कन्यादान आ मानव जीवन मे एकर महत्व आ प्रभाव

कन्यादान
 
दहेज मुक्त मिथिलाक सम्पूर्ण सदस्य लोकनि केँ हम प्रवीण नारायण चौधरीक सादर अभिवादन!
 
आइ दिनांक १ अगस्त २०२० – कोरोनाकाल केर भयावहता सँ निकलि रहल हमरा लोकनिक मानव जीवनक पाँचम मास ‘भारतवर्ष’ मे थिक आर ईश्वर केर विशेष कृपा सँ हमरा लोकनि येनकेनप्रकारेन सुरक्षित छी, किछु अत्यन्त महत्वपूर्ण लोक एहि इहलोक सँ चलियो गेलाह… हुनका लोकनिक आत्मा शान्ति लेल प्रार्थना आ शेष बाँचल लोक-संसार केँ शीघ्र सुखक सुखद क्षण प्राप्त हो तेकर कामना।
 
बंधुगण – माता-बहिन – जेठ-श्रेष्ठ आ अनुजवत् लेकिन सब कियो एहि अभियानक महत्वपूर्ण कड़ी लोकनि!
 
दहेज मुक्त मिथिला वैवाहिक परिचय सप्ताह केर आखिरी दिन थिक आइ। करीब २ दर्जन वर-कन्याक परिचय आबि सकल, लिस्टींग कएने छी, पिन कयल पोस्ट मे सब सँ ऊपरे देखा जायत। धन्यवाद। एहिना समय-समय पर परिचय आदान-प्रदान करब आ ईमानदारिता साथ अपन वचनबद्धता केँ निभायब त हमर-अहाँक संसार ‘दहेज मुक्त मिथिला’ जरूर कहायत।
 
दुविधा आ शंका मे घेरायल मनुष्य केँ गुंह गिजय सँ कियो नहि रोकि सकैत छैक, ओकरा लिखले वैह छैक… स्वयं गन्दगी मे रहत आ गन्दा बात-विचार सँ घेरायल काहि कटैत जीवनक अन्त करत। एहेन कतेको गन्दा मनुष्य केँ आजीवन प्राप्त भोग आ मोक्ष केर वृत्तान्त अपने सब जनिते होयब। हम सब एहनो लोक केँ सद्गति जीवन्त वा मरणोपरान्त भेटय तेकर कामना करी।
 
आब जे ऐगला सप्ताह हम सब फोकस करब से विषय थिक ‘कन्यादान’ केर!
 
१. कन्यादान केँ सब सँ पैघ यज्ञ आ मानवीय कर्तव्य मानल गेल अछि मनुष्यक जीवन मे। कारण विवाह जेहेन महत्वपूर्ण विषय जाहि पर मनुष्यक आगामी पीढी टिकल रहैछ तेकरा पूर्ण करय मे बहुतो प्रकारक कठिन जाँच, पूछताछ, छानबीन, निरीक्षण-परीक्षण, कुल-मूल-शील-सौष्ठव-समृद्धि आदिक दुइ पक्ष वर आ कन्याक बीच मिलान कयलाक बादे विवाह तय होइत अछि – आर तखन कर्मकांडीय पद्धति अनुसार वर केँ कन्या सौंपबाक यानि कन्यादान कयल जेबाक विधान अछि।
 
२. हरेक वर केँ भगवान् ‘विष्णु’ स्वरूप मानिकय ‘सीता’ स्वरूपा बेटी केर हाथ वरक हाथ मे देबाक एकटा भावुक क्षण होइत छैक ‘कन्यादान’। एक बेटी लेल ई क्षण अत्यन्त भावुकता सँ भरल होइत छैक, तहिना माता-पिता-परिजन जतय ओकर जन्म भेल रहैत छैक ताहि सँ ओकर नाता टूटबाक आ नव परिवार, गोत्र, मूल, पति, ससूर, सासु, ननदि, दियर, भैंसूर, दियादिनी, आदिक संग सम्बन्ध जुड़बाक ई पल अति विशिष्ट आ विवाह जेहेन सम्बन्ध मे सब सँ बेसी महत्वपूर्ण होइत छैक। विष्णुस्वरूप जमाय ई वचन दैत छथिन जे अहाँक बेटी (कन्या) केर सम्पूर्ण जिम्मेदारी हमर भेल, हिनकर रक्षा, भरण-पोषण, आगामी जीवनक सम्पूर्ण क्षार-भार हमर कपार होयत।
 
३. बुझि सकैत छी जे एक कन्यादान केर रस्म (विधान) कन्या, वर, दू परिवारक समस्त परिजन आ वरियाती-सरियाती सभक लेल ई प्रकृतिक हर अवयव कतेक प्रभावित होइत अछि, ईश्वर सेहो प्रसन्न होइत छथि जे मानवीय संसार मे एकटा जोड़ी पुनः बनि गेल जे एहि संसारक ऐगला पीढी केँ धराधाम मे जन्म देबाक पवित्र कार्य करत, देवता-पितर-ऋषि सब केँ हविष्य प्रदान करत।
 
४. कन्यादानक तौर-तरीका आ विधान सेहो अलग-अलग जगह पर अपना तरहें होइत देखल जाइछ। वरक हाथ मे कन्याक हाथ सौंपबाक एहि पवित्र प्रक्रिया मे जल-फूल-पान-दुभि-धान-मखान आदिक विधान वर्णित भेटैछ – सब तरहें वर द्वारा कन्याक रक्षार्थ तथा आजीवन संगिनीक रूप मे संग रखबाक वचन देल जाइछ।
 
५. पौराणिक कथा-गाथा मे दक्ष प्रजापति द्वारा अपन २७ गोट नक्षत्र स्वरूपा सुपुत्रीक विवाह चन्द्रमा संग आ कन्यादानक चर्चा अबैत अछि। सृष्टिक संचालन मे पहिल विवाह आ कन्यादान केर चर्चा एहि २७ नक्षत्रक विवाह चन्द्रमा संग होयबाक बात कहल गेल अछि। एतहि सँ सृष्टि आगू बढल। सती सेहो हिनकहि सुपुत्री छलीह जिनकर विवाह शिवजी संग भेल छलन्हि।
 
६. कन्यादान केँ सब सँ पैघ दान सेहो मानल गेल अछि। एहि दान सँ सभक भाग्योदय होयबाक मान्यता स्थापित अछि। जे कन्यादान करैत छथि हुनकहु भाग्योदय केर विधान वर्णित अछि। अपन मिथिला मे सेहो कन्यादान सँ पैघ दोसर कोनो धर्म निभेबाक बात नहि भेटैछ। जीवन मे एक न एक बेर कन्यादान सब केँ करबाक चाही, यैह मान्यता अपनहु सब ओतय अछि।
 
७. कन्यादान सँ पूर्व मातृका पूजा – कुलदेवीक पूजा संग-संग पितर लोकनिक प्रसन्नता लेल सेहो अभ्युदय श्राद्ध कयल जाइत अछि। महर्षि कणाद विहित – यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धि: स धर्म: ; वैशेषिक सूत्र १। १। २। जेहेन महान संकल्प केँ धारण करैत कन्यादान समान निष्ठा सँ पूर्ण यज्ञ प्रति आगाँ बढबाक विधान अपनहु मिथिला मे सर्वविदिते अछि।
 
बुझि जाउ जे कन्यादान मात्र विवाहक आधारभूत विधान थिक जतय सँ नव जीवन आरम्भ होइछ कन्या एवं वर दुनूक जीवन मे – आर एहेन महान यज्ञ लेल यदि कतहु सँ ‘दहेजरूपी शर्त अथवा अन्य कोनो तरहक मांग’ कन्यापक्ष पर थोपल जाय तऽ विवाहक बुनियाद कतेक अपवित्र, दबावपूर्ण, कलंकित आ आवेशित होयत!
 
आउ, एहि सप्ताह – कन्यादान सँ जुड़ल किछु संस्मरण केर संकलन करी। जे लिखि सकैत होइ, कृपया अपन संस्मरण जरूर पठाउ।
 
हरिः हरः!!