवर्तन अपनहि टा सँ से पहिने आश्वस्त करू!!
 
जा धरि स्वाबलम्बी नहि बनय आब बेटा कि बेटी,
 
नहि करेबय विवाह बढेबय बोझ से संकल्प धरी!!
 
बाल-विवाहक प्रथा बन्द से बुझिते होयब,
 
शिक्षा दी बेटा-बेटी केँ समान से करिते होयब!!
 
आब विभेद एहि कारण नहि जे बेटी होइछ पराया धन,
 
बेर-बेगरता नैहरो लेल बेटियो बनैत अछि बेटा सन!!
 
नहि रहलय सरकारी नौकरी ई डिसइन्वेस्टमेन्टक जमाना,
 
अनेरौं पागल सरकारी दूल्हा पेन्सन लोभ अनुकम्पा दीवाना!!
 
जँ बेटी खुद सक्षम होयत चला लेत अपन परिवार,
 
देखू बेटी भावना कंठ आइ उड़बय फाइटर प्लेन संसार!
 
जमाय होय स्वस्थ शरीर सँ मानस होइ वलिष्ठ,
 
नहि हो फटहा गुन्डा अवारा एतबे टा गरिष्ठ!!
 
दुनिया के ठीका बाद मे लेब से पहिने देखू निज व्यवहार,
 
अपने सुन्दर आँखि रहत तँ सुन्दर देखब सब परिवार!!
 
छोड़ू गप यौ फल्लाँ बाबू बात निरर्थक दीदी-बहिन,
 
चलू मिलाबी जोड़ी बढियाँ सुधरत जाहि सँ मिथिलाक दिन!!
 
हरिः हरः!!